2018-01-16 15:50:00

चिली के अधिकारियों को संत पापा का संदेश


चिली, मंगलवार, 16 जनवरी 2018 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने चिली में अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम चरण में 16 जनवरी को सांतयागो स्थित "ला मोनेदा" भवन में वहाँ के राष्ट्रपति, सरकारी अधिकारियों, राजनयिकों एवं समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की तथा उन्हें अपना संदेश दिया।

उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए हर्ष की बात है कि मैं पुनः एक बार लातीनी अमरीका की भूमि में खड़ा हूँ तथा चिली के दौरे की शुरूआत कर रहा हूँ। यह भूमि मेरे हृदय के अति करीब है जिसने मेरा स्वागत किया तथा युवावस्था में मुझे शिक्षा प्रदान की। उस स्वागत के लिए मैं आभारी हूँ। मैं आपके राष्ट्रीय गान के पद की याद करता हूँ। "कितना साफ है चिली, तेरा नीला आसमान/ कितना निर्मल है पवन जो तुझपर बहता/ तथा आपके गाँव बूटेदार फूलों से सुसज्जित/ सचमुच यह अदन के समान है।"

संत पापा ने कहा, "यह एक इस धरती की प्रशंसा का एक सच्चा गीत है, प्रतिज्ञाओं एवं चुनौतियों से पूर्ण किन्तु विशेष रूप से भविष्य की आशा से भरी।

 संत पापा ने चिली के सभी लोगों का अभिवादन करते हुए कहा, "राष्ट्रपति महोदया आपके स्वागत भाषण के लिए धन्यवाद। आपके द्वारा मैं चिली के सभी लोगों का अभिवादन करना एवं उनका आलिंगन करना चाहता हूँ।"

संत पापा ने देश की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा, "चिली ने हाल के दशकों में एक प्रजातंत्र राज्य का विकास कर अपने को प्रतिष्ठित किया है जिसने सतत विकास को बल दिया है। विगत राजनीतिक चुनाव एकात्मता एवं नागरिक परिपक्वता के सबूत हैं जिसको आपने हासिल किया है और जिसका इस साल विशेष महत्व है क्योंकि स्वतंत्र घोषित किये जाने का यह दो सौवाँ वर्षगाँठ है। संत पापा ने कहा कि वह एक विशेष पल था क्योंकि उसने आप के भाग्य को उन लोगों के समान गढ़ा जो स्वतंत्रता एवं नियम पर स्थापित हैं। जिन्होंने उथल-पुथल की घड़ी झेली है। यह दुःखद जरूर थी किन्तु उसमें कामयाबी हासिल करने में सफल रही। इस तरह आप अपने राष्ट्र पिता के स्वप्न को सुदृढ़ एवं पुष्ट करने में सक्षम रहे।  

इस संबंध में मैं कार्डिनल सिलवा हेनरिक्वेज के प्रतीकात्मक शब्दों का स्मरण करता हूँ जिसको उन्होंने "ते देयुम" प्रवचन में कहा था, "हम सभी, एक अत्यन्त सुन्दर कार्य के निर्माण कर्ता हैं, हमारी मातृभूमि की।"  

लौकिक मातृभूमि जो उस मातृभूमि का झलक दिखाता एवं उसके लिए तैयार करता है जिसकी कोई सीमा नहीं है, वह मातृभूमि जिसकी शुरूआत आज हमारे साथ नहीं हुई है किन्तु वह हमारे बिना विकसित एवं फलप्रद नहीं हो सकती। यही कारण है कि हम इसे सम्मान एवं कृतज्ञता के साथ स्वीकार करते हैं मानो कि यह कई साल पहले एक विरासत के रूप में मिला हो, जो हमें गर्व एवं समर्पण की प्रेरणा देता है।

हर नई पीढ़ी को इस पिछली पीढ़ी के संघर्ष एवं उपलब्धि को आगे बढ़ाना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने लक्ष्य को अधिक ऊँचा रखना चाहिए। प्रेम, न्याय, एवं एकता के साथ अच्छाई केवल एक बार एवं सभी के लिए प्राप्त नहीं की जाती, उन्हें हर दिन साकार बनाना पड़ता है। अतीत में क्या हासिल किया गया था यह तय करना संभव नहीं है और न ही संतोषपूर्वक आनंद लेना, यदि हम उस सच्चाई की अवहेलना करें कि हमारे बहुत सारे भाई बहन आज भी अन्याय की परिस्थिति झेल रहे हैं जिसकी अनदेखी कोई नहीं कर सकता।

संत पापा ने चिली में प्रजातंत्र प्रणाली की चुनौतियों पर गौर करते हुए कहा, "आपलोगों के पास प्रजातंत्र प्रणाली को जारी रखने में एक बड़ा और उत्तेजक चुनौती है जैसा कि आपके पूर्वजों ने इसके औपचारिक पहलुओं से परे सपना देखा था कि यह सभी लोगों के मुलाकात हेतु एक सच्चा स्थल बने। इसे एक ऐसा स्थान जहाँ हर कोई बिना अपवाद के एक घर, एक परिवार एवं एक राष्ट्र के निर्माण में सहभागी होने हेतु निमंत्रित महसूस करे। चिली नामक एक जगह, एक घर और एक परिवार: उदारतापूर्वक और स्वागत करते हुए, अपने इतिहास का प्रतिभासंपन्न, वर्तमान में सामाजिक सद्भावना के लिए प्रतिबद्ध हो और भविष्य के लिए आशा के साथ आगे बढ़े।

संत पापा ने संत अर्बेरतो हुरतादो की याद कर कहा, "एक देश को अपनी सीमा से अधिक, अपनी भूमि से बढ़कर, अपने पर्वत श्रृंखलाओं, समुद्रों, भाषाओं अथवा संस्कृति से बढ़कर एक मिशन को पूरा करना है, भविष्य का मिशन। यह भविष्य निर्भर करता है वहाँ की अधिकतर जनता एवं उसके नेताओं की सुनने की क्षमता पर।  

संत पापा ने कहा, सुनने की क्षमता इस देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जिसकी जाति, संस्कृति एवं ऐतिहासिक विविधता को हर पक्षपातपूर्ण भावना एवं वर्चस्व के प्रयास से बचाया जाना है तथा हमारी संकीर्ण विचारधाराओं को स्वस्थ सार्वजनिक हित में बदलने की हमारी सहज क्षमता के प्रेरित  होना है।

संत पापा ने चिली के अधिकारियों से कहा, सुनना आवश्यक है बेरोजगारों को, जो वर्तमान का समर्थन नहीं कर पा रहे हैं, जिनके परिवार के भविष्य की उम्मीद कम है। देशवासियों को सुनना है, जो अकसर भुला दिये जाते, जिनके अधिकार एवं संस्कृति की रक्षा किये जाने की जरूरत है ताकि उनके भाग की, देश की पहचान एवं समृद्धि न खो जाए। विस्थापितों को सुनने की जो बेहतर जीवन की तलाश में इस देश के द्वार पर दस्तक देते हैं तथा सभी के लिए बेहतर भविष्य के निर्माण में सहयोग देने की उम्मीद रखते हैं। युवाओं तथा उनके महान अवसरों की चाह को सुनने की आवश्यकता है विशेषकर, शिक्षा में, ताकि वे चिली के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग ले सकें साथ ही, नशीली पदार्शों के पंजे से उनकी रक्षा की जा सके जो उनके जीवन के उत्तम भाग को छीन लेता है। वयोवृद्धों को उनकी प्रज्ञा एवं उनकी आवश्यकताओं के साथ सुनने की जरूरत है। हम उन्हें छोड़ नहीं सकते। बच्चों को सुनें जो दुनिया को विस्मय एवं निर्दोषता की नजरों से देखते हैं तथा हमसे प्रतिष्ठित भविष्य हेतु ठोस उत्तर की उम्मीद करते हैं।

संत पापा ने पुरोहितों द्वारा बाल यौन शोषण के लिए दुःख व्यक्त करते हुए कहा, "यहाँ मैं अपने दुःख एवं लज्जा को व्यक्त करने के लिए बाध्य हूँ जो कलीसिया के याजकों द्वारा बच्चों पर अपूरणीय क्षति है। मैं अपने धर्माध्यक्ष भाइयों के साथ इसके लिए क्षमा मांगता हूँ तथा इसके शिकार लोगों की मदद हर संभव करने का प्रयास करूँगा और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करूँगा कि ऐसी घटनाएँ फिर न हो।

सुनने की इस क्षमता द्वारा हम निमंत्रित किये जाते हैं विशेषकर, आज हमारे आमघर पर ध्यान देने के लिए। उस संस्कृति को बढ़ावा दें जिसके द्वारा पृथ्वी की देखभाल हो तथा जिसके द्वारा यह उन पर्यावरणीय गंभीर समस्याओं का जवाब मात्र न हो। यह हमें वस्तुओं को देखने, सोचने, राजनीति, शिक्षा, जीवन शैली तथा आध्यात्मिकता को अलग दृष्टिकोण से देखने हेतु निमंत्रण देता है जो एक साथ प्रौद्योगिकीय प्रतिमान के हमले के लिए प्रतिरोध उत्पन्न करते हैं।

संत पापा ने चिली के अधिकारियों को उन्हें अपने बीच आने का निमंत्रण देने तथा लोगों के साथ मुलाकात करने के लिए पुनः एक बार धन्यवाद दिया। उन्होंने माऊण्ट कार्मेल की माता मरियम से प्रार्थना की कि वह उनका साथ देती रहे एवं उनके स्वप्नों को साकार करे।








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