नई दिल्ली, शुक्रवार, 9 फरवरी 2018 (ऊका समाचार): भारत सरकार ने यह स्वीकार किया है कि चार वर्ष पूर्व भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आ जाने के बाद से राष्ट्र में धर्म पर आधारित हिंसा में हिज़ाफा हुआ है तथा घृणा को प्रश्रय मिला है।
छः फरवरी को भारत सरकार द्वारा प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार मानवाधिकार संगठनों का यह आरोप सही है कि धर्म पर आधारित हिंसा और घृणा को प्रश्रय मिला है तथा स्थिति बदत्तर होती जा रही है।
प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार 2017 में 111 व्यक्तियों की हत्या की गई तथा साम्प्रदायिक हिंसा के 822 मामलों में कम से कम 2,384 लोग घायल हुए हैं, यह संख्या विगत तीन वर्षों में सबसे ऊँची रही है।
2016 में 86 लोगों की हत्या हुई तथा धर्म पर आधारित हिंसा के 703 मामलों में 2,321 व्यक्ति घायल हुए।
भारतीय संसद के समक्ष प्रस्तुत आँकड़ों में बताया गया कि धर्म पर आधारित हिंसा के मामले सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में पाये गये जहाँ की 20 करोड़ की आबादी में मुसलमानों की संख्या चार करोड़ है।
इसके अतिरिक्त, जिन राज्यों में विगत वर्ष के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी विजयी रही है उन राज्यों में 2017 में धर्म पर आधारित हिंसा के 195 मामले सामने आये। इनमें 44 व्यक्तियों की हत्या हो गई तथा 452 लोग घायल हुए।
भारत के मानवाधिकार एवं नागर अधिकार सम्बन्धी संगठन भारतीय जनता पार्टी पर हिन्दू चरमपंथियों का समर्थन करने का आरोप लगाते रहे हैं। उनका आरोप है कि भारत के कई राज्यों में प्रशासन मुसलमानों एवं ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिन्दू चरमपंथियों की हिंसा को समर्थन देता रहा है। उनका कहना है कि अपराधियों को सज़ा न देने के कारण हिंसा को प्रश्रय मिला है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील तथा मानमवाधिकार कानून नेटवर्क के अध्यक्ष कॉलिन गोन्ज़ाल्वेज़ ने कहा, "आतंकवाद की तरह ही साम्प्रदायिक हिंसा को केवल कानून और व्यवस्था की समस्या नहीं माना जाना चाहिये तथा राष्ट्र के एक छोटे से कोने में हुई हिंसा को भी राष्ट्रीय समस्या समझा जाना चाहिये।"
All the contents on this site are copyrighted ©. |