2018-07-12 16:48:00

कार्डिनल तौरान का अंतिम संस्कार सम्पन्न


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 12 जुलाई 2018 (वाटिकन न्यूज)˸ अंतरधार्मिक वार्ता हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के पूर्व अध्यक्ष कार्डिनल जॉन लुई तौरान के अंतिम संस्कार की धर्मविधि 12 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस द्वारा सम्पन्न की गयी इसके पूर्व उनके लिए ख्रीस्तयाग भी अर्पित किया गया।

ख्रीस्तयाग के मुख्य अनुष्ठाता कार्डिनल मंडल के डीन कार्डिनल सोदानो ने कहा, "एक भाई जिन्होंने बीमारी की अवस्था में भी ख्रीस्त की कलीसिया की सेवा साहस पूर्वक किया।"

आशीर्वचन से आलोकित

फ्राँसीसी कार्डिनल तौरान के अंतिम विदाई का ख्रीस्तयाग संत पेत्रुस महागिरजाघर में अर्पित करते हुए कार्डिनल सोदानो ने प्रवचन में कहा, "सुसमाचार में येसु हमें आशीर्वचनों की याद दिलाते हैं। जब कभी हम उन्हें सुनते हैं वे हमें प्रभावित करते हैं। धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं, धन्य है वे जो दयालु हैं, धन्य हैं वे जो हृदय के निर्मल हैं, धन्य हैं वे जो मेल-मिलाप कराते हैं...। ये आशीर्वचन हैं जिनसे हमारे स्वर्गीय भाई का जीवन आलोकित था। उन्होंने कहा कि कार्डिनल तौरान कई वर्षों तक महान प्रेरितिक भावना के साक्षी बने रहे।"  

भली इच्छा रखने वाले लोगों के साथ वार्ता

कार्डिनल सोदानो ने कार्डिनल तौरान के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक महान पुरोहित, धर्माध्यक्ष एवं कार्डिनल जिन्होंने पवित्र कलीसिया के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया, अपने जीवन की अंतिम अवधि को भली इच्छा रखने वाले लोगों के लिए समर्पित किया। इस तरह उन्होंने द्वितीय वाटिकन महासभा की अंतरधार्मिक वार्ता समिति द्वारा खींची गयी लकीर का अनुसरण किया अनुसार हम सभी भाई-बहन हैं अतः मानवीय एवं ईश्वरीय बुलाहट के कारण हमें एक साथ कार्य करना है, बिना हिंसा एवं छल के विश्व में सच्ची शांति लाने हेतु प्रयास करना है।

ख्रीस्तयाग के अंत में संत पापा फ्राँसिस ने पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार की धर्मविधि पूरी की।  

कार्डिनल तौरान का निधन 5 जुलाई को 75 वर्ष की आयु में अमरीका में इलाज के दौरान हुआ वे पार्किंसंस रोग से ग्रसित थे।  

कार्डिनल संतोस अब्रील वाई कास्तेल्लो की याद

कार्डिनल तौरान की याद करते हुए कार्डिनल संतोस ने बतलाया कि उन्हें उनके साथ गहरी मित्रता थी जिसके कारण उनके निधन पर दुःख का अनुभव हो रहा है। उन्होंने कहा कि कार्डिनल तौरान बीमारी के कारण कमजोर थे किन्तु वे हमेशा अपने कर्तव्य को पहले स्थान पर रखते थे। अर्थात् वे विभिन्न धर्मों के लोगों को सकारात्मक रूप से एक-दूसरे के करीब लाने का प्रयास कर रहे थे, खासकर, इस्लाम धर्म के लोगों को। उन्होंने इसे सभी के प्रति सम्मान की भावना एवं वार्ता की दक्षता के साथ पूरा भी किया। उन्होंने इसे महान त्याग के साथ पूरा किया क्योंकि वे बीमारी के कारण काफी कमजोर थे।  








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