2018-06-22 11:12:00

क्षमा से पनपती है एकता, सन्त पापा फ्राँसिस


जिनीवा, शुक्रवार, 22 जून 2018 (रेई,वाटिकन रेडियो): स्विटज़रलैण्ड के जिनीवा में अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पण के अवसर पर अपने प्रवचन में कहा कि “हे पिता हमारे” प्रार्थना हमें ईश्वर के प्रति केन्द्रित कलीसिया होना सिखाती है जो क्षमा में एकता की खोज करती है। जिनिवा के पालेक्सपो सेन्टर में गुरुवार को ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा फ्राँसिस ने एक दूसरे को क्षमा करने हेतु सभी को आमंत्रित किया।  

"हे पिता हमारे" प्रार्थना पर चिन्तन करते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रार्थना ईश्वर के प्रति अभिमुख होने की कुँजी है इसलिये कि इस प्रार्थना के शब्द हमें स्मरण दिलाते हैं कि ख्रीस्तानुयायी अनाथ अथवा अकेलेपन में जीवन यापन करनेवाले लोग नहीं हैं। "हे पिता हमारे" प्रार्थना के शब्द हमारी पहचान, अस्मिता और हमारे जीवन के अर्थ को समेटे हुए है तथा हमें इस बात का एहसास दिलाती है कि हम सब ईश्वर की सन्तान हैं।"   

प्रभु येसु द्वारा सिखाई गई "हे पिता हमारे" प्रार्थना, उन्होंने कहा, हमें "ईश्वर पर केन्द्रित कलीसिया के बारे में सोचना सिखाती है जो हमारे आध्यात्मिक जीवन के लिये एक रोडमैप है। हमें यह एहसास दिलाती है कि हम सब ईश सन्तान, आपस में भाई –बहन और एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं।"

उन्होंने कहा, "इसमें अजन्में शिशु, वयोवृद्ध व्यक्ति सभी शामिल हैं जो अपनी वकालात ख़ुद नहीं कर सकते। साथ ही वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें माफ करना हमारे लिये मुश्किल है, निर्धन और समाज से बहिष्कृत लोग भी इसमें शामिल हैं।"

प्रार्थना में निहित रोटी शब्द पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "रोटी, जीवन के लिये एक अनिवार्य तत्व है, इसलिये "उन लोगों को धिक्कार जो रोटी पर अटकलें लगाते हैं!" उन्होंने कहा कि "रोटी की सादगी" हमें "चुप्पी के साहस, प्रार्थना तथा मानव जीवन के यथार्थ ख़मीर की खोज में मदद प्रदान कर सकती है।"

सन्त पापा ने कहा, "रोटी न केवल एक भौतिक वस्तु है जो जीवित रहने के लिये ज़रूरी है बल्कि यह एक आध्यात्मिक आवश्यकता भी है, जो स्वयं येसु हैं।" उन्होंने कहा कि यदि "ख्रीस्त हमारी दैनिक रोटी नहीं है, हमारे दिनों का केंद्र नहीं हैं तो जिस हवा की हम सांस लेते हैं और बाकी सबकुछ व्यर्थ है।"

हमारे अपराध हमें क्षमा कर उक्त प्रार्थना के शब्दों के बारे में सन्त पापा ने कहा कि क्षमा करना हालांकि सरल नहीं है तथापि, ख्रीस्तानुयायी होने के नाते क्षमा करना हमारा धर्म है जो केवल हमारे आततायी के लिये नहीं अपितु हमारे लिये भी एक वरदान है। क्षमा द्वारा, उन्होंने कहा, "ईश्वर  सभी पापों से हमारे दिलों को मुक्त कर देते तथा हमारे हर अपराध को क्षमा कर हममें एकता के भाव को भर देते हैं।" 








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