2018-06-30 14:09:00

ख्रीस्तीय येसु को अच्छी तरह पहचानें


वाटिकन सिटी, शनिवार, 30 जून 2018 (वाटिकन न्यूज)˸ काथलिक कलीसिया के संरक्षक संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के महापर्व पर 29 जून को, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को अपना संदेश दिया।  

संत पापा ने संदेश में येसु के साथ संत पेत्रुस के वार्तालाप पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि येसु एवं उनके शिष्यों के बीच संवाद जो उनकी पहचान पर आधारित थी, आज भी जारी है।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार पाठ में जिक्र यह घटना "हमारे विश्वास की यात्रा के लिए आधारभूत है क्योंकि यह येसु और उसके शिष्यों के बीच एक महत्वपूर्ण वार्ता को प्रस्तुत करता है। पहला सवाल, लोग क्या कहते हैं कि मैं कौन हूँ? (मती. 16:13) इसके द्वारा येसु अपनी वर्तमान स्थिति के बारे लोगों के विचार पूछते हैं। जबकि दूसरे सवाल, "और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?" (मती. 16:15), इसमें येसु कहना चाहते हैं कि उन से मुलाकात करना एवं उनके सामने अपने आपको खोलना एक अलग बात है।

संत पापा ने कहा कि इस मुलाकात में ये दो प्रश्न अलग-अलग नहीं किन्तु एक-दूसरे के पूरक हैं। कलीसिया आज भी येसु के पहचान की घोषणा करती है, आप मसीह हैं, आप जीवन्त ईश्वर के पुत्र हैं (मती. 16) क्योंकि ख्रीस्त की महिमा को उनके क्रूस से अलग नहीं किया जा सकता।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया के आरम्भ से ही येसु को कई तरह से पहचानने का प्रयास किया गया है और उनको पहचानने में संत पेत्रुस का उत्तर एक स्तम्भ की तरह है, जिसको उन्होंने ईश्वर की कृपा द्वारा प्रकट किया था, "आप मसीह हैं, आप जीवन्त ईश्वर के पुत्र हैं।" अतः कृपा हमारे हृदय को यह समझने में मदद करती है कि येसु पिता के समान अनन्त काल से जीवित हैं।

येसु का उत्तर हमें आलोकित करता है, "तुम पेत्रुस अर्थात् चट्टान हो, इस चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा और अधोलोक के फाटक इसके सामने टिक नहीं पायेंगे।" (मती. 18) संत पापा ने कहा कि यह पहली बार था जब येसु ने कलीसिया शब्द का उच्चारण किया। कलीसिया के प्रति उनका प्रेम "अपनी कलीसिया" कहने के द्वारा प्रकट होता है। येसु का नया व्यवस्थान भौतिक अथवा मूसा की सहिंता पर नहीं किन्तु विश्वास पर आधारित है।

संत पापा ने अपने संदेश का समापन माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा कलीसिया के लिए प्रार्थना करते हुए की कि प्रेरितों की रानी माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रभु कलीसिया पर अपनी कृपा बरसायें ताकि वह सुसमाचार के प्रति निष्ठावान बनी रह सके, जिसकी सेवा में संत पेत्रुस एवं संत पौलुस ने अपना जीवन समर्पित किया।








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