2018-05-29 16:20:00

आनन्द की हवा ही ख्रीस्तीयों की सांस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 29 मई 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में सोमवार 28 मई को, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कहा कि हम अपने पसंद के गुलाम न बनें बल्कि आनन्द एवं सांत्वना के व्यक्ति बनें।  

संत पापा ने कहा, "आनन्द ही ख्रीस्तीयों की सांस है, आनन्द जो सच्ची शांति से मिलती है न कि आज की संस्कृति प्रदत्त सुख से जो गलत रास्ते पर ले चलती और मस्ती के कई साधनों की खोज करती है, ताकि जीवन को मधुर बना सके।    

संत पापा ने प्रवचन में चुनौतियों एवं परेशानियों के बीच ख्रीस्तीयों के आनन्द की विशेषता को प्रस्तुत किया।

प्रवचन में उन्होंने संत मारकुस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ एक धनी व्यक्ति का जिक्र है जो अपने धन का त्याग करने में असमर्थ था और उदास होकर चला गया।

संत पापा ने कहा, "एक सच्चा ख्रीस्तीय उदास नहीं हो सकता। एक आनन्द के व्यक्ति बनने का अर्थ है शांति का व्यक्ति बनना और शांति के व्यक्ति बनने का अर्थ है सांत्वना का व्यक्ति बनना।"  

ख्रीस्तीय आनन्द ही एक ख्रीस्तीय की सांस है, एक व्यक्ति जिसके हृदय में आनन्द नहीं है वह ख्रीस्तीय नहीं है। संत पापा ने बतलाया कि आनन्द हमारी अपनी कमाई नहीं है बल्कि पवित्र आत्मा का वरदान है।  

संत पापा ने ख्रीस्तीयों के आनन्द का आधार "स्मृति" बतलाया। उन्होंने कहा, "हम वास्तव में, भूल जाते हैं कि प्रभु ने हमारे लिए क्या किया है, उन्होंने हमें नया जीवन दिया है, आशा प्रदान की है एवं अपने पुत्र के द्वारा हमसे मुलाकात की है।" संत पापा ने कहा कि स्मृति एवं आशा दो चीजें हैं जो ख्रीस्तीयों को खुशी के साथ जीने का अवसर देते हैं। संत पापा ने यह भी स्पष्ट किया कि आनन्द का अर्थ हंसते रहना नहीं है, इसका अर्थ मनोरंजन भी नहीं है। बल्कि ख्रीस्तीय आनन्द एक ऐसी शांति है जिसे केवल ईश्वर प्रदान करते हैं। यही ख्रीस्तीय आनन्द है और इस आनन्द को बढ़ावा देना आसान नहीं है।

संत पापा ने खेद प्रकट किया कि आज की संस्कृति ऐसा सुख प्रदान करती है जो कभी भी पूर्ण खुशी नहीं दे सकती चूँकि आनन्द पवित्र आत्मा का वरदान है यह परेशानी एवं कठिनाइयों की घड़ियों में भी हमें शांत बनाये रखता है।

संत पापा ने कहा कि दो प्रकार की बेचैनी है, एक स्वस्थ एवं दूसरा अस्वस्थ जो सबसे बढ़कर अपनी सुरक्षा की खोज करता है। सुसमाचार का युवक इसलिए भयभीत था कि धन का त्याग करने के बाद वह खुश नहीं रह पायेगा।

ख्रीस्तीयों के रूप में आनन्द और सांत्वना ही हमारा सांस होना चाहिए।








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