2017-12-01 15:44:00

संत पापा ने बंगलादेश के विभिन्न धर्मों के नेताओं से मुलाकत की


रामना, शुक्रवार, 1 दिसम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने बंगलादेश की प्रेरितिक यात्रा में 1 दिसम्बर को रामना स्थित महाधर्माध्यक्ष आवास में ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता एवं अंतरधार्मिक वार्ता के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″हमारी मुलाकात जो देश में उपस्थित विभिन्न धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाया है, बंगलादेश में मेरी यात्रा का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि हम अपनी मित्रता को प्रगाढ़ करने तथा सच्ची एवं स्थायी शांति के वरदान की अभिलाषा को व्यक्त करने हेतु एकत्रित हैं।"

संत पापा ने कहा कि जो वचन हमने सुना है जो संगीत एवं नित्य जिसने हमारी सभा को सजीव बनाया है उसने अर्थपूर्ण ढंग से, विश्व के धर्मों में लिखित सद्भाव, भाईचारा और शांति की चाह को प्रस्तुत किया है। यह मुलाकात नेताओं एवं देश के विभिन्न धर्मानुयायियों का आपसी सम्मान एवं भली इच्छा के साथ जीने के प्रयासों का स्पष्ट चिन्ह बने। बंगलादेश जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार एक आधारभूत सिद्धांत है। यह प्रतिबद्धता कोमल रूप में है फिर भी यह उन लोगों के लिए दृढ़ फटकार है जो धर्म के नाम पर विभाजन, घृणा एवं हिंसा लाना चाहते हैं।

यह हमारे समय का एक संतोषजनक चिन्ह है कि विश्वासी तथा भली इच्छा रखने वाले सभी लोग मुलाकात, वार्ता एवं मानव परिवार की सेवा हेतु योगदान देने की संस्कृति के निर्माण में सहयोग देने के लिए आमंत्रित महसूस करते हैं। इसके लिए सहिष्णुता की आवश्यकता है। यह हमें दूसरों तक आपसी विश्वास एवं समझदारी के साथ पहुंचने तथा एकता के निर्माण हेतु चुनौती देता है ताकि विविधता को भय के रूप में न देखा जाए बल्कि समृद्धि एवं विकास हेतु संभावित स्रोत माना जाए। यह हमसे हृदय के खुलेपन की मांग करता है जो दूसरों को एक बाधा के रूप में नहीं किन्तु मार्ग के रूप में देख सके।

संत पापा ने "हृदय के खुलेपन" पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मुलाकात की संस्कृति की शर्त है।

उन्होंने कहा, "सर्वप्रथम यह एक द्वार है। यह कोई अस्पष्ट सिद्धांत नहीं है वरन जीवन का अनुभव है। यह हमें जीवन की वार्ता हेतु सक्षम बनाता है जो मात्र विचारों का आदान-प्रदान नहीं है। यह सद्इच्छा एवं स्वीकृति की मांग करता है फिर भी हमारी गहरी आस्था को व्यक्त करने में उदासीनता या कमी नहीं आनी चाहिए। अन्य माध्यमों के साथ निष्ठा पूर्वक संलग्न होने के साथ-साथ हमें अपने विशिष्ट धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान को हमेशा नम्रता, ईमानदारी एवं सम्मान के साथ बांटना है।  

हृदय का खुलपन एक सीढ़ी के समान है जो पूर्णता तक पहुँचती है। हमारे इस उत्कृष्ट आयाम का स्मरण करते हुए हमें अपने हृदय के शुद्धीकरण की आवश्यकता के प्रति भी सचेत रहना है ताकि हम सभी चीजों को सच्चे दृष्टिकोण से देख सकें। जैसे जैसे हमारी दृष्टि के हर चिन्ह साफ होते जाते हैं, वैसे-वैसे हम समझने के प्रयास करते तथा दूसरों को महत्व देने एवं उनके दृष्टिकोणों को स्वीकार करने की शक्ति प्राप्त करते है। इस तरह हम प्रज्ञा एवं सामर्थ्य प्राप्त करते है जो हमें सभी के साथ अपनी मित्रता के दायरे को बढ़ाने हेतु बल प्रदान करता है।  

हृदय का खुलापन एक रास्ता के समान है जो हमें भलाई, न्याय और एकात्मता के मार्ग पर ले चलता है। यह पड़ोसी की भलाई की खोज करने हेतु प्रेरित करता है। रोमियों को लिखे अपने पत्र में संत पौलुस अपने श्रोताओं से अर्जी करते हैं, "आप लोग बुराई से हार न मानें बल्कि भलाई द्वारा बुराई पर विजय पायें। (रोम 12:21). 

इस एक वाक्य को हम सभी प्रतिध्वनित कर सकते हैं। हमारे पड़ोसियों के लिए धार्मिक चिंता, खुले हृदय द्वारा ही प्रवाहित होती है, यह विस्तृत नदी की तरह बाहर जलावतरित होती है जिससे कि घृणा, भ्रष्टाचार, गरीबी और हिंसा के कारण सूखे एवं झुलसे हृदय की प्यास बुझा सके जो मानव जीवन को उजाड़ देता, परिवारों को तोड़ता एवं सृष्टि के वरदानों को विकृत कर देता है।

बंगलादेश के विभिन्न धार्मिक समुदायों ने पृथ्वी हमारे आमघर की देखभाल के प्रति प्रतिबद्धता तथा देश में हुए प्राकृतिक आपदा का प्रत्युत्तर देने के द्वारा एक खास रास्ते को अपनाया है। कई तरह के कार्यों में हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि भलाई का रास्ता, दूसरों की सेवा में सहयोग के मार्ग पर आगे ले चलता है।

विश्वासियों के बीच खुलापन, स्वीकृति और सहयोग की भावना न केवल सौहार्द एवं शांति की संस्कृति को योगदान देता है बल्कि यह उसका दिल का धड़कन है। हमारे विश्व में दिल का धड़कना कितना अधिक आवश्यक है ताकि राजनीतिक भ्रष्टाचार, विनाशकारी धार्मिक विचारधाराओं एवं ग़रीबों, शरणार्थियों, अत्याचार के शिकार अल्पसंख्यकों और दुर्बलों की आवश्यकताओं के प्रति अंधा बनने के प्रलोभन का सामना किया जा सके।

विश्व के विभिन्न लोगों तक पहुँचने में अधिक उदारता की आवश्यकता है खासकर, ऐसे युवाओं के पास जो जीवन की सार्थकता की खोज करते हुए अकेला पन और व्यग्रता का अनुभव करते हैं।

संत पापा ने अपने संदेश के अंत में मुलाकात की संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए धन्यवाद दिया तथा प्रार्थना की कि हम विश्वासियों को ज्ञान और पवित्रता में बढ़ने हेतु मदद कर सकें तथा एक अधिक मानवीय, एकजुट और शांतिपूर्ण दुनिया के निर्माण में सहयोग दे सकें।








All the contents on this site are copyrighted ©.