2018-06-01 15:56:00

शैतान मानव प्रतिष्ठा को नष्ट करता है


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 1 जून 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि न केवल ख्रीस्तीयों के विरूद्ध किन्तु हर प्रकार के लोगों के विरूद्ध, आज हम संस्कृतिक उपनिवेश, युद्ध, भूख, गुलामी आदि के रूप में भारी अत्याचार देख रहे हैं। प्रभु हमें कृपा दे कि हम उसका सामना कर सकें एवं ईश्वर के प्रतिरूप की रक्षा येसु ख्रीस्त की शक्ति से कर सकें।

अत्याचार ख्रीस्तीय जीवन का हिस्सा

प्रवचन में संत पापा ने संत पेत्रुस के पत्र से लिये गये पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि ख्रीस्तीयों पर अत्याचार सदियों से होता रहा है। यह ख्रीस्तीय जीवन का अंग बन गया है। ख्रीस्तीय अत्याचार के शिकार बनते हैं क्योंकि वे पिता के प्रति निष्ठावान रहते हैं।

उन्होंने कहा कि अत्याचार वायु के समान है जिसपर आज ख्रीस्तीय जीता है क्योंकि आज भी अनेक लोग शहीद हो रहे हैं। ख्रीस्त के प्रेम के कारण अनेक लोग अत्याचार सह रहे हैं। कई देशों में ख्रीस्तीयों को धर्म पालन करने का अधिकार नहीं है। क्रूस पहनने के कारण उन्हें जेल जाना अथवा मृत्यु दण्ड का सामना करना पड़ रहा है। लोग पहले से अधिक शहीद हो रहे हैं किन्तु यह समाचार नहीं है अखबारों में इसे प्रकाशित नहीं किया जाता है।   

ईश्वर के प्रतीक महिलाओं एवं पुरूषों पर अत्याचार

संत पापा ने गौर किया कि आज अत्याचार हो रहा है क्योंकि हर स्त्री एवं पुरूष ईश्वर के जीवित प्रतीक हैं। ख्रीस्तीयों एवं मानवता दोनों पर हो रहे अत्याचार के पीछे बुराई है। ख्रीस्तीयों में ख्रीस्त की उपस्थिति एवं लोगों में ईश्वर के स्वरूप को शैतान नष्ट करना चाहता है। वह शुरू से ही ऐसा कर रहा है। हम उत्पति ग्रंथ में पढ़ते हैं कि ईश्वर ने स्त्री एवं पुरूष को ईश्वर के प्रतिरूप में गढ़कर जो समांजस्य स्थापित की थी उसने उसे नष्ट करने की कोशिश की और वह उसमें सफल भी हुआ। उसने इसके लिए धोखा और लालच के हथियार का प्रयोग किया। 

संत पापा ने भूख का वर्णन अन्याय के रूप में किया जो स्त्रियों एवं पुरूषों को नष्ट करता है क्योंकि उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है यद्यपि दुनिया में प्रचुर खाद्य पदार्थ उपलब्ध है। उन्होंने मानव शोषण और विभिन्न प्रकार की दासता पर गौर करते हुए याद किया कि उन्होंने "जेल के अंदर मारा गया" नामक एक चलचित्र देखा जिसमें विस्थापितों को बंद कर रखा गया था तथा उन्हें दास बनाने के लिए प्रताड़ित किया गया। संत पापा ने कहा कि मानव अधिकार की घोषणा के 70 वर्षों बाद आज भी यह जारी है। सतं पापा ने संस्कृतिक उपनिवेश पर चिंतन करते हुए कहा कि यह वही है जो शैतान चाहता है, "मानव प्रतिष्ठा को नष्ट करना।" यही कारण है कि शैतान हर तरह के अत्याचार के पीछे है।  

संत पापा ने कहा, "युद्ध ईश्वर के प्रतिरूप में गढ़े लोगों को नष्ट करने का एक साधन है, किन्तु यह उन लोगों को भी नष्ट करता है जो युद्ध कराते हैं, जो सत्ता प्राप्त करने के लिए युद्ध की योजनाएँ बनाते हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो हथियारों के उद्योग को बढ़ावा देते हैं ताकि मानवता को नष्ट कर सकें, स्त्री एवं पुरूष के प्रतिरूप को शारीरिक, मानसिक एवं संस्कृतिक रूप से नष्ट कर दें। यदि वे ख्रीस्तीय न भी हों तो भी शैतान उन्हें प्रताड़ित करता है क्योंकि वे ईश्वर के प्रतिरूप हैं। संत पापा ने कहा क आज सभी अत्याचार के शिकार हो रहे हैं क्योंकि सभी अत्याचारों के पिता (शैतान) ईश्वर के प्रतिरूप को सहन नहीं करता है अतः वह उस प्रतिरूप पर आक्रमण कर उसे नष्ट करना चाहता है। संत पापा ने कहा कि इसे समझना कठिन है किन्तु यदि हम इसे समझना चाहें तो इसके लिए बहुत अधिक प्रार्थना करने की आवश्यकता है।








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