2018-03-15 16:32:00

साहस और धैर्य" ये प्रार्थना की ख़ासियत हैं,संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बृहस्तपतिवार, 15 मार्च 2018 (रेई) : "साहस और धैर्य" ये प्रार्थना की ख़ासियत हैं, जिसे ईश्वर को "स्वतंत्रता के साथ, बच्चों के रूप में" अर्पित करना चाहिए। उक्त बात संत पापा फ्राँसिस संत मार्था प्रार्थनालय में पवित्र ख्रीस्तयाग मे दौरान प्रवचन में कही।

संत पापा ने निर्गमन ग्रंथ से लिए गये पहले पाठ पर चिंतन किया जहाँ अपने लोगों के धर्मत्यागने पर ईश्वर और मूसा के बीच बातचीत का वर्णन है।

नबी मूसा ने उन लोगों से क्रोद्धित होकर ईश्वर को विचलित करने की कोशिश की जिन्होंने "सोने की बछड़े की पूजा करने के लिए जीवित परमेश्वर की महिमा छोड़ दी।” मूसा ने ईश्वर के साथ वार्ता में यह भी याद दिलाया कि ईश्वर ने मिस्र में गुलामी से बचाने के लिए नेतृत्व किया। उन्होंने इब्राहीम और इसहाक की निष्ठा को याद दिलाई। ईश्वर के साथ आमने सामने बात करते हुए नबी मूसा द्वारा अपने लोगों के लिए प्रेम की झलक दिखाई देती है। मूसा सच्चाई को बताने से डरता नहीं है। वह ईश्वर को खुश करने के लिए "रिश्वतखोरी के खेल में प्रवेश नहीं करता।" वह अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनता है और नबी के इस बात से ईश्वर प्रसन्न है। संत पापा ने कहा जो ईश्वर व्यक्ति की आत्मा को देखता है। जब एक व्यक्ति प्रार्थना करता है और लगातार किसी के लिए प्रार्थना करता है तो वह ईश्वर भी द्रवित हो जाते हैं।

"कोई रिश्वत नहीं है मैं लोगों के साथ हूँ और मैं तुम्हारे साथ हूँ यह मध्यस्थ प्रार्थना है: एक प्रार्थना जो तर्क देती है, जिसने ईश्वर के सामने कहने का साहस रखा है, जो धैर्यशील है। इस मध्यस्थ प्रार्थना में धैर्य की आवश्यकता होती है। अगर हम किसी के लिए प्रार्थना करने का वादा करते हैं और हे पिता हमारे और प्रणाम मरियम की प्रार्थना करते हैं और निश्चिंत हो जाते हैं तो यह मध्यस्थ प्रार्थना नहीं है यदि आप मध्यस्थ प्रार्थना द्वारा दूसरों के लिए प्रार्थना करना चाहते हैं तो धैर्य के साथ अंत तक प्रार्थना करनी है।

प्रार्थना में धैर्यशीलता और साहस

दैनिक जीवन में, दुर्भाग्यवश, दुर्लभ मामलों में प्रबंधक कंपनी का बलिदान करने के लिए तैयार होते हैं ताकि वे अपना लाभ प्राप्त कर सकें। लेकिन मूसा "रिश्वत के तर्क" में प्रवेश नहीं करता, वह अपने लोगों के साथ है और लोगों के लिए लड़ता है पवित्र बाईबिल "धीरज के साथ आगे बढ़ने" और "स्थिरता" के उदाहरणों से भरा है, जैसे कनानी स्त्री, "जेरीको के द्वार पर बैठा अंधा आदमी।"

संत पापा ने कहा कि मध्यस्थ प्रार्थना के लिए दो चीजें जरुरी हैं साहस और धीरज। यदि मैं चाहूँ कि ईश्वर मेरी प्रार्थना सुने तो मुझे बार-बार प्रभु के पास उसके द्वार को खटखटाऊँगा। यदि मैं पूरे दिल से प्रार्थना करता हूँ तो मुझे बार बार ईश्वर के पास जाने का साहस और धीरज भी मिलेगा।

संत पापा ने कहा, “आइये हम प्रभु से बच्चों के सदृश और स्वतंत्रता के साथ प्रार्थना करने की कृपा मांगे। और हम मध्यस्थ प्रार्थना द्वारा बहुत सारे लोगों को प्रभु के सामने लायें तथा उनके लिए प्रभु से कृपा मांगे।“








All the contents on this site are copyrighted ©.