2018-01-03 15:19:00

फैसले के विपरीत होने पर ट्रम्प ने फिलिस्तीनियों को धनराशि काटने की धमकी दी


येरूसलेम, बुधवार, 3 जनवरी 2018 (एशियान्यूज) : अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने फलस्तीनी नेताओं को धमकी दी है कि अगर उन्होंने इसराइल के साथ शांति वार्ता आगे नहीं बढ़ाई तो अमरीका उन्हें अपनी आर्थिक मदद देना बंद कर देगा। फिलिस्तीनी नेतृत्व का विद्रोह भी ट्रम्प के विवादास्पद और एक तरफा फैसले का परिणाम है जो येरूसलेम को इसरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देते हैं और वहां अमेरिकी दूतावास का स्थानांतरण करना चाहते हैं।

अमरीकी राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा कि "उनकी मदद के बदले उन्हें कोई तारीफ़ या सम्मान नहीं मिला है।" राष्ट्रपति के मुताबिक, 'येरूशलेम को इसराइल की राजधानी मानने के उनके फ़ैसले से शांति बनाने में मदद मिलेगी क्योंकि उन्होंने एक ऐसे मुद्दे को मेज़ से हटा दिया जिस पर हमेशा से विवाद चला आ रहा था।’  येरूशलेम को इसराइल की राजधानी मानना ट्रंप के चुनावी वादों में से एक था। 2017 जनवरी में कुर्सी संभालने वाले ट्रंप ने उसी साल दिसंबर में ये फ़ैसला लिया।

इसकी आलोचना करते हुए फिलिस्तीनी नेताओं ने कहा कि यह दिखाता है कि "इस मामले में अमरीका एक तटस्थ मध्यस्थ नहीं हो सकता।"

 संयुक्त राष्ट्र में भी अमरीकी राष्ट्रपति की जमकर आलोचना हुई। 128 सदस्य देशों ने ट्रंप के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ वोट किया।

ट्रंप के ट्वीट के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निकी हेली ने भी इस मसले पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि अमरीका फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए चलाई जा रही संयुक्त राष्ट्र की मदद एजेंसी में अब और योगदान नहीं करेगा।

यह मदद एजेंसी शिक्षा, सेहत और अन्य सामाजिक कार्यक्रम चलाती है। 2016 में अमरीका ने इस एजेंसी को 2350 करोड़ रुपये (37 करोड़ डॉलर) दिए और इसमें योगदान करने वाला सबसे बड़ा देश बना।

निकी हेली ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वे मदद रोक नहीं रहे लेकिन तब तक और पैसा नहीं देना चाहते, जब तक फिलिस्तीनी बातचीत के लिए तैयार न हो जाएं।

हेली के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र के राष्ट्रपति ट्रंप के ख़िलाफ़ किए गए वोट से हालात सुधरे नहीं हैं।

2016 में मदद एजेंसी को पैसे देने वालों में यूरोपीय संघ दूसरे नंबर पर था जिसने अमरीकी मदद के मुक़ाबले आधी से भी कम रकम मदद एजेंसी को दी थी।








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