2018-05-24 11:51:00

बेरोज़गार युवाओं, आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के प्रति एकात्मता का आह्वान


वाटिकन सिटी, गुरुवार, 24 मई 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): लेको दी बेरगामो नामक इताली दैनिक से बातचीत में सन्त पापा फ्राँसिस ने बेरोज़गार युवाओं तथा शरणार्थियों एवं आप्रवासियों के प्रति एकात्मता का आह्वान किया है।  

सन्त जॉन 23 वें की जन्मभूमि बेरगामों में तीर्थयात्रा पर बातचीत करते हुए उक्त दैनिक को दी एक भेंटवार्ता में सन्त पापा फ्राँसिस ने युवाओं की बेरोज़गारी को एक अति गम्भीर समस्या निरूपित किया। उन्होंने कहा, "युवाओं की बेरोज़गारी एक सामाजिक पाप है तथा समाज इसके लिये ज़िम्मेदार है।"

सन्त पापा ने कहा कि बेरोज़गारी तथा युवाओं से संलग्न अन्य समस्याओं के समाधान हेतु सन्त पापा जॉन 23 वें के प्रति अभिमुख होने की आवश्यकता है जिन्होंने सदैव युवाओं की प्रेरिताई पर बल दिया, विशेष रूप से, विश्व युद्ध के दौरान कई सैनिकों की मदद की और फिर इटली के प्रथम छात्रावास में तीन वर्षों तक सेवाएँ अर्पित कीं। सन्त पापा फ्राँसिस ने बताया कि सन्त पापा जॉन 23 वें ने अपने अख़बार पर लिखा था, "युवाओं के प्रति मेरा स्नेह सदैव बना रहेगा जिस प्रकार माँ का प्रेम अपनी सन्तान के लिये सदा बना रहता है।"     

वर्तमान विश्व में व्याप्त शरणार्थियों एवं आप्रवासियों की समस्या पर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "कई देश अपनी दीवारों को ऊँचा कर रहे हैं ताकि कोई अन्दर न आ पाये किन्तु यह केवल उनके भय का प्रतीक है। लोग शरण देने से कतरा रहे हैं, घबरा रहे हैं क्योंकि वे दूसरों की पीड़ा को देखना नहीं चाहते।"

सन्त पापा ने कहा, "विश्व में शरणार्थियों एवं आप्रवासियों की समस्या बहुत जटिल है और कई देश दीवारों को उठा रहे हैं क्योंकि उन्हें भय हैं कि अजनबियों का आना उनके आरामदायक जीवन को अस्त-व्यस्त कर सकता है। वे उन वस्तुओं की रक्षा करना चाहते हैं जिन्हें अन्यों में साझा किया जाना चहिये। वे दीवार उठाकर अपने हृदयों को बन्द कर रहे हैं, कब्र की तरह उन्हें सील कर रहे हैं।"

सन्त पापा ने कहा, "यहाँ केवल उदारता अथवा एकात्मता का प्रश्न नहीं है बल्कि एक नई संस्कृति, एक नई मानसिकता के निर्माण की आवशयकता है ताकि लोग समझ सकें कि हम सब एक ही मानवपरिवार और एक ही मानव समुदाय के सदस्य हैं।"








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