2018-06-14 12:05:00

आप्रवास के प्रबन्धन में न्याय एवं संवेदनशीलता का सन्त पापा फ्राँसिस ने किया आह्वान


वाटिकन सिटी, गुरुवार, 14 जून 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): अन्तरराष्ट्रीय प्रवसन के मामले में सन्त पापा फ्राँसिस ने न्याय, एकात्मता एवं संवेदनशीलता का आह्वान किया है।

रोम स्थित मेक्सिको के लिये परमधर्मपीठीय प्रेरितिक राजदूतावास में गुरुवार को परमधर्मपीठ एवं मेक्सिको के बीच अन्तरराष्ट्रीय प्रवसन पर विचार गोष्ठी हो रही है जिसमें विश्व के शरणार्थियों एवं आप्रवासियों के समक्ष आनेवाली कठिनाइयों पर विशद चिन्तन किया जायेगा। इस एक दिवसीय विचार गोष्ठी में मेक्सिको एवं परमधर्मपीठ के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं।  

इस उपलक्ष्य में प्रेषित सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने स्मरण दिलाया कि उक्त विचार गोष्ठी उस समय हो रही है जब अन्तरराष्ट्रीय समुदाय शरणार्थियों पर तथा सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवसन पर दो वैश्विक प्रक्रियाओं पर विचार-विमर्श कर रहा है। उन्होंने इस जटिल प्रश्न पर आयोजित उक्त विचार गोष्ठी में भाग लेनेवाले अधिकारियों को प्रोत्साहन दिया कि अन्तरराष्ट्रीय प्रवसन के वैश्विक प्रबन्धन के प्रश्न पर वे न्याय, एकात्मता एवं करुणा के मूल्यों को साझा करने के प्रयासों को सघन करें।

सन्त पापा ने कहा, "यह कार्य मानसिकता में बदलाव की मांग करता है: अन्यों को अपने आरामदायक जीवन पर ख़तरे के रूप में देखने के बदले हमें उनके रचनात्मक मूल्यों एवं जीवन के अनुभवों पर विचार करना चाहिये जो हमारे समाज के संवर्धन में महान योगदान दे सकते हैं।" ऐसा होने के लिए, उन्होंने कहा, "हमारा मूल दृष्टिकोण दूसरे का साक्षात्कार करना,  उसका स्वागत करना, उसे जानना और उसे स्वीकार करना" होना चाहिए।"   

सन्त पापा ने कहा, "वर्तमान प्रवसन स्थिति को स्वीकार करने और इसका प्रत्युत्तर देने के लिए, समस्त अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सहायता की आवश्यकता है, क्योंकि इसके अंतर्राष्ट्रीय आयाम कई राज्यों की क्षमताओं और संसाधनों से अधिक हैं। आप्रवास के हर चरण में इस तरह का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है: मूल देश को छोड़ने से लेकर गंतव्य तक पहुंचने तथा पुन: प्रवेश और पारगमन की सुविधा तक।"

सन्त पापा ने कहा कि हर मेज़बान देश में आप्रवासी बहुत कमज़ोर होते हैं तथा अकेलापन एवं भिन्न होने की भावना को महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम इस मानवीय चुनौती का एक ठोस और सम्मानित उत्तर देना चाहते हैं तो इस तथ्य को मान्यता दिया जाना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

अन्त में सन्त पापा ने कहा कि आप्रवास का प्रश्न केवल अंकों से जुड़ा नहीं है अपितु यह व्यक्तियों का प्रश्न है जिनमें से प्रत्येक का अपना इतिहास, अपनी संस्कृति, अपनी भावनाएँ और आकाँक्षाएँ हैं। इन लोगों को अनवरत जारी सुरक्षा की आवश्यकता है भले ही उनकी प्रवसन स्थिति जो भी हो उनके मौलिक अधिकारों एवं उनकी प्रतिष्ठा की सुरक्षा नितान्त आवश्यक है।








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