2017-12-09 15:35:00

संत पापा ने निष्कलंक मरियम का महोत्सव मनाया


रोम, शनिवार 09 दिसम्बर 2017 (वीआर,रेई) :  संत पापा फ्राँसिस शुक्रवार 8 दिसम्बर के पूर्वाहन में निष्कलंक मरियम के महोत्सव पर रोम स्थित ‘पियाजा दी स्पान्या’ जाकर कुवांरी माता मरियम की प्रतिमा में श्रद्धा सुमन अर्पित की।

निष्कलंक गर्भागमन का सिद्धांत

पियाजा दी स्पानिया में माता मरियम की प्रतिमा को 1857 में पवित्र निष्कलंक के सिद्धांत को चिह्नित करने के लिए समर्पित किया गया था जिसे संत पापा पियुस नवें ने परिभाषित किया था। सिद्धांत हमें सिखाती है कि कुंवारी माता मरियम को ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त थी वे गर्भागमन के समय से ही आदि पाप से मुक्त थीं।

 संत पापा ने पवित्र निष्कलंक माता को समर्पित स्मारक स्तंभ का दौरा कर परंपरा के अनुसार फूलों की माला पर आशीर्वाद दिया जिसे रोमन अग्निशामक कर्मचारियों ने प्राचीन संगमरमर स्तंभ की शिखर पर रखी गई माता मरियम की प्रतिमा पर सुशोभित किया।

तीर्थयात्रियों और रोम वासियों की भीड़ के बीच संत पापा फ्राँसिस ने इस महोत्सव के लिए विशेष रुप से तैयार किये गये प्रार्थना का पाठ पाठ किया। संत पापा ने माता मरियम को रोम के परिवारों, धार्मिक संस्थानों, बीमारों, बुजुर्गों, श्रमिकों और प्रवासियों की यात्राओं में उनका साथ देने के लिए धन्यवाद देते हुए प्रार्थना की कि हम अपने घमंड और अहंकार से छुटकारा पा सकें और हमें खुद को जानने की कृपा दें जो हम वास्तव में हैं: हम छोटे और पापी हैं लेकिन हमेशा माता मरियम के बच्चे हैं।

माता मरिया मेजर महागिरजा का दर्शन

इस वर्ष संत पापा पियाजा दी स्पान्या जाते समय मरिया मेजर महागिरजाघर का दर्शन भी किया। जहाँ उन्होंने सालुस पॉपुली रोमानी (रोम वासियों की संरक्षिका) की प्रतिमा पर एक गुलदस्ता अर्पित किया। इसी माँ मरियम और उनकी गोद में बालक येसु की प्रतिमा का दर्शन संत पापा फ्राँसिस अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहले और बाद में किया करते हैं

अल्फोंस रातिसबोन्ने

वाटिकन लौटने से पहले संत पापा फ्राँसिस ने व्यक्तिगत रुप से संत अंद्रेया देल्ले फ्राते महागिरजाघर का भी दर्शन किया।

यही वह स्थान है जहाँ 175 साल पहले, अल्फोंस रातिसबोन्ने नामक एक यहूदी को माता मरियम ने दर्शन दिया। उसी समय से कलीसिया के शत्रु और गैर-ख्रीस्तीय ने ख्रीस्तीय धर्म को स्वीकार किया और एक ख्रीस्तीय बन गये। मनपरिवर्तन के बाद अल्फोंस एक येसु समाजी पुरोहित और मिशनरी बन गये और वे सियोन की माता मरियम को समर्पित धर्मसंध के सह-संस्थापक भी बने।








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