2018-05-05 15:01:00

एक अच्छा चरवाहा सतर्क और अपने झुंड के साथ रहता है, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शनिवार 5 मई 2018 (वीआर,रेई) : एक भले चरवाहे के रुप में धर्माध्यक्ष अपने लोगों के समीप रहता, उनकी देखभाल करता और उनके विश्वास को मजबूत करता है। ये बात संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 4 मई को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था को प्रार्थनालय में पवित्र युखारिस्त के दौरान अपने प्रवचन में कही।

ईश्वर के लोगों में विचलन

संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरित चरित से लिये गये पहले पाठ पर चिंतन किया जहाँ पेत्रुस और अन्य प्रेरित अंताखिया में ख्रीस्तीयों के बीच शांति की स्थापना के लिए पौलुस, बारनाबास और दो प्रेरितों को भेजा। अंताखिया की कलीसिया के प्रभारी जो खुद को विश्वास के सच्चे रूढ़िवादी धर्मविदों के रूप में मानते थे, वास्तव में विश्वासियों को विचलित कर रहे थे जबकि, प्रेरितों को यानी आज के धर्माध्यक्षों को अपने लोगों के विश्वास को मजबूत करना है।

 धर्माध्यक्ष- जागृत, सावधान और सहभागी

संत पापा ने कहा, एक धर्माध्यक्ष हमेशा सजग रहता है, आने वाली हर कठिनाई से सावधान रहता है। वह एक रक्षक है और आने वाले भेड़िये से भेड़ों की रक्षा करना जानता है।"

संत पापा ने सच्चे चरवाहे और मजदूर में अंतर दिखाते हुए कहा कि मजदूर तो सिर्फ मजदूरी पाने के लिए काम करता है अगर भेड़िया आकर एक भेड़ को खा भी ले तो उसे उसकी कोई परवाह नहीं। सच्चा गड़ेरिया सजग रहता है वह एक एक भेड़ की चिंता और उनकी रखवाली करता है। उनके साथ रहता है उनके विश्वास को मजबूत करता है और जब एक भेड़ भटक जाती है तो उसे ढूँढ़ लाता है। वह एक को भी भटकने और खोने नहीं देता है।

धर्माध्यक्ष-अपने लोगों के करीब

संत पापा ने कहा कि धर्माध्यक्ष एसा चरवाहा है जो अपनी एक-एक भेड़ को नाम से जानता है। वह उनके करीब रहता है। साथ ही उनके विश्वासी भी महसूस कर सकते हैं कि कौन उनकी देखभाल सही रुप में करते हैं और कौन नहीं करते हैं। एक धर्माध्यक्ष जो अपने को बहुत व्यस्त दिखाता है अपने लोगों से मिलने के लिए उसके पास समय नहीं है, या एक व्यापारी की तरह जो अपने मिशन के साथ असंगत चीजों में व्यस्त रहता है, जो सूटकेस हाथ में लिए यात्रा में अपना समय बिताता है या जो गिटार हाथ में लिए हुए नजर आता है, इत्यादि।

संत पापा ने ‘करीबी’ शब्द पर जोर देते हुए कहा कि विश्वासी सचमुच में एक भले चरवाहे को पहचानते हैं। भला चरवाहा अपने लोगों के करीब रहता उनके दुख-सुख में सहभागी होता और उनके लिए अपने प्राण देने को भी तैयार रहता है।

संत पापा ने एक भले चरवाहे के रुप में मोग्रोवेहो के संत तुरिबियुस का उदाहरण देते हुए कहा कि स्पानी संत की एक छोटे से आदिवासी गाँव में अपने ही ख्रीस्तीयों के बीच मृत्यु हुई। लोगों ने उनके लिए ‘चिरिमिया’ संगीत बजाया जिससे कि वे शांति के साथ इस दुनिया से विदा ले सकें।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने कलीसिया में अच्छे धर्माध्यक्षों के लिए प्रार्थना करने की प्रेरणा दी जो अपने लोगों के लिए प्रार्थना करें, उनके साथ रहें और उन्हें विश्वास में मजबूत करें।








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