2018-06-25 14:03:00

हर व्यक्ति में ईश्वर का छाप अंकित है, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 जून 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 24 जून को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज का धर्मविधिक पाठ हमें संत योहन बपतिस्ता के जन्म दिवस का उत्सव मनाने का निमंत्रण देता है। उनका जन्म एक ऐसी घटना थी जिसने उनके माता-पिता एलिजाबेथ एवं जकारिया के जीवन को आलोकित किया तथा उनके रिश्तेदारों एवं पड़ोसियों को आनन्द और विस्मय से भर दिया। वृद्ध माता-पिता ने जरूर स्वप्न देखा था और इस दिन की तैयारी की थी किन्तु उन्हें इतनी उम्मीद नहीं थी। वे बहिष्कृत, अपमानित एवं निराश महसूस करते थे क्योंकि उनके कोई संतान नहीं थे।

एक पुत्र के जन्म की घोषणा के सामने जकेरियस अविश्वासी बन गया था, क्योंकि प्रकृति के नियम अनुसार वह असमर्थ था, बूढ़ा हो चला था, परिणामतः प्रभु ने उन्हें पूरी गर्भावधि में गूँगा बना दिया जो एक चिन्ह है कि ईश्वर हमारे तर्क एवं सीमित मानव शक्ति पर निर्भर नहीं करते। हमें आवश्यकता है, ईश्वर के रहस्य पर भरोसा रखने एवं उसके सामने चुप रहकर सीखने की तथा नम्रता पूर्वक उनके कार्यों पर मनन-चिंतन करने की, जिसको उन्होंने इतिहास में प्रकट किया एवं जो कई बार हमारी कल्पना के परे होता है।

इस समय जो घटना घटी, जिसको एलिजाबेथ एवं जकेरियस ने अनुभव किया कि "ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है" (लुक.1,37) उनका आनन्द आपार था। आज का सुसमाचार पाठ (लुक.1,57-66.80) बालक के जन्म की घोषणा करता तथा उसके नामकरण की घटना पर रूक जाता है। एलीजबेथ एक नाम चुनती है जो अपने कुटुम्ब वालों के नाम से बिलकुल भिन्न था। उसने कहा, ''इसका नाम योहन रखा जायेगा।'' (पद.60), जिसका अर्थ है "ईश्वर ने उनपर अनुग्रह की" और सचमुच योहन एक वरदान था, अप्रत्याशित था क्योंकि योहन का अर्थ है "ईश्वर ने उन पर अनुग्रह की।" यह बालक अग्रदूत बनेगा, गरीबों के लिए ईश्वर के अनुग्रह का संदेशवाहक, जो विनम्र विश्वास के साथ उनकी मुक्ति की आशा करते हैं। जकेरियस ने अनापेक्षित रूप से पट्टी पर लिखकर चुने गये नाम की पुष्टि दी क्योंकि वह गूँगा था एवं उसी समय उसके जीभ का बंधन खुल गया और वह ठीक से बोलने और ईश्वर की स्तुति करने लगा।(पद. 64)

योहन बपतिस्ता के जन्म की पूरी घटना विस्मय, आश्चर्य एवं कृतज्ञता की भावना के चारों ओर घूमती है। सभी पड़ोसी विस्मित हो गये और यहूदिया के पहाड़ी प्रदेश में ये सब बातें चारों ओर फैल गयीं।(पद.65) धर्मी लोगों ने महसूस किया कि कुछ महान घटना घटी है यद्यपि यह नगण्य एवं छिपे रूप में था, और प्रश्न किया, ''पता नहीं, यह बालक क्या होगा?'' (पद.66)

संत पापा ने कहा, ईश्वर के विश्वासी भक्त विश्वास को आनन्द, विस्मय, आश्चर्य एवं कृतज्ञता की भावना के साथ जी सकते हैं। हम उन लोगों को देखते हैं जिन्होंने इस अद्भुत चीज़ के बारे में अच्छी बात की और योहन के जन्म के इस चमत्कार पर आनन्दित एवं संतुष्ट थे।

इसको देखते हुए हम पूछ सकते हैं "कि मेरा विश्वास कैसा है? क्या यह आनन्दपूर्ण है अथवा हमेशा एक समान है, एक समतल मैदान की तरह? क्या मुझे विस्मय होता है जब मैं ईश्वर के कार्यों को देखता हूँ, जब मैं सुसमाचार पढ़ता अथवा एक संत के जीवन के बारे सुनता हूँ और अनेक अच्छे लोगों को देखता हूँ, क्या मैं अपने अंदर कृपा महसूस करता अथवा हृदय में कुछ नयापन का एहसास करता हूँ? क्या मैं पवित्र आत्मा के सांत्वना को महसूस करता अथवा क्या मैं बंद हूँ? हम अपने आप से पूछें, हम प्रत्येक जन अंतःकरण की जाँच करें, कि मेरा विश्वास कैसा है? क्या में प्रसन्नचित हूँ? क्या मैं ईश्वर के विस्मय के लिए खुला हूँ? क्योंकि ईश्वर विस्मय के ईश्वर हैं। क्या मैंने अपने हृदय में उनके आश्चर्य, कृतज्ञता की भावना को महसूस किया है जो उनकी उपस्थिति से होती है?

हम इन शब्दों पर चिंतन करें जो विश्व से प्रेरित हैं, आनन्द, विस्मय, आश्चर्य एवं कृतज्ञता की भावना। योहन बपतिस्ता के गर्भागमन एवं जन्म से जुड़ी ये घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी और अनुवांशिक जोड़-विमर्श के सभी अनुसंधानों के बावजूद मानव जीवन एक रहस्य है। दरअसल, जितना अधिक हम जानते हैं और जितना अधिक हम आश्चर्यचकित और मोहक रहते हैं! मानव अस्तित्व में प्रभावित करने वाली वस्तुएँ हैं जो न तो भविष्य में और न ही नियंत्रित हो सकते हैं, भले ही आज हम सभी चीजों की योजना बना रहे हों, यहां तक कि बच्चों की मुखाकृति भी। एक व्यक्ति का जीवन हमेशा हमारी योजना और हमारी अपेक्षाओं से परे जाता है, क्योंकि यह ईश्वर का एक उपहार है।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "धन्य कुँवारी मरियम हमें यह समझने में मदद दे कि हर मानव प्राणी जीवन के स्रोत ईश्वर का एक प्रतिरूप है। ईश्वर की माता हमारी माता हैं। वे हमें यह समझने में सहायता दें कि एक बच्चे को जन्म देने में माता-पिता ईश्वर के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। वास्तव में, यह एक उत्कृष्ट मिशन है जो प्रत्येक परिवार को जीवन का मंदिर बनाता और जागृत करता है – कि हर एक बच्चे का जन्म - खुशी, आश्चर्य और कृतज्ञता की भावना लाता है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रर्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, "कल पराग्वे के असुनसोन में पवित्र संस्कार की मरिया फेलिचा की धन्य घोषणा हुई जो एक कार्मेल धर्मबहन थी।" जिन्होंने 20वीं सदी के पहले दशकों में जीवन यापन किया था। उन्होंने उत्साहपूर्वक काथलिक कलीसिया के मिशन में अपना सहयोग दिया तथा बुजुर्गों का ख्याल रखी। प्रेरिताई का यह उत्साहपूर्ण प्रेरणा, उन्हें प्रतिदिन यूखरिस्त एवं प्रभु के प्रति समर्पण से प्राप्त होता था। उनका निधन 34 वर्ष की उम्र में हुआ। उन्होंने बीमारी को सहर्ष स्वीकार किया था। संत पापा ने कहा कि इस युवा धन्य का साक्ष्य सभी युवाओं को निमंत्रण देता है, खासकर, पराग्वे के युवाओं को कि वे उदारता, दीनता एवं आनन्द का जीवन जीयें। संत पापा ने पराग्वे के सभी लोगों का अभिवादन किया।  

उसके बाद संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों, खासकर, जर्मनी एवं स्लोवाकिया के तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। संत पापा ने इटली में रह रहे रोमानियाई समुदाय के विश्वासियों की भी याद की।

अंत में उन्होंने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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