2018-06-30 14:57:00

परमपावन रक्त दुनिया की मुक्ति का स्रोत, पोप


वाटिकन सिटी, शनिवार, 30 जून 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 30 जून को ख्रीस्त के परमपावन रक्त के नाम पर स्थापित परिवार के तीन हजार सदस्यों से वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में मुलाकात की।  

ख्रीस्त के परमपावन रक्त परिवार में धर्मसमाजी पुरोहित, धर्मबहनें एवं लोकधर्मी संगठन शामिल हैं जिनकी आध्यात्मिकता येसु के पावन रक्त से प्रेरित है।

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, ख्रीस्तीय धर्म के आरम्भ से ही, ख्रीस्त के रक्त के प्रेम के रहस्य ने अनेक लोगों को प्रेरित किया है जिनमें उनके संस्थापक भी हैं, जिन्होंने उसे अपने संविधान का आधार माना है क्योंकि उन्होंने विश्वास के प्रकाश में समझा है कि येसु का रक्त ही दुनिया की मुक्ति का स्रोत है। ईश्वर ने रक्त के चिन्ह को चुना क्योंकि कोई दूसरा चिन्ह नहीं है जो दूसरों के लिए जीवन अर्पित करने के सर्वोच्च प्रेम को अधिक स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सके। यह उपहार हर यूखरिस्त समारोह में प्रदान किया जाता है ख्रीस्त का बहुमूल्य रक्त जो नया एवं अनन्त व्यवस्थान का रक्त है और सबों के पापों के लिए बहाया गया है। (मती. 26,27)

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त के बलिदान पर चिंतन हमें दया के कार्य हेतु प्रेरित करता है, अपने जीवन को बचाये बिना ईश्वर तथा भाई बहनों के लिए अर्पित करने हेतु। हमारी मुक्ति के लिए क्रूस पर अर्पित ख्रीस्त के रक्त पर चिंतन हमसे आग्रह करता है कि हम उन लोगों के पास जाएं जो मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा से चंगाई पाने की आशा में है और जो उपभोकतावादी एवं उदासीन समाज द्वारा हाशिये पर जीवन यापन करने हेतु छोड़ दिये गये हैं। संत पापा ने कहा कि इसी पृष्ठभूमि पर उनकी सेवा का महत्व बढ़ जाता है।

उन्होंने उन्हें तीन आयाम बतलाये जिनके द्वारा उनके साक्ष्य को मदद मिल सकती है, सच्चाई का साहस, सबों को ध्यान देना तथा सम्पर्क करने की क्षमता।

संत पापा ने पहले विन्दु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे एक ऐसे समुदाय का निर्माण करें जो सुसमाचार के मूल्यों तथा सच्चाई के लिए खड़ा होने का साहस करे।

दूसरे आयाम पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि वे सभी पर ध्यान रखें, खासकर, जो दूर रहते हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने मिशन द्वारा प्रत्येक तक पहुँचने के लिए बुलाये गये हैं। उन्हें समझने एवं ऐसी भाषा का प्रयोग करने की जरूरत है जिसके द्वारा सुसमाचार के संदेश को सभी समझ सकें। यह भाषा है प्रेम एवं भलाई की भाषा जिसको वे उनके आनन्द एवं कठिनाईयों में सहभागी होकर प्रकट कर सकते हैं।

तीसरे आयाम में संत पापा ने उन्हें सम्पर्क करने की क्षमता द्वारा साक्ष्य देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्रवचन और धर्म-शिक्षा, ईशवचन को गहरा करने के माध्यम हैं, जिसमें पूर्ण सहभागी होकर वे ख्रीस्तीय विश्वास को अधिक आकर्षक बना सकते हैं।

संत पापा ने संदेश के अंत में पुनः याद दिलाया कि वे ख्रीस्तीयों की सच्ची शक्ति सुसमाचार को न भूलें। 








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