2017-12-01 14:59:00

संत पापा फ्राँसिस ने बांग्लादेश के धर्माध्यक्षों को संबोधित किया


ढाका, शुक्रवार 1 दिसम्बर 2017 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने ढाका के शुक्रवार 1 दिसम्बर को सेवानिवृत पुरोहितों के लिए बने भवन में सभी धर्माध्यक्षों से मुलाकात की। संत पापा ने कार्डिनल पैट्रिक डी’रोजारियो को उनके स्वागत और बांग्लादेश की कलीसिया के आध्यात्मिक और पास्टोरल कार्यों के संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने विशेष रुप से 1985  में सुसमाचारी सिद्धांतों और प्राथमिकताओं पर आधारित प्रेरितिक कार्ययोजना के दूरदर्शिता की प्रशंसा की जिसने इस युवा राष्ट्र में ख्रीस्तीय समुदाय के जीवन और मिशन को प्रेरित किया है। संत पापा ने दक्षिण अमेरिका में महाद्वीपीय मिशन अपारेसिडा के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा किऐसी योजनाऐं फलती फूलती हैं जिसमें सभी लोगों को कार्य योजना और मूल्यांकन की प्रक्रिया में शामिल किया जाता है।

वास्तव में सहभागिता प्रेरितिक कार्ययोजना के केंद्र में थी और यह मिशनरी उत्साह को प्रेरित करती है जो बांग्लादेश की कलीसिया को एक अलग पहचान देती है। पारिवारिकता और पारस्परिक समर्थन की भावना से आपके अपने धर्माध्यक्षीय नेतृत्व को पारम्परिक रूप से चिह्नित किया गया है और पारिवारिकता की भावना पुरेहितों के साथ साझा की जाती है और उनके द्वारा सारी पल्लियों और समुदायों में साझा की जाती है। पारिवारिकता की अभिव्यक्ति तब होती है वे अपने धर्मप्रांतों में प्रेरितिक दौरा करते हैं और अपने धर्मप्रांतों के विश्वासियों के कल्याण के लिए व्यावहारिक चिंता का प्रदर्शन करते हैं। संत पापा ने इसे बनाये रखने को कहा जो पुरोहितों के साथ आपसी सहभागिता और एकता को मजबूत करेगी, वे आपके भाई, पुत्र और प्रभु के दाख की बारी के सहकर्मी हैं तथा  धर्मसंधियों के साथ भी जो इस देश में काथलिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।  

         संत पापा ने धर्माध्यक्षों को लोकधर्मियों के प्रति अपनी निकटता को प्रदर्शित करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि कलीसिया में और समुदाय में उनके सहयोग और योगदान को सराहना करते हुए कलीसिया में इन्हें पहचान मिले। आप लोकधर्मियों के विशेष करिस्मा को पहचानने में मदद करें और उनके अनुसार कलीसिया और समाज की सेवा में उनका प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहित करें।

         संत पापा ने कहा कि इस देश में कई समर्पित धर्मप्रचारक हैं जो ख्रीस्तीयों के विश्वास प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। गावों और दूर दराज के क्षेत्रों में वे सच्चे मिशनरी और धार्मिक नेता हैं। अतः आप उनकी आध्यात्मिक जरूरतों और विश्वास प्रशिक्षण का विशेष ध्यान रखें। इन दिनों हम आने वाले धर्माध्यक्षीय महासभा की तैयारी में लगे हुए हैं हमारे सामने यह चुनौती है कि हमारे युवा लोगों को खुशी, सत्य और विश्वास की महत्ता साझा करने का कौन सा सबसे अच्छा तरीका अपनाया जाए। बांग्लादेश याजकीय और धर्मसंधीय बुलाहट से आशीषित है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उम्मीदवारों को अपने भावी जीवन की तैयारी अच्छी तरह से किया जाए जिससे वे अपने उत्तदायित्व के बखूबी से निभाते हुए अपने विश्वास को दूसरों के साथ बांट सकें। समन्वय की भावनाऐं जो पीढ़ियों के लिए सेतु है, उन्हें खुशी और उत्साह के साथ काम करने के लिए प्रेरित करती है जिन्हें अन्य लोगों ने शुरू किया है तथा उन्हें भी एक दिन इसे दूसरों को हस्तांतरित करना होगा।  

बांग्लादेश में कलीसिया परिवारों की सहायता करने और एक विशेष रुप से, महिलाओं की उन्नति के लिए काम करती है इस देश के लोग परिवार के लिए प्यार, आतिथ्य की भावना, माता-पिता और दादा दादी के प्रति सम्मान और वृद्ध, दुर्बल और कमजोर लोगों की देखभाल के लिए जाने जाते हैं। सुसमाचार में येसु मसीह ने भी इन मूल्यों की पुष्टि की है।       संत पापा ने उन लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता दिखाई जो ख्रीस्तीय परिवारों को दैनिक जीवन में प्रभु की मुक्तिदायी शक्ति और आपसी मेलमिलाप हेतु सहायता करने के लिए चुपचाप काम करते हैं प्रेरितिक उद्बोधन ″एकलेसिया इन एशिया″ में इस बात पर गौर किया गया है कि "परिवार केवल कलीसिया के प्रेरितिक देखभाल का विषय नहीं है; यह कलीसिया के सबसे प्रभावी सुसमाचार प्रचारकों में से एक है "(संख्या 46)

धर्मप्रांतों के प्ररितिक कार्ययोजना में एक महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किया गया है, और वह है ‘गरीबों के लिए विकल्प’। बांग्लादेश की काथलिक समुदाय को गरीबों की सेवा के अपने इतिहास पर गर्व होना चाहिए विशेषकर दूर दराज क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों की सेवा। यह अपने शैक्षिक कार्यों, अस्पताल, क्लीनिक और स्वास्थ्य केंद्रों और विभिन्न संगठनों के माध्यम से उदारता के कार्य जारी है।

हाल में शुरु हुए शरणर्थियों की समस्या को देखते हुए काथलिक कलीसिया बहुत उदारता के साथ हरएक की जरुरत को पूरी करने का हर तरफ से प्रयासरत है। "दया की संस्कृति" बनाने के लिए काम करके, (मिसरिकोदिया एत मिसारा, 20) आपकी स्थानीय कलीसिया ‘गरीबों के लिए अपने विकल्प’ को प्रदर्शित करती है।   

बांग्लादेश की मेरी प्रेरितिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण मुद्दा अंतरधार्मिक और ख्रीस्तीय एकता वर्धक मुलाकात है जो हमारी बैठक के तुरंत बाद होगा। बांग्लादेश एक ऐसा राष्ट्र है जहां धार्मिक परंपराओं की विविधता में जातीय विविधता का प्रतिबिम्ब होता है। कलीसिया ने सेमिनारों और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से इनके अंतरभेदों को समझने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। साथ ही निजी सम्पर्कों और निमंत्रणों के माध्यम से, आपसी समझ और सामंजस्य के प्रसार में योगदान देता है। पुलों का निर्माण और संवाद बढ़ाने के लिए निरंतर काम करना, इन प्रयासों के लिए न केवल विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच संचार की सुविधा है, बल्कि एकता, न्याय और शांति में राष्ट्रनिर्माण के काम के लिए आवश्यक आध्यात्मिक ऊर्जा को भी जागृत करता है। जब धार्मिक नेता हिंसा के खिलाफ एक साथ अपनी आवाज बुलन्द करते हैं और ‘संघर्ष की संस्कृति’ को ‘मुलाकात की संस्कृति’ में बदलने का प्रयास करते हैं, वे अपनी विभिन्न परंपराओं की गहरी आध्यात्मिक जड़ों से निकालते हैं।(अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन को संबोधन, अल-अजहर, काहिरा, 28 अप्रैल 2017)

संत पापा ने सभी धर्माध्यक्षों को सौहार्दपूर्ण मिलन और संवादों के आदान-प्रदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा,″ मैं खुश हूँ कि बांग्लादेश की प्रेरितिक यात्रा ने मुझे इस देश में कलीसिया के जीवन और मिशनरी उत्साह का साक्ष्य देने में सक्षम किया है। आइये हम स्थानीय कलीसिया की खुशी और कठिनाइयों को प्रभु के चरणों में अर्पित करते हुए एक साथ पवित्र आत्मा से कृपा मांगे कि वे "साहस के साथ सुसमाचार की नवीनता का प्रचार करने तथा हर समय और हर स्थान पर विपक्ष का सामना करने की शक्ति दे।" (इवानजेली गौदियम, 259) आपके प्रेरितिक संरक्षण में रहने वाले पुरोहित, धर्मसंधी और लोकधर्मी अपने वचनों और जीवन द्वारा सुसमाचार के प्रचार हेतु नवीन शक्ति का अनुभव कर सकें।  अंत में संत पापा ने उन्हें सस्नेह अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।  








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