2018-03-03 16:52:00

माता मरियम का नया त्योहार ख्रीस्तीय जीवन में सहायक, कार्डिनल साराह


वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 मार्च 2018 (रेई): दिव्य उपासना एवं संस्कारों के अनुष्ठान के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल रोबर्ट साराह ने कलीसिया की माता मरियम के सम्मान में नव-स्थापित पर्व दिवस पर शनिवार को एक वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि दिनाँक 11 फरवरी 2018 को प्रकाशित आज्ञप्ति, लूर्द में माता मरियम के प्रथम दर्शन की 160वीं वर्षगाँठ पर जारी की गयी है जो संत पापा फ्रांसिस द्वारा रोमन कैलेंडर में एक स्मारक सम्मिलित करने के लिए एक निर्णय का परिणाम है।

संत पापा ने "मरियम कलीसिया की माता" के त्योहार की स्थापना की है। यह त्योहार हर साल पेंतेकोस्त के बाद आने वाले सोमवार को मनाया जाएगा।

कार्डिनल साराह ने कहा कि जैसा कि द्वितीय वाटिकन महासभा के दस्तवेज लुमेन जेंसियुम के 7वें अध्याय में कहा गया है नव-स्थापित पर्व "ख्रीस्त और कलीसिया के रहस्य में मरियम की उपस्थिति की बेहतर समझ में परिपक्वता के बाद धर्मविधिक सम्मान माता मरियम को दी जाती है।" उन्होंने कहा कि कलीसिया की माता का शीर्षक संत पापा पौल षष्ठम द्वारा मरियम को नवम्बर 1964 में दिया गया था।

कार्डिनल ने कहा, "ख्रीस्तीयों की भावना ने इतिहास की दो सदियों से पैतृक संबंध बनायी है, जो विभिन्न तरीकों से मसीह के शिष्यों को अपने धन्य माँ के साथ जोड़कर रखता है।" पोलैंड एवं अर्जेंटीना ने इस त्योहार को अपने धर्मविधि कैलेंडर में मनाना शुरू कर दिया है और जिसको परमधर्मपीठ का अनुमोदन भी मिल चुका है, संत पेत्रुस महागिरजाघर में तथा विभिन्न धर्मसमाजों में भी मनाया जाता है।

कार्डिनल साराह ने कहा कि पेंतेकॉस्त और मरियम की ममतामय देखभाल के बीच का संबंध स्पष्ट है। यदि हम प्रे.च. 1:12-14 और उत्पति. 3:9-15,20, का पाठ नई हेवा के प्रकाश में करेंगे तो पायेंगे कि मरियम अपने पुत्र येसु के क्रूस के नीचे सभी प्राणियों की माता बन गयी हैं।

संत पापा फ्राँसिस के फैसले को ध्यान में रखते हुए स्थापित पर्व में "मरियम की आध्यात्मिक मातृत्व के रहस्य का महत्व है जो पेंतेकोस्त के समय पवित्र आत्मा का इंतजार की उन्होंने पृथ्वी पर यात्री कलीसिया की ममतामय देखभाल में कभी कम नहीं किया।

कार्डिनल ने अंत में कहा कि मरियम कलीसिया की माता का पर्व ख्रीस्त के सभी शिष्यों को स्मरण दिलायेगा कि यदि हम ईश्वर के प्रेम में बढ़ना और उससे भरना चाहते हैं तो यह आवश्यक है कि हम अपना जीवन तीन महान सच्चाइयों पर स्थापित करें, क्रूस, यूखरिस्त तथा ईश्वर की माता।








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