2018-04-21 14:47:00

संत पापा ने गुरूकुल छात्रों को प्रेम में बढ़ने की सलाह दी


वाटिकन सिटी, शनिवार, 21 अप्रैल 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 21 अप्रैल को, वाटिकन के सामान्य लोकसभा परिषद भवन में, रोम स्थित अंग्रेजी कॉलेज सेमिनरी के अध्यापकों एवं विद्यार्थियों से मुलाकात की।

उनसे मुलाकात कर खुशी जाहिर करते हुए संत पापा ने उन्हें जीवन के दो आधार स्तम्भों, ईश्वर के प्रति प्रेम एवं पड़ोसियों के प्रति प्रेम में बढ़ने की सलाह दी।

ईश्वर के प्रेम में बढ़ने का प्रोत्साहन देते हुए उन्होंने कहा, "यह देखना सुखद है कि युवा प्रभु के लिए दृढ़ एवं आजीवन समर्पण हेतु तैयारी कर रहे हैं किन्तु यह आज की "अस्थायी संस्कृति" के कारण मेरी तुलना में आपके लिए अधिक कठिन है। इस चुनौती से बाहर आने तथा सच्ची प्रतिज्ञा करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सेमिनरी की इस अवधि में आप अपने आध्यात्मिक जीवन को पुष्ट करें, अपने आंतरिक द्वार को बंद करना सीखें। इस तरह ईश्वर एवं कलीसिया के प्रति आपकी सेवा सुदृढ़ हो जायेगी और आप उस शांति एवं खुशी को प्राप्त करेंगे जिसको केवल येसु दे सकते हैं।"

संत पापा ने कहा कि इस तरह वे संत फिलिप नेरी के आदर्शों पर चलकर ख्रीस्त का प्रसन्नचित साक्ष्य दे पायेंगे।

संत पापा ने पड़ोसियों के प्रति प्रेम में बढ़ने की सलाह देते हुए कहा, "जैसा कि आप जानते हैं कि हम ख्रीस्त का साक्ष्य अपने लिए नहीं किन्तु सेवा के द्वारा दूसरों के लिए देते हैं। यह सेवा हम न केवल भावुकतावश देते वरन्, उस प्रभु का आज्ञापालन करते हैं जिन्होंने घुटनों पर झुककर अपने चेलों के पैर धोये।" (यो. 13:34) हमारी मिशनरी शिष्यता एकाकी के लिए नहीं है बल्कि दूसरे पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं लोकधर्मी स्त्री एवं पुरूषों के साथ सहयोग करने के लिए है। पड़ोंसियों के प्रति प्रेम आसान नहीं है यही कारण है कि हमारे मिशन को प्रभावशाली बनाने के लिए हमें प्रभु में सुदृढ़ होने की आवश्यकता है जो प्रेम करते एवं हमें पुष्ट करते हैं। इसी आंतरिक शक्ति से हम भलाई करने में धीर बने रह सकते हैं। यही आंतरिक शक्ति, प्रेम के प्रति निष्ठा, आपके कॉलेज के शहीदों के जीवन की विशेषता है और यह हमारे लिए भी आवश्यक है जो येसु का अनुसरण करते हैं जिन्होंने हमारी आयोग्यता के बावजूद अपनी सेवा करने हमें बुलाया है और जो अपना सामर्थ्य कमजोर लोगों के बीच प्रकट करते हैं।"

संत पापा ने ईश्वर एवं पड़ोसियों के प्रति प्रेम में बढ़ने का रास्ता बतलाते हुए कहा, "ईश्वर के प्रति प्रेम एवं पड़ोसियों के प्रेम में बढ़ने का एक रास्ता है समुदाय में रहना।" उन्होंने कहा कि हमारे ख्रीस्तीय जीवन में कई बाधाएँ हैं किन्तु हम प्रेम, प्रार्थना एवं आमोद-प्रमोद के द्वारा उन सभी बाधाओं से बाहर आ सकते हैं। संत पापा ने उन्हें कैंटरबरी के संत थॉमस के आदर्शों को अपनाते हुए अपनी कमजोरियों से भयभीत नहीं होने एवं दूसरों की सहायता करने की सलाह दी।      

संत पापा ने उन्हें सलाह दी कि वे आपसी मित्रता को पुष्ट करें एवं अच्छे संबंध स्थापित करें जो उन्हें भावी मिशन हेतु सहायता प्रदान करेगा।








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