2018-06-18 15:51:00

ईश्वर का राज्य रहस्यात्मक रूप से बढ़ता है


वाटिकन सिटी, सोमवार, 18 जून 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 17 जून को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज के सुसमाचार पाठ में, (मार. 4: 26-34), येसु भीड़ को ईश्वर के राज्य एवं उसके विस्तार के बारे बतलाते हैं। इसको बतलाने के लिए वे दो लघु दृष्टांत सुनाते हैं।

पहले दृष्टांत में, ईश्वर के राज्य की तुलना बीज से की गयी है जिसे भूमि पर बोया जाता है, जो अंकुरित होता और रहस्यात्मक रूप से बढ़ता है। किसान की निगरानी के  बिना उसमें बालें लगती हैं जो पकता तथा फसल प्रदान करता हैं। यह दृष्टांत हमें यही संदेश देता है कि येसु के उपदेश एवं कार्यों द्वारा ईश्वर के राज्य की घोषणा हुई है, उसे इस दुनिया में फैलाया जा चुका है और वह बीज की तरह अपने आप बढ़ एवं विकसित हो रहा है जिसे मानवीय रूप से समझा नहीं जा सकता। इसका अंकुरण एवं विकास, बहुत अधिक व्यक्ति के कार्य पर निर्भर नहीं करता किन्तु उन सबसे बढ़कर यह ईश्वर के सामर्थ्य एवं उनकी अच्छाई तथा पवित्र आत्मा की शक्ति का फल है जो ईश्वर के लोगों में ख्रीस्तीय जीवन को संचालित करता है।

इतिहास कभी-कभी अपनी घटनाओं एवं मुख्य पात्रों के साथ, पिता ईश्वर की योजना  की विपरीत दिशा में जाती हुई प्रतीत होता है जो अपने सभी बच्चों के लिए न्याय, भाईचारा एवं शांति चाहते हैं किन्तु परीक्षाओं की इन घड़ियों को हमें आशा एवं इंतजार के साथ बिताना चाहिए।  

संत पापा ने कहा कि वास्तव में, कल की तरह ही आज भी ईश्वर का राज्य रहस्यात्मक रूप से दुनिया में बढ़ रहा है, आश्चर्यजनक रूप से छोटे बीज में छिपी शक्ति, इसकी जीवन शक्ति को प्रकट कर रहा है। व्यक्तिगत और सामाजिक घटनाओं में आशा के चिन्ह हमें ईश्वर के शक्तिशाली कार्यों में विश्वास दिलाते हैं। इस तरह अंधकार एवं कठिनाई की घड़ी में हमें नहीं टूट जाना, बल्कि ईश्वर के प्रति विश्वास्त बने रहना चाहिए। ईश्वर की उपस्थिति जो हमें सदा बचाती है, इस बात को याद रखें कि ईश्वर सदा हमारी रक्षा करते हैं वे हमारे मुक्तिदाता है।

दूसरे दृष्टांत में, येसु ने, ईश्वर के राज्य की तुलना राई के दाने से की है। यह एक बहुत छोटा बीज है किन्तु वाटिका के अन्य सभी पेड़ पौधों से अधिक विशाल पेड़ बन जाता है। हमारे लिए ईश्वर की अनिश्चितता के इस तर्क में प्रवेश करना और हमारे जीवन में इसे स्वीकार करना आसान नहीं है, लेकिन आज प्रभु हमें विश्वास के एक दृष्टिकोण के लिए प्रोत्साहित करते हैं जो हमारी योजनाओं, हमारे हिसाब और हमारे पूर्वानुमानों से परे है। ईश्वर सदा विस्मय के ईश्वर हैं वे हमें सदा विस्मित करते हैं। यह अपने आपको ईश्वर की योजनाओं के लिए व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दोनों ही स्तर पर अधिक उदारता से खोलने का निमंत्रण है। हमारे समुदायों में हमें अच्छाई के छोटे बड़े सभी अवसरों पर ध्यान देना चाहिए जिन्हें ईश्वर प्रदान करते हैं। हम अपने आप को प्रेम, स्वीकृति और सभी के प्रति दयालुता में बढ़ने दें।

कलीसिया की प्रेरिताई की प्रमाणिकता, परिणामों की सफलता या संतुष्टि से नहीं दी  जा सकती, बल्कि ईश्वर में विश्वास के साहस और त्याग की विनम्रता के साथ दी जा सकती है। येसु से अपने पापों को स्वीकार करने तथा आत्मा पवित्र की शक्ति के साथ आगे बढ़ने के द्वारा। हम अपनी नगण्यता और दुर्बलता के प्रति सचेत हैं किन्तु उनकी कृपा से हम महान कार्य कर सकते हैं उनके राज्य का विस्तार कर सकते हैं जो पवित्र आत्मा में न्याय, शांति एवं आनन्द का कार्य है। (रोम. 14.17)

धन्य कुँवारी मरियम हमें हृदयों और इतिहास में ईश्वर के राज्य के विकास में हमारे विश्वास और हमारे काम के साथ सहयोग करने के लिए, सरल और सावधान रहने में मदद करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने सूचनाएँ जारी करते हुए कहा, कल काराकास में बेनेजुएला की येसु की सेविका धर्मबहनों के धर्मसमाज की संस्थापिका मरिया कारमिन की धन्य घोषणा हुई। धन्य कारमिन का जन्म एवं उनकी मृत्यु काराकस में हुई थी, जो अपनी धर्मबहनों के साथ पल्लियों, स्कूलों एवं जरूरतमंद लोगों की सेवा प्रेम से की। ईश्वर की निष्ठावान शिष्या के लिए हम उनकी प्रशंसा करते हैं तथा उनकी मध्यस्थता द्वारा हमारी प्रार्थना को बेनेजुएला के लोगों के लिए अर्पित करते हैं।

संत पापा ने दुःख के साथ संघर्ष से परेशान यमन के लोगों की याद की एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की वह विरोधी दलों के बीच समझौता करने में अपना सहयोग दे ताकि वहाँ की मानवीय परिस्थिति बदतर होने से बचे। उन्होंने यमन की माता मरियम से प्रार्थना की।   

संत पापा ने विश्व शरणार्थी दिवस की याद दिलाते हुए कहा कि यह संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा शऱणार्थियों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। वे बहुधा अत्याधिक परेशानी एवं कष्ट में जीवन व्यतीत करते हैं, हमारे भाई बहनें युद्ध एवं अत्याचार के कारण अपनी भूमि छोडने हेतु मजबूर होते हैं।

संत पापा ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इन प्रक्रियाओं में शामिल देश जिम्मेदारी और मानवता, सहायता और उनके देश को छोड़ने हेतु मजबूर लोगों के लिए सुरक्षा की एक जिम्मेदारी तक पहुंचेंगे।

संत पापा ने प्रत्येक व्यक्ति से इसके लिए सहायता का आग्रह करते हुए कहा कि हम प्रत्येक जन शऱणार्थियों के करीब रहने के लिए बुलाये गये हैं, उनसे मुलाकात करने के लिए समय निकालें तथा उनके योगदान को महत्व दें ताकि वे भी उस समुदाय में शामिल हो सकें जहाँ उन्हें स्वीकार किया जाता है। इस मुलाकात एवं आपसी सम्मान तथा समर्थन द्वारा कई समस्याओं का समाधान हो सकता है।

इसके उपरांत संत पापा ने रोम तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया, खासकर, उन्होंने स्पेन, माल्टा और ब्राजील के तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। संत पापा ने अमरीका, लंदन एवं स्पेन के विद्याथियों का अभिवादन किया।

संत पापा ने "पिता" दिवस की याद करते हुए कहा कि कुल लोग अर्जेंटीना से भी हैं जो आज पिता दिवस मनाते हैं। उन्होंने पिताओं के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया।

अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की। 








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