2018-06-22 11:18:00

शरणार्थियों के समाज में एकीकरण का सन्त पापा फ्राँसिस ने किया आह्वान


जिनीवा, शुक्रवार, 22 जून 2018 (रेई,वाटिकन रेडियो): यूरोप में शरणार्थियों के प्रति बढ़ती चिन्ता के बीच सन्त पापा फ्राँसिस ने समाज की मुख्यधारा में शरणार्थियों के एकीकरण का आह्वान किया है।

गुरुवार को स्विटज़रलैण्ड में, काथलिक एवं अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदायों के बीच ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक साक्षात्कार हेतु सम्पन्न, एक दिवसीय यात्रा से वापस लौटते समय सन्त पापा फ्राँसिस ने विभिन्न विषयों पर पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। स्पेन की पत्रकार एवा फरनानडेज़ द्वारा विश्व में व्याप्त शरणार्थियों की स्थिति पर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने शरणार्थियों के एकीकरण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मेज़बान राष्ट्र को सूझ-बूझ के साथ उतने ही शरणार्थियों का स्वागत-सत्कार करना चाहिये जितनों का वे एकीकरण कर सकें अर्थात् उन्हें शिक्षा, रोज़गार तथा समाज में प्रतिष्ठापूर्ण स्थान प्रदान कर सके।  

सन्त पापा ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि इस समय हम अफ्रीकी देशों तथा मध्यपूर्व के देशों में जारी युद्ध एवं क्षुधा के कारण असंख्य लोगों को अपने घरों का परित्याग करते एवं अन्यत्र शरण लेने पर बाध्य होते देख रहे हैं। ऐसी स्थिति में, उन्होंने कहा, शरणार्थियों को सुरक्षा प्रदान करना उस हर राष्ट्र का दायित्व है जिसके समुद्री रास्तों से शरणार्थी गुज़र रहे हैं।

सन्त पापा ने कहा, "मैंने लौटा दिये गये शरणार्थियों की दयनीय तस्वीरें देखी हैं जो मानव तस्करी के शिकार बन रहे हैं। प्रायः महिलाओं को पुरुषों से अलग कर दिया जाता है और बच्चों को तस्करी के पकड़ लिया जाता है। मानव तस्कर उन्हें अपनी खौफ़नाक जेलों में बन्द कर लेते हैं, नाना प्रकार उनका शोषण किया जाता है, उन्हें यातनाएं दी जाती हैं तथा उनके जननांगों का सौदा किया जाता है। यह सब भयावह है। ऐसे भयावह दृश्य केवल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देखे गये थे।"   

सन्त पापा ने कहा कि सरकारों का दायित्व यह सुनिश्चित्त करना होना चाहिये कि शरणार्थियों को सुरक्षा मिले और वे मानव तस्करों के जाल में न फँसें। उन्होंने कहा, "युद्धों का समस्या सुलझाना कठिन है किन्तु भुखमरी और निर्धनता की समस्या का समाधान ढूँढ़ा जा सकता है, हमें मालूम है कि यूरोपीय देश निर्धन देशों को सहायता प्रदान करने पर विचार कर रहे हैं ताकि अफ्रीकी देशों के लोग अपने ही देशों में शिक्षा, रोज़गार एवं सुविधाजनक जीवन प्राप्त कर सकें।" इसी प्रकार, उन्होंने कहा, "दक्षिणी अमरीका से उत्तरी अमरीका तक आप्रवास करनेवालों को सुरक्षा एवं सहायता प्रदान करने हेतु काम किया जाये।" 








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