2018-01-18 16:02:00

शिक्षा वह है जो बुद्धि, भावना एवं कार्यों में सामंजस्य लाती है


सांतियागो, बृहस्पतिवार, 18 जनवरी 18 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार 17 जनवरी को सांतियागो के परमधर्मपीठीय काथलिक विश्वविद्यालय का दौरा किया जहाँ उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों, प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों को सम्बोधित किया।

संत पापा ने कहा, "मैं अध्ययन के इस घर में आपके साथ खुश हूँ जिसने देश को 130 सालों तक अपनी अमूल्य सेवा प्रदान की है।" विश्व विद्यालय का इतिहास कुछ हद तक चिली के इतिहास से जुड़ा है क्योंकि हजारों स्त्री एवं पुरूष जिन्होंने यहाँ शिक्षा प्राप्त की है उन्होंने राष्ट्र के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान किया है।

संत पापा ने संत अर्बर्ट हुरतादो का स्मरण किया जिन्होंने इसी विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी और उन्होंने विश्वास, न्याय और उदारता को अपनाकर बुद्धिमता, शैक्षणिक उत्कृष्टता और व्यावसायिकता का आदर्श प्रस्तुत किया था, विशेषकर, उन लोगों के बीच जो समाज के हाशिये पर जीवन यापन करते हैं। संत पापा ने देश की प्रमुख चुनौतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया जिसे शांतिपूर्ण सहअस्तित्व द्वारा एक समुदाय के रूप में बढ़ाया जा सकता है।

एक राष्ट्र के रूप में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व

संत पापा ने कहा, "चुनौतियों पर चर्चा करने का अर्थ है उस परिस्थिति को स्वीकार करना जो उस बिन्दु तक पहुँच चुका है जहाँ उसपर पुनः विचार किया जाना आवश्यक है। इसका मतलब ज्ञान के विकास पर रोक लगाना नहीं है किन्तु विश्वविद्यालय को वार्ता के व्याकरण को सीखने का एक सौभाग्यपूर्ण स्थल बनाना है, जो मुलाकात कराता है। सच्चा विवेक चिंतन, वार्ता और लोगों के बीच उदार मुलाकात का परिणाम है।

शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एक राष्ट्र के रूप में संभव है न केवल उस सीमा तक जिसमें हम शैक्षणिक विकास को बढ़ा सकते हैं किन्तु परिवर्तनकारी, समावेशी और सह-अस्तित्व के पक्ष में भी। शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए शिक्षा देने का अर्थ शिक्षण कार्यों में मूल्यों को जोड़ देना मात्र नहीं है बल्कि शिक्षा की प्रणाली के लिए आंतरिक सह-अस्तित्व की गतिशीलता स्थापित करना। संत पापा ने कहा कि यह अंतर्निहित वस्तु की समस्या नहीं है बल्कि समस्या है समग्र रूप से विचार और तर्क करने की कि किस तरह शिक्षा दी जाए। इसे हासिल करने के लिए आवश्यक है "साक्षरता के एकीकरण" का विकास किया जाना, जो हमारे समाज में होने वाले परिवर्तन की प्रक्रियाओं को शामिल करने में सक्षम हो।

संत पापा ने कहा कि यह साक्षरता प्रक्रिया एक साथ विभिन्न भाषाओं को एकीकृत करने हेतु कार्य किये जाने की मांग करता है जो हमें व्यक्तियों के रूप में गठित करता है। यह कहा जा सकता है कि शिक्षा वह है जो एकीकृत करती तथा बुद्धि, भावना एवं कार्यों में सामंजस्य लाती है। यह विद्यार्थी को वह विकास प्रदान करती है जिससे सामंजस्य उत्पन्न होता है न केवल व्यक्तिगत किन्तु सामाजिक स्तर पर भी।

साक्षारता जो विभिन्न भाषाओं के समावेश पर आधारित है वह हमें आकार प्रदान करता है, वह विद्यार्थियों को अपनी ही शिक्षा प्रणाली में संलग्न करता, जो उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने हेतु तैयार होने में मदद देता है। सामंजस्य की यह कमी सार्वजनिक जीवन के महत्व की चेतना के नुकसान के कारणों में से एक हो सकती है जिसके लिए निजी हितों के परे जाने की न्यूनतम क्षमता की आवश्यकता है जिससे हमारे जीवन का महत्वपूर्ण आयाम "हम" का निर्माण किया जा सके। बिना चेतना खासकर, बिना अनुभव एवं एहसास के एक राष्ट्र का निर्माण कठिन है। विश्वविद्यालय को इस संदर्भ में, अपने स्वयं के क्षेत्र में नई प्रक्रियाओं को उत्पन्न करने के लिए चुनौती दी जाती है जो ज्ञान के हर विखंडन को दूर कर,एक सच्चे विश्वविद्यालय को प्रोत्साहित करे।

एक समुदाय के रूप में प्रगति

अध्ययन के इस घर का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व है, एक समुदाय के रूप में प्रगति। संत पापा ने कहा, "ज्ञान में हमेशा ये चेतना होनी चाहिए कि यह जीवन की सेवा है तथा विकास हेतु सीधे उसी को सामने रखे। अतः शैक्षणिक समुदाय को स्कूल कमरा एवं पुस्तकालय तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि सहभागिता को लगातार चुनौती दिया जाना चाहिए। इस भावना में यह आवश्यक है कि आदिवासी समुदाय को विशेष ध्यान दिया जाए।

हमारे समय में जो मिशन आपको सौंपा गया है वह है नबी का मिशन। आपको उन प्रक्रियाओं को उत्पन्न करने की चुनौती दी गई है जो समकालीन संस्कृति को उजागर करती है। नबी की यह भूमिका हमसे मांग करती है कि हम उत्साहपूर्ण उत्तर दें, विरोध की जगह वार्ता के लिए नये स्थल की खोज, विभाजन की अपेक्षा मुलाकात का स्थान ढूँढें, मित्रवत असहमति की जो व्यक्तियों के बीच एक नवीकृत राष्ट्रीय सह-अस्तित्व की ओर एक समुदाय के रूप में अग्रिम प्रयास करने के लिए एक ईमानदार प्रयास हो।

संत पापा ने पवित्र आत्मा से प्रार्थना की कि वह उसका पथ प्रदर्शन करे ताकि यह घर चिली वासियों की अच्छाई एवं ईश्वर की महिमा हेतु फल उत्पन्न करती रहे। 








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