2018-05-05 14:31:00

संत पापा ने धर्मसमाजियों को प्रार्थना, गरीबी एवं धैर्य को अपनाने की सलाह दी


वाटिकन सिटी, शनिवार, 5 मई 2018 (वाटिकन न्यूज़): संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 4 मई को वाटिकन स्थित पौल षष्ठम सभागार में, धर्मसमाजियों के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के 700 सदस्यों से मुलाकात की। 
उन्हें सम्बोधित कर संत पापा ने कहा कि वे प्रभु के प्रति सच्चे समर्पण को विकसित करें। उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे अपने समर्पित जीवन में पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन को पहचानें।  
इस बात पर गौर करते हुए कि ख्रीस्त के शरीर में पवित्र आत्मा विविधता एवं एकता के रचयिता हैं उन्होंने धर्मसमाजियों के जीवन की तीन मुख्य विन्दुओं पर प्रकाश डाला : प्रार्थना, गरीबी एवं धीरज।
संत पापा ने कहा, "प्रार्थना का अर्थ है उनकी ओर हमेशा लौटना जिन्होंने सर्वप्रथम हमें सब कुछ छोड़ने एवं अपना अनुसरण करने का निमंत्रण दिया है। इस सच्चे समर्पण का अर्थ है परिवार, पेशा एवं उन सब का त्याग करना जो हमारे लिए प्रिय है। संत पापा ने मदर तेरेसा के समर्पित जीवन की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि कई चुनौतियों एवं समस्याओं के बावजूद वे प्रार्थना में प्रभु के साथ समय व्यतीत करती थीं।"
संत पापा ने गरीबी के बारे कहा कि उसके बिना धर्मसमाजी जीवन का कोई लाभ नहीं है। शैतान पॉकेट के माध्यम से हमारे जीवन में प्रवेश करता है जो हमें घमंड एवं अभिमान की ओर ले चलता जबकि निर्धनता का मनोभाव हमें दुनियादारी की भावना से बचाता है। 
धीरज के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि दुनिया की समस्याओं एवं पीड़ाओं का सामना करने में धीरज की आवश्यकता पड़ती है यहाँ तक कि धर्मसमाजी बुलाहट में भी इसकी जरूरत है। धैर्य के बिना हम थक जाते तथा आध्यात्मिक बेहोशी की स्थिति में पड़कर ईश्वर की कृपा के लिए अपना हृदय द्वार बंद कर देते हैं। 
संत पापा ने अब्राहम एवं साराह का स्मरण दिलाया जो वृद्धावस्था तक धीर बने रहे। उन्होंने कहा कि उसी तरह धीरज, गरीबी एवं प्रार्थना द्वारा ईश्वर हमारे व्यक्तिगत एवं सामुदायिक जीवन में फल उत्पन्न करते हैं।   

 








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