2018-03-28 16:33:00

म्यांमार अतीत के घावों के पीछे छोड़े, कार्डिनल बो


यांगून, बुधवार 28 मार्च 2018 (उकान) : यांगून के महाधर्माध्यक्ष और म्यांमार के इतिहास में पहले कार्डिनल ने पवित्र सप्ताह के लिए अपने संदेश में "आशा और शांति के राष्ट्र के निर्माण" हेतु एक नई अपील की शुरूआत की है, जिसमें उन्होंने बर्मी लोगों को "मृत्यु को नहीं पर जीवन का चुनाव करने के लिए आमंत्रित किया।"

कार्डिनल बो ने कहा, "पास्का आशा का दिन है,  आइये, , हम उन पत्थरों को निकालने का प्रयास करें, जो मानव निर्मित कब्रों में हमारे लोगों को फंसा दिया है। पुनरुत्थान की महान घटना तीन महत्वपूर्ण चरणों में व्यक्त की गई है: येसु निर्दोष मेमने की पीड़ा; पवित्र शनिवार की आशा; कब्र का पत्थर हटाकर येसु अंधकर की शक्ति पर विजय पाना।" कार्डिनल बो ने कहा कि म्यांमार भी अपने हाल के इतिहास में इन चरणों के माध्यम से चल रहा हैं: "अतीत में लाखों पुरुषों और महिलाओं के पीड़ित होने का अनुभव करते हुए,  वर्तमान में हम पवित्र शनिवार में आशा रखते हैं  और यह भरोसा करते हैं कि यह देश अतीत के घावों को पीछे छोड़ देगा।"

संत पापा फ्राँसिस के वाक्य

तब कार्डिनल बो ने यांगून में पवित्र मिस्सा के दौरान,  संत पापा फ्राँसिस द्वारा हाल में प्रेरितिक यात्रा की समाप्ति पर बर्मी लोगों को शांति और सुलह की अपील का, हवाला देते हुए  कहा,"जैसा कि संत पापा ने कहा: अतीत के बंधनों और छिपे हुए घावों को छोड़ दें। " देश को "मनुष्यों द्वारा बनाई गई कब्रों से बाहर निकलने के लिए उन पत्थरों को हटा दें जो हमारे लोगों के आशा में बाधक हैं।"

कार्डिनल बो ने कहा, "  आइये, घृणा और बदला लेने के पत्थरों को नकारें, हम उन पत्थरों को निकालने के लिए जुलुस में शामिल हों, जिन्होंने मानव निर्मित कब्रों में हमारे लोगों को फंसा दिया है। हमें तीन पत्थरों को हटाना है उनमें से पहला है नफरत, दूसरा पत्थर है अन्याय तथा तीसरा संघर्ष

 "इस राष्ट्र की विरासत पर दया, करुणा के महान गुणों पर बनाया गया था। हालांकि, भाईयों के बीच आपसी बैर के कारण इस देश में घृणा को उकसाया गया। इसलिए तत्काल आवश्यक है कि बर्मा के लोग संत पापा के निमंत्रण को सुनते हुए आपस में माफी मांगें और इसतरह  देश के विभिन्न समुदायों में धार्मिक सहिष्णुता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का नवीनीकरण किया जाएगा।

जहाँ अन्याय है वहाँ शांति नहीं है

कार्डिनल बो ने कहा, दूसरा पत्थर है अन्याय। जहाँ अन्याय है वहाँ शांति नहीं है। हमारे देश में करोड़ों लोग आर्थिक अन्याय के कब्र में दफन हो गये हैं।असुरक्षित प्रवासन द्वारा हजारों को 'आधुनिक दास' के रूप में दफन किया गया है। हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों के लिए की संसाधन गहरी कब्र बन गई है।

अंतिम "पत्थर" संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है सरकार और जातीय समूहों के बीच साठ साल के युद्ध ने राष्ट्र को तबाह कर दिया है, संसाधनों के बावजूद, हमारा देश  दुनिया के सबसे गरीबों में से एक है। लगभग 3 मिलियन युवा लोग देश से बाहर हैं, दस लाख लोग विस्थापित हैं, 10 लाख लोग शरणार्थियों के रूप में देश से भाग गए हैं।  हमारा देश एक समय में सोने की भूमि थी,  देश धन धान्य से भरपूर था। इस देश की बहुसांस्कृतिक प्रकृति को न स्वीकार करने की वजह से जातीय संघर्ष ने देश को बर्बाद कर दिया।"

अपने संदेश में, कार्डिनल बो ने सुलह की प्रक्रिया के पक्ष में बर्मा का कलीसिया की प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने और न्याय के आधार पर राष्ट्र बनाने के प्रयास में सभी से सहयोग की अपेक्षा की।   








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