2018-06-06 16:08:00

"जो प्रार्थना करता है उसे मुक्ति मिलती है": संत पापा फ्राँसिस की प्रस्तावना


वाटिकन सिटी, बुधवार 6 जून 2018 (रेई) : “मेल-मिलाप का संस्कार के दौरान किसी को अपने पापों से शर्मिंदा नहीं होना चाहिए।”  संत पापा फ्राँसिस ने डॉन जॉकोमो तन्तार्डिनी द्वारा लिखी "30 जोरनी" अर्थात "30 दिन" पत्रिका की पुस्तिका के छठे संस्करण के लिए प्रस्तावना लिखी।

"इसलिए आइये, प्रभु येसु । मेरे पास आइये, मेरी तलाश कीजिए, मुझे ढूँढिये, मुझे अपनी बाहों में भर लीजिये, मुझे अपने पास बुलाइये"। संत पापा फ्राँसिस ने 2001 में डॉन जॉकोमो तन्तार्डिनी द्वारा लिखी गई "कि प्रेगा सी सालवा" अर्थात "जो प्रार्थना करता है उसे मुक्ति मिलती है" : पुस्तिका के छठे संस्करण की प्रस्तावना में संत अम्ब्रोजो की इस प्रार्थना को याद किया, "ख्रीस्तीय परंपरा की सरल प्रार्थनाओं को इकट्ठा करना जो एक अच्छा पापस्वीकार करने में मददगार है।"

ईश्वर ही पहल करते है - संत पापा लिखते हैं, "2012 में डॉन तन्तार्डिनी की मृत्यु  हुई वे हमें बाल सुलभ हृदय की याद दिलाते हैं। कि उनकी पुस्तिका “ईश्वर ही पहल करते है,उनके बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते” का अनुवाद अनेक भाषाओं में की गई  और पत्रिका "30 जोरनी" द्वारा प्रकाशित की गई। उनकी पुस्तिका दुनिया के कई काथलिक मिशन केन्द्रों में हुँच गई है। ,

शर्म एक कृपा है - पुस्तिका के उद्देश्यों में से एक के दवारा संत पापा खुद को याद करते हैं और सुझाव देते है कि "हमें अच्छा पापस्वीकार किस तरह से करना है।" अपने किये पापों की शर्मिंदगी से शर्मिंदा हुए बिना, अपने विवेक के आत्म-परीश्रण से लेकर अपने दवारा किये गये पापों के लिए ईमानदारी से दुखित होना "..." क्योंकि शर्म भी एक कृपा है अगर यह हमें क्षमा मांगने के लिए प्रेरित करती है।"

ईश्वर हमारी खुशी चाहते हैं - संत पापा लिखते हैं, "पश्चाताप का संकेत ईश्वर के लिए पर्याप्त है पापस्वीकार पीठिका में हमें अपने पापों को दीन मन से बतलाना चाहिए, ईश्वर हमारे पापों का लेखा नहीं लेते। उनके लिए तो अपने किये पापों के प्रति दुखित होना ही काफी है ईश्वर हमारी आत्मा को यातना नहीं देना चाहते, वे हमें गले लगाना चाहते हैं। वे हमारी खुशी चाहते हैं।"

दया धैर्य के साथ इंतजार करती है - अक्सर डॉन तांतार्डिनी यह कहा करते थे कि "जो लोग अच्छी तरह पापस्वीकार करते हैं वे पवित्र हो जाते हैं", सब कुछ ईश्वर के हाथों में है। "ईश्वर धैर्यपूर्वक अपने उड़ाव बेटे की वापसी का इंतजार करते हैं। वास्तव में वे इस बात की उम्मीद करते हैं, कि उसका प्रेम और कोमलता उसके दिल को छूवे और उसमें वापस लौटने की इच्छा जागृत हो और वह फिर से चलना शुरू करने में सक्षम हो।"








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