2018-06-06 15:39:00

पूर्व न्यायाधीशों द्वारा कंधमाल में न्यायिक विफलता


कोची, बुधवार 6 जून 2018 (उकान) : सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सीरियक जोसेफ ने स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के लिए कारावास में बंद के सात ख्रीस्तीयों की अपील की सुनवाई में अनावश्क देरी की पुष्टि की है, जिसके चलते 2008 में ओडिशा के कंधमाल जिले में खून और तबाही हुई थी।

"यह (देरी) न्यायिक प्रणाली की विफलता है। न्यायिक प्रक्रिया में, कई कारणों से अपील में देरी हो सकती है। लेकिन इस मामले में इसे लंबित रखने के लिए कोई (तकनीकी) कारण नहीं हैं। ऐसा लगता है कि जानबूझकर देरी हो रही है, शायद यह एक उपयुक्त न्यायाधीश के सामने लाया गया है।" न्यायमूर्ति जोसेफ ने टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति जोसेफ 4 जून को कोच्चि में पत्रकार एंटो अककारा का मलयालम पुस्तक 'निरपाधिकल थडवाड़ायिल' का अंग्रेजी अनुवाद (इन्नोसेंट इम्प्रिससन्ड) अर्थात (निरपराध कैदी) के विमोचन के अवसर पर   बोल रहे थे।  पत्रकार एंटो अककारा ने खोजी पुस्तक 'हू किल्ड स्वामी लक्ष्मणानंद' भी लिखा है।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, "लेखक ने चौंकाने वाले तथ्यों सामने लाया है कि यहां मानसिक रूप से अस्वस्थ अशिक्षित भी जेल में है। पुस्तक में लाए गए सबूत कंधमाल में न्याय की उपहासात्मक रचना का खुलासा करते हैं।"

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि "साहस के साथ एकत्रित किये गये चौंकाने वाले साक्ष्य प्रस्तुत करने वाली  यह पुस्तक भारत में जांच पत्रकारिता में एक मील का पत्थर है। मुख्यधारा की मीडिया ने कंधमाल को "दबाव, आग्रह या उत्पीड़न के डर के कारण" अनदेखा कर दिया है।

केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी के शमसुद्दीन ने सभा को बताया कि "कंधमाल वह काम है जिसे हम फासीवाद कहते हैं।"

न्यायमूर्ति शमसुद्दीन ने विस्तार से बताया कि कथित तौर पर बेटीकोला के काथलिक पल्ली द्वारा जन्माष्टमी रात पर स्वामी को मारने के लिए झूठा प्रस्ताव, निर्दोष ख्रस्तीयों के दोष को सुनिश्चित करने के लिए सुनवाई अदालत में महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया था।

न्यायमूर्ति शमसुद्दीन ने बताया, दोषी करार करने के बाद, "उसी अधिकारी ने पूछताछ आयोग (न्यायमूर्ति ए एस नायडू) को बताया कि प्रस्ताव जाली था। फिर भी निर्दोषों की अपील स्थगित कर दी गई। यह चौंकाने वाली बात है।"








All the contents on this site are copyrighted ©.