2018-03-08 15:22:00

अंतरराष्ट्रीय काथलिक अप्रवासी आयोग से संत पापा की मुलाकात


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 8 मार्च 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 8 मार्च को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में अंतरराष्ट्रीय काथलिक अप्रवासी आयोग की प्लेनरी कौंसिल के सदस्यों से मुलाकात की।

सदस्यों को सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ̎संत पापा जॉन पौल द्वितीय का अनुसरण करते हुए जिन्होंने धन्य संत पापा पौल षष्ठम के शब्दों को दोहराया, मैं भी पुष्टि देना चाहूँगा कि संगठन जिसमें आप स्वयं ख्रीस्त केअंग हैं। यह सच्चाई वर्षों तक परिवर्तित नहीं हुई है बल्कि इसके विपरीत आपकी प्रतिबद्धता दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, लाखों प्रवासियों और शरणार्थी भाई-बहनों द्वारा अनुभव की गई अमानवीय जीवन की परिस्थितियों के जवाब में प्रगाढ़ हुई है। जैसा कि मिस्र में इस्राएलियों की दासता के समय प्रभु ने किया था वे उनकी पुकार सुनते एवं पीड़ा को देखते हैं। पहले के समान ही वे आज भी गरीबों, शोषितों एवं अत्याचार के शिकार लोगों को मुक्त करते हैं तथा ईश्वर प्रदत्त उसी मिशन को मिशन कलीसिया को सौंपते हैं।

संत पापा ने कहा कि 1951 में आयोग की स्थापना के समय से अब तक बहुत कुछ परिवर्तन हुआ है किन्तु अभी आवश्यकताएँ अधिक जटिल हो गयी हैं। संत पापा ने आयोग को धन्यवाद दिया कि इन जटिलताओं के बावजूद आयोग अपने मिशन में समर्पण के प्रति विश्वास्त बना हुआ है।

प्रभु ने शोषित लोगों को मुक्त करने, उनके आँसू पोंछने तथा उनकी आशा को बनाये रखने के लिए मूसा को भेजा था। संत पापा ने आयोग के कार्यों पर गौर करते हुए कहा कि इन 65 से अधिक वर्षों में आयोग ने अत्याधिक अवश्यकता के समय में अप्रवासियों एवं शरणार्थियों की सहायता करते हुए कलीसिया को अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। 

संत पापा ने आशा व्यक्त की कि उनका यह कार्य स्थानीय कलीसिया को प्रेरित करता रहे ताकि वे उन लोगों की मदद कर सकें जो अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए मजबूर हैं और जो बहुधा भाग्य, हिंसा एवं हर तरह के शोषण के शिकार बन जाते हैं।

संत पापा ने कहा, ̎मैं तुम्हें फिराऊँन के पास भेजता हूँ । तुम मेरी प्रजा इस्राएल को मिस्र देश से बाहर निकाल ले जाओ।(Ex 3:10) इन शब्दों के साथ प्रभु ने मूसा को फिराऊँन के पास भेजा ताकि वे लोगों को मुक्त कर सकें। आज जो लोग शोषित, बहिष्कृत एवं गुलाम हैं उन्हें मुक्त करने के लिए यह आवश्यक है कि सरकारी नेताओं के साथ खुली वार्ता की जाए, एक ऐसी वार्ता जो लोगों के वास्तविक अनुभवों, दुखों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखता है, ताकि हर किसी को अपनी ज़िम्मेदारियों की याद दिलायी जा सके। शरणार्थियों पर एक वैश्विक समझौते के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा आयोग में स्थापित प्रक्रियाएं, और एक सुरक्षित, व्यवस्थित और विनियमित प्रवासन के लिए, इस तरह की बातचीत को लागू करने के लिए एक विशेषाधिकारित मंच का प्रतिनिधित्व की जा सके।

संत पापा ने उन्हें सलाह दी कि अप्रवासियों की समस्याओं का सामना मिलकर करने के लिए हम राष्ट्रों को प्रेरित करें जिसको हम कलीसिया की सामाजिक शिक्षा के आवश्यक सिद्धांतों के आधार पर कर सकते हैं। इस तरह हम वैश्विक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता को सुनिश्त कर सकते हैं।

संत पापा ने सदस्यों के लिए प्रार्थना की कि वे इस मिशन के द्वारा अप्रवासी भाई बहनों के लिए ईश्वर के करूणावान प्रेम का साक्ष्य दे सकें। 

 

Usha Tirkey








All the contents on this site are copyrighted ©.