2018-04-24 16:50:00

बलात्कार के बाद स्कूल में छोड़ दी गयी, छः साल की बच्ची


मुम्बई, मंगलवार, 24 अप्रैल 2018 (रेई)˸ हिन्दूस्तान टाइम्स से मिली जानकारी अनुसार एक छः साल की बच्ची के साथ बलात्कार कर, उसे ओडिशा के कटक स्थित एक स्कूल के बरमदा में गंभीर हालात में छोड़ दिया गया था। बच्ची का इलाज एक अस्पताल में चल रहा है।

बच्ची जिसका नाम अभी तक मालूम नहीं हो पाया है उसके चेहरे पर कई घाव हैं तथा उसमें गला घोंटने के निशान हैं। डॉक्टर ने कहा, "हम उसे बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।"

कंधमाल कांड में बलत्कार की शिकार सि. मीना बारवा ने एशिया न्यूज़ से कहा, "छः साल की बच्ची के साथ भयंकर बलात्कार मुझे भारत के लिए रोने हेतु मजबूर कर रहा है।"

ओडिशा में छोटी बच्ची के साथ बलत्कार की यह घटना 21 अप्रैल की है। इससे पहले आठ साल की असीफा बानो के साथ हुए बलत्कार एवं हत्या ने लोगों में गहरा आक्रोश पैदा किया था, जिसे एक सप्ताह तक मंदिर में रखकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था और बाद में उसकी हत्या कर जम्मू काश्मीर के जंगल में फेंक दिया गया था।

ओडिशा पुलिस ने छः साल की इस बच्ची के बलात्कार के आरोप में 25 वर्षीय एक लड़के को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने स्वीकार किया है कि उसने बच्ची को चॉकलेट और मिठाई देने का प्रलोभन देकर दुकान में लिया, फिर पाँच रूपये का चॉक्लेट खरीद कर उसे स्कूल की ओर ले गया था जहाँ उसने बच्ची के साथ बलत्कार किया एवं उसपर आक्रमण किया। मदद के लिए चिल्लाने और रोने पर उसने बच्ची को डराया, उसके मूँह को बंद किया तथा उसके सिर को दीवार से टकराया। अंत में यह सोचकर कि बच्ची मर चुकी है वह उसे अचेतन आवस्था में छोड़कर चला गया।

यद्यपि अदालत से रिपोर्ट आना बाकी है, चिकित्सा कर रहे डॉक्टरों ने जानकारी दी कि बच्ची के शरीर के गुप्त हिस्सों में घाव पाये गये हैं। पुलिस ने बलात्कार के कथित अपराधी पर, हत्या के प्रयास और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के उल्लंघन का आरोप लगाया है। न्यायधीश के सामने आरोपी ने बेल की मांग की किन्तु उसकी मांग को अस्वीकार कर दिया गया है।

सिस्टर मीना ने खेद प्रकट करते हुए कहा "इन दिनों कई नाबालिगों के साथ हो रही निर्दयता एवं क्रूरता की घटनाएं, भारत के सभी लोगों के लिए, हमारी लड़कियों एवं महिलाओं के लिए बहुत बड़ा आघात है। क्या हमारा अंतःकरण नहीं है, हमारी अपनी ही माताओं एवं बहनों के लिए कोई सम्मान नहीं है? जब मैंने इस घटना को पढ़ा एवं टीवी में देखा, इसने मुझे बहुत अधिक प्रभावित किया। मैं इसे पचा नहीं सकती। मुझे निराशा एवं निस्साहाय महसूस हो रहा है। मन में सवाल उठ रहा है कि क्या मेरे देश के लोग इस स्तर तक भी जा सकते हैं? महिलाएँ, लड़कियाँ एवं बच्चियाँ किनके पास जाएँ? मैं कल्पना नहीं कर सकती कि उनके माता-पिता को कितना दुःख हो रहा होगा? क्या हमारे देश के पुरूष इतने बुरे हो गये हैं? मैं फिर एक बार असुरक्षित एवं भयभीत महसूस कर रही हूँ। यह बहुत अधिक है मैं इससे समझौता नहीं कर सकती। मेरा हृदय भारी है। ईश्वर उन लोगों को क्षमा करे और मेरा आंसू पोंछ दे ताकि मैं निराशा से आशा कर सकूँ एवं इंतजार कर सकूँ कि मेरा देश सचेत होगा।








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