2017-12-04 16:21:00

2018 के विश्व बुलाहट दिवस के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार,4 दिसम्बर 2017 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 4 दिसम्बर को बुलाहट हेतु 55वाँ विश्व दिवस के लिए अपना संदेश दिया जो 22 अप्रैल 2018 को मनाया जाएगा

संत पापा ने कहा कि आने वाले अक्टूबर धर्माध्यक्षों की 15वीं महा धर्मसभा में सभी धर्माध्यक्ष  युवा लोगों के विश्वास और बुलाहट के बीच संबंध पर विचार विमर्श करेंगे।।

55वाँ विश्व बुलाहट दिवस हमें निर्णायक तरीके से पुनः युवाओं के लिए प्रार्थना करने का सुन्दर अवसर प्रदान करता है। संत पापा ने अपने संदेश में प्रत्येक बुलाहट के तीन पहलुओं : सुनने, आत्मपरख करने और उसे जीने पर प्रकाश डाला।

संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीयों को याद दिलाया कि ईश्वर कभी भी पुरुषों और महिलाओं को उनका अनुसरण करने के लिए बुलाना कभी नहीं छोड़ते।

उन्होंने कहा, "हम अनायास या असंबंद्ध घटनाओं की एक श्रृंखला नहीं हैं ; इसके विपरीत, हमारे जीवन और इस दुनिया में हमारी मौजूदगी एक दिव्य बुलाहट का फल है। "

देह धारण के रहस्य से पता चलता है कि ईश्वर लगातार "हमसे मुलाकात करने आते है," परेशानी के समय में भी।

"व्यक्तिगत और धर्मसंघीय बुलाहट दोनों में इसे सुनने, आत्मसात करने और उसे जीने की आवश्यकता है। यह ईश्वर की ओर से आती है। यह हमें अपनी प्रतिभा को विकसित करने में सक्षम बनाता है, हमें दुनिया में उद्धार के साधन बनाता है और हमें पूरी खुशी के साथ जीने हेतु मार्गदर्शन करता है।"

ऐसा हृदय जो सुन सके

संत पापा ने यह स्पस्ट किया कि "ईश्वर चुपचाप आते हैं" और यदि हमारे पास सुनने वाला हृदय न रहे तो, उसकी आवाज़ दैनिक जीवन के विकर्षणों में बाहरी आवाजों "डूब" सकती है।

संत पापा ने कहा कि आजकल सुनना बहुत अधिक कठिन होता जा रहा है, जैसे कि हम अतिप्रभावित और सूचनाओं की बमबारी और शोर से भरे समाज में रहते हैं, यह हमें चिंतन के स्वाद का आनंद लेने से रोकता है। हमारे जीवन की घटनाओं पर आत्म चिंतन हमें ईश्वर की प्रेमपूर्ण योजना में आत्मविश्वास के साथ हमारे कार्य को आगे बढ़ाता है। "

उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीयों को 'अपने शब्द और अपनी जिंदगी की कहानी को ध्यान से सुनने और अपने दैनिक जीवन के विवरणों पर चौकस रहने' की आवश्यकता है। ख्रीस्तीय बुलाहट हमेशा एक पैगंबरीय आयाम है, अतः किसी व्यक्ति के जीवन और दुनिया में वर्तमान घटनाओं को "ईश्वर की प्रतिज्ञा के प्रकाश में" जांचना चाहिए।

अपने बुलाहट को जीना

" बुलाहट आज है! ख्रीस्तीय मिशन अभी है। "

संत पापा ने कहा,″हम या तो धर्मसमाजी जीवन या वैवाहिक जीवन जीये, हम सभी यहाँ और अभी ईश्वर के प्रेम का साक्ष्य देने के लिए बुलाये गये हैं।″

आज भी प्रभु हमें बुलाते हैं उसके बुलावे को स्वीकार करने के लिए हमें पूर्ण बनने का इन्तजार नहीं करना है। हमें अपनी कमजोरियों और पापों से धबराना नहीं चाहिए लेकिन इसके बजाय हमें ईशवर की आवाज सुनने के लिए अपना दिल और हृदय खोलना चाहिए। उसे आत्मसात करके कलीसिया और दुनिया में जीना चाहिए।

अस्पष्टता में रहने वाली एक युवा महिला के रूप में माता मरिया ने ईश्वर की आवाज को सुना, उसे स्वीकार किया। शब्द ने शरीर धारण किया। वे हमारे जीवन यात्रा में हमारा साथ दें और हमारी रक्षा करें।








All the contents on this site are copyrighted ©.