2018-01-06 15:19:00

प्रभु प्रकाश महापर्व पर संत पापा, येसु की ओर देखें, बाहर निकलने का साहस करें, मुक्त रूप से दें


वाटिकन सिटी, शनिवार, 6 जनवरी 2018 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने प्रभु प्रकाश महापर्व के उपलक्ष्य में 6 जनवरी को, संत पेत्रुस महागिजाघर के प्राँगण में एकत्रित तीर्थयात्रियों एवं विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा माता मरियम से प्रार्थना की कि सभी लोग सच्चाई के प्रकाश ख्रीस्त तक पहुँच सकें तथा न्याय एवं शांति की राह पर विश्व आगे बढ़ सके।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने पूर्वी काथलिक एवं ऑर्थोक्स कलीसियाओं को ख्रीस्त जयन्ती की शुभकामनाएं अर्पित की जो आज के दिन ख्रीस्त जयन्ती का महापर्व मनाते हैं।

संत पापा ने देवदूत प्रार्थना के पूर्व उपस्थित लोगों को संदेश देते हुए कहा, "आज प्रभु प्रकाश के महापर्व पर सुसमाचार (मती. 2:1-12) हमारे लिए तीन मनोभावों को प्रस्तुत करता हैं जिसके द्वारा येसु के आगमन एवं विश्व में उनकी प्रकाशना का स्वागत किया गया: विचारशील खोज, उदासीनता और डर।

संत पापा ने कहा, "ज्योतिषी मसीह को खोजने हेतु बेहिचक यात्रा आरम्भ किये। वे जब येरूसालेम पहुँचे तब उन्होंने पूछा, "यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं। हमने उनका तारा उदित होते देखा। हम उन्हें दण्डवत करने आये हैं।" (पद. 2) 

उन्होंने लम्बी यात्रा की और अब नवजात राजा की खोज कर रहे थे कि उनका जन्म कहाँ हुआ है। येरूसालेम में वे राजा हेरोद के पास गये। राजा हेरोद ने महायाजकों एवं सदूकियों से मसीह के जन्म लेने की पूछताछ की।         

संत पापा ने कहा कि ज्योतिषियों की यह अथक खोज महायाजकों एवं सदूकियों की उदासीनता के बिलकुल विपरीत थी। वे धर्मग्रंथ जानते थे तथा जन्म स्थान के बारे वे ठीक ठीक बता सकते थे किन्तु उन्होंने मसीह के दर्शन की परवाह नहीं की। बेतलेहेम वहाँ से कुछ ही किलो मीटर पर स्थित है किन्तु वे उनका दर्शन करने नहीं गये।

दूसरा नकारात्मक मनोभाव है हेरोद का। उसे डर था कि बालक उसका राज सिंहासन छीन लेगा। अतः वह ज्योतिषियों को बुलाता तथा बालक के जन्म स्थान की सूचना का आग्रह करते हुए उन्हें बेतलेहेम भेजता है। वह ज्योतिषियों से कहता है कि वह भी उनकी तरह नवजात राजा का दण्डवत करना चाहता है किन्तु वास्तव में, हेरोद बालक के स्थान की जानकारी उसे दण्डवत करने के लिए नहीं बल्कि उसे मार डालने के लिए पाना चाहता था क्योंकि वह उसे अपना दुश्मन समझता था।      

विचारशील खोज, उदासीनता और डर ये तीन मनोभाव हैं जिनको सुसमाचार हमारे लिए प्रस्तुत करता है। हमें अपने लिए इन तीनों में से चुनाव करना है।

स्वार्थ एक व्यक्ति को उसके जीवन में येसु का आगमन, उसे भय की ओर ले जाता है। जब हम येसु के संदेश को रोकने अथवा शांत करने का प्रयास करते हैं, जब हम अभिमान, आराम एवं बुराई के प्रति झुकाव पसंद करते तब येसु हमारे लिए एक बाधा प्रतीत होते हैं।

दूसरी ओर, उदासीनता का प्रलोभन हमेशा बना रहता है यहाँ तक कि उस समय भी जब हम जानते हैं कि येसु हमारे मुक्तिदाता हैं, हम दुनिया के सिद्धांतों के अनुसार जीना चाहते जो हमें अहंकार के प्रति झुकाव, सत्ता और धन के लिए प्यास की तृप्ति की ओर ले चलता है।

इसके विपरीत हम विचारशील खोज और अपने जीवन में येसु से मुलाकात करने के लिए कष्ट उठाने के द्वारा ज्योतिषियों का अनुसरण करने के लिए बुलाये गये हैं। उन्हें दण्डवत करने उन्हें खोजने, और उन्हें पहचानने के लिए कि वे हमारे प्रभु हैं जो सच्चा मार्ग दिखलाते हैं। यदि हममें यह मनोभाव है तब येसु हमें सचमुच मुक्ति प्रदान करेंगे और हम एक सुन्दर जीवन जी सकेंगे। हम विश्वास, आशा, भरोसा और प्रेम में ईश्वर एवं अपने भाई बहनों की ओर बढ़ सकेंगे। 

संत पापा ने माता मरियम जो मानव यात्रा में एक सितारा हैं उनकी मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि उनकी ममतामय स्नेह द्वारा हर व्यक्ति सच्चाई के प्रकाश ख्रीस्त तक पहुँच सके तथा विश्व, न्याय एवं शांति की राह पर आगे बढ़ सके।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने पूर्वी काथलिक एवं ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के विश्वासियों को क्रिसमस की शुभकामनाएँ अर्पित की जो आज ख्रीस्त जयन्ती का महापर्व मनाते हैं।  

संत पापा ने स्मरण दिलाया कि प्रभु प्रकाश का पर्व युवा मिशनरी दिवस है जो इस वर्ष युवा मिशनरियों को निमंत्रण देती है कि वे येसु की ओर देखें ताकि प्रार्थना, भाईचारा एवं जरूरतमंद साथियों के प्रति उदार समर्पण में येसु उनके मार्गदर्शक बन सके। 








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