2018-02-27 15:55:00

ईश्वर के पास खुले हृदय से जाएँ, वे पिता के समान हमारा इंतजार करते हैं, संत पापा


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 27 फरवरी 2018 (रेई): "प्रत्येक व्यक्ति को मन-परिवर्तन हेतु निमंत्रण देने, मन-परिवर्तन में उन्हें मदद करने के लिए उनकी ओर बढ़ने तथा एक पिता के समान स्नेह एवं विश्वास के साथ निमंत्रण देने से ईश्वर कभी नहीं थकते।" उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

27 फरवरी को प्रवचन देते हुए संत पापा ने कहा, "चालीसा काल एक ऐसा समय है जो मन परिवर्तन करने एवं अपना जीवन बदलने के लिए ईश्वर के करीब आने में मदद देता है जिसके लिए हमें प्रभु से कृपा मांगने की आवश्यकता है।" 

नबी इसायस के ग्रंथ से लिये गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने मन-परिवर्तन हेतु सच्चे निमंत्रण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि येसु पापियों को भयभीत नहीं करते किन्तु उनपर विश्वास करते हुए उन्हें कोमलता से बुलाते हैं। उन्होंने सोदोम एवं गोमोरा के शासकों को बुलाया जिन्हें उन्होंने पहले ही बुराई से बचने एवं भलाई करने की चेतावनी दी थी।

संत पापा ने कहा कि वे हमारे साथ भी यही करते हैं। प्रभु कहते हैं, "आओ हम एक साथ विचार करें। तुम्हारे पाप सिंदूर की तरह लाल क्यों न हों, वे हिम की तरह उज्ज्वल हो जायेंगे।" उन्होंने कहा कि यह सचमुच एक पिता का अपने किशोर पुत्र के साथ वार्तालाप के समान है जिसने अपने लिए लड़की चुन लिया हो और पिता का तिरस्कार करता हो। पिता को मालूम है कि यदि वह उसपर बेंत चलायेगा तो ठीक नहीं होगा, इसलिए दृढ़ता के साथ उसके अंदर प्रवेश करता है।  

प्रभु हमें बुलाते हैं। वे कहते हैं, डरो मत, मैं तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा और वे पुत्र के मन को समझते हुए तुरन्त जोड़ते हैं कि "तुम्हारे पाप सिंदूर की तरह लाल क्यों न हों, वे हिम की तरह उज्ज्वल हो जायेंगे। वे किरमिच की तरह मटमैले क्यों न हों ऊन की तरह श्वेत हो जायेंगे।"  

संत पापा ने कहा कि एक पिता का अपने किशोर पुत्र के साथ कोमल बर्ताव की तरह ही, येसु भी दृढ़ विश्वास के साथ क्षमाशीलता एवं मन-परिवर्तन को हमारे लिए लाते हैं। जिस तरह उन्होंने जकेयुस को मन-परिवर्तन में मदद दिया उसी तरह हमें भी मदद देते हैं। 

हम उनकी अच्छाई के लिए उन्हें धन्यवाद दें। वे हमें दण्ड देना नहीं चाहते बल्कि उन्होंने अपना जीवन एवं अपनी अच्छाई हमारे लिए अर्पित कर दिया है तथा हमारे हृदय में प्रवेश करने की राह देखते हैं। संत पापा ने याजकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब पुरोहित, प्रभु के स्थान पर पापस्वीकार सुनते हैं, उन्हें भी अच्छाई का मनोभाव धारण करना है जैसा कि प्रभु कहते हैं, "आओ हम विचार करें" इस निमंत्रण में अच्छाई और क्षमाशीलता है, धमकी नहीं। 

खुले हृदय से प्रभु के पास जाने वाला शांति का अनुभव करेगा। प्रभु हमसे कहते हैं कि हम एक साथ विचार करें। हम उसने खुले हृदय से बातें करें एवं उसके द्वारा क्षमा प्राप्त करें।

प्रभु हमें पिता एवं पुत्र के बीच विश्वास के इस मनोभाव को देख पाने में मदद दे। हम अपनी यात्रा में उनके शब्दों को सुन सकें, आओ, डरो मत।" संत पापा ने कहा कि हम पिता के पास खुले हृदय से आयें क्योंकि वे हमें क्षमा प्रदान करते एवं हमेशा हमारा इंतजार करते हैं। 








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