2018-03-07 16:30:00

यूखारिस्त की प्रार्थना पर संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 07 मार्च 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को पवित्र यूखारिस्तीय बलिदान पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ाते हुए कहा,

प्रिय भाई एवं बहनों, सुप्रभात।

आज की धर्मशिक्षा में हम यूखारिस्त की प्रार्थना पर चिंतन करेंगे। रोटी और दाखरस का चढावा समाप्त होने के उपरान्त यूखारिस्त प्रार्थना की शुरूआत होती है जो कि पवित्र मिस्सा बलिदान का मुख्य भाग है। यह हमें येसु ख्रीस्त के जीवन के उस भाग की याद दिलाती है जब वे अपने शिष्यों के साथ अंतिम व्यारी की मेज में भोजन करते समय अपने हाथों में रोटी और दाखरस का कटोरा लेते हुए धन्यवाद की प्रार्थना की। उनकी इस कृतज्ञता को हम आज भी रोज दिन के यूखारिस्तीय बलिदान में याद करते हैं जो हमें येसु ख्रीस्त द्वारा पिता को अर्पित मुक्तिदायी बलिदान से संयुक्त करता है।  

इस समारोही प्रार्थना के द्वारा माता कलीसिया हमें इस बात को बतलाती है कि वह मिस्सा बलिदान के अर्पण द्वारा किस कार्य का सम्पादन करती है विशेष कर यह हमें बलि परिवर्तित पवित्र रोटी और दाखरस में येसु ख्रीस्त की सच्ची उपस्थिति को बतलाती है। विश्वासियों को अपना धन्यवादी हृदय ईश्वर की ओर उन्मुख करने हेतु आमंत्रित करने के बाद, पुरोहित पूरे विश्वासी समुदाय की ओर से पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा ईश्वर का आहृवान करते हुए यूखारिस्तीय प्रार्थना करता है। “इस प्रार्थना का अर्थ विश्वासियों के समुदाय का येसु ख्रीस्त के संग संयुक्त हो कर पिता के कार्यों का स्तुति गान करते हुए बलि अर्पित करना है।” संत पापा ने कहा कि वास्तव में “येसु ख्रीस्त का बलिदान और पवित्र यूखारिस्तीय बलिदान दोनों एक ही हैं।”

हम मिस्सा के पवित्र ग्रंथ में यूखारिस्तीय प्रार्थनाओं के विभिन्न प्ररूपों को पाते हैं जिसमें हम एक विशेष स्वरुप को देखते हैं। इसमें हम सबसे पहले प्रस्तावना को देखते हैं जहाँ हम ईश्वरीय उपहारों को कृपा के रुप में देखते हैं विशेषकर पुत्र ईश्वर का मुक्तिदाता के रुप में भेजा जाना, जो “संतों के स्तुति गान” के द्वारा समाप्त होता है जिसे हम सबी साधरणतः गाते हैं। यहाँ पूरा विश्वासी समुदाय दूतों और संतों के साथ मिलकर एक स्वर में ईश्वर की स्तुति और महिमा गान करता है।

इसके बाद हम पवित्र आत्मा का आहृवान करते हैं जिससे उनकी शक्ति से रोटी और दाखरस पवित्र हो जाये। पवित्र आत्मा की शक्ति और स्वयं येसु ख्रीस्त के द्वारा उच्चरित शब्दों की प्रभावकारिता, पुरोहित के द्वारा की जाने वाली प्रार्थना रोटी और दाखरस को येसु ख्रीस्त के सच्चे शरीर और रक्त में परिणत करता है, जिसे येसु ख्रीस्त ने क्रूस बलिदान के रुप में हम सभों को दिया है। संत पापा ने कहा कि इसके बाद हमें अपने “विश्वास के रहस्य” को व्यक्त करते हैं। येसु ख्रीस्त की मृत्यु और पुनरुत्थान की यादगारी मनाते हुए हम उनके महिमामय पुनारागमन की प्रतीक्षा करते हैं। इस तरह माता कलीसिया ईश्वर पिता को स्वर्ग और पृथ्वी के मेल-मिलाप का बलिदान अर्पित करती है। वह मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त के मुक्तिदायी बलि के रुप में स्वयं अपने को पिता के लिए अर्पित करती और यह प्रार्थना करती है कि हम सभी येसु ख्रीस्त में एक शरीर और एक मन हो जायें। यह हमें पवन परमप्रसाद की कृपा स्वरुप प्राप्त होता है जहाँ हम येसु ख्रीस्त के शरीर और रक्त का पान करते तथा दुनिया में उनके जीवित शरीर और आत्मा बन जाते हैं।

येसु ख्रीस्त के संग हमारे मिलन का रहस्य कलीसिया को मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त के संग संयुक्त करती और उनके निवेदनों को अर्पित करती है। इस संदर्भ में भूमिगर्त कब्रस्तानों में माता कलीसिया को एक नारी के रुप में चित्रित किया गया है जो अपने हाथों को प्रार्थनामय मुद्रा में फैलाई हुई है। यह हमें मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त के क्रूस मरण की याद दिलाती है जिनके द्वारा, जिनमें और जिनके साथ माता कलीसिया सम्पूर्ण मानव जाति हुए निवेदन प्रार्थना अर्पित करती है।

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि यूखारिस्तीय प्रार्थना के द्वारा हम ईश्वर से निवेदन करते हैं कि वह अपने बच्चों को अपने परिपूर्ण प्रेम में संग्रहित करें, जहाँ हम संत पापा और धर्माध्यक्ष के नाम को उच्चरित करते हुए अपने को विश्व कलीसिया के साथ एक विशेष कलीसिया से संयुक्त करते हैं। हमारी विनय पूर्ण प्रार्थना, बलि की भांति पूरी कलीसिया, जीवितों और मृतकों के संग ईश्वर को अर्पित की जाती है जहाँ हम आशा में स्वर्ग के सभी दूतों और संतों, कुंवारी माता के संग स्वर्गीय भोज में सम्मिलित होने की प्रतीक्षा करते हैं। यूखारिस्तीय प्रार्थना में हम सभों की याद करते और तृत्वमय ईश्वर का गुण गान करते हुए ईश्वर पिता को सारी चीजों को अर्पित करते हैं।

संत पापा ने कहा कि यूखारिस्तीय प्रार्थना का प्ररुप हमें यद्यपि लम्बा प्रतीत होता है लेकिन यदि हम इसका अर्थ समझें तो हम इसमें और भी अच्छी तरह सहभागी हो सकते हैं। वास्तव में यह हमारे जीवन के सारे कार्यों का वर्णन करता है और हमें अपने जीवन में येसु के शिष्यों स्वरूप अपने में तीन मनोभावओं को फलहित करने का निमंत्रण देता है। पहला अपने जीवन में सदैव सारी चीजों के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के भाव धारण करना न की उन्हें किसी विशेष बात हेतु या जीवन की अच्छी परिस्थितियों में ही केवल ईश्वर का धन्यवाद करना। दूसरा हमारे जीवन को ईश्वरीय प्रेम का उपहार बनाना क्योंकि यह हमें ईश्वर की ओर से मुफ्त में प्राप्त हुआ है, और तीसरा सभों के साथ मिलकर एक कलीसियाई समुदाय का निर्माण करना। संत पाता ने कहा कि इस भांति मिस्सा बलिदान की मुख्य प्रार्थना हमें धीरे-धीरे यूखारिस्त को अपने जीवन का अंग बनाने की शिक्षा देती है। इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।

उन्होंने युवाओं, बुजुर्गों, रोगग्रस्तों और नव विवाहितों को विशेष रुप से संबोधित करते हुए कहा कि चालीसा काल में येसु आप को आशा का मार्ग दिखलाये जिससे आप उनका अनुसरण कर सकें। पवित्र आत्मा आप सभों का मार्ग दर्शन करे जिससे आप सच्चा पश्चताप करते हुए ईश्वर के वचनों में उनके उपहारों की खोज कर सकें और अपने पापों से मुक्त होते हुए येसु ख्रीस्त की सेवा अपने भाई-बहनों में अपनी योग्यता के अनुसार कर सकें।  

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने सभी परिवारों पर येसु ख्रीस्त की शांति और खुशी की कामना की और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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