2017-12-01 11:44:00

रोहिंगिया निर्गमन का हल ढूँढने हेतु सन्त पापा ने की 'निर्णायक उपायों' की मांग


ढाका, शुक्रवार, 1 दिसम्बर 2017 (रेई, वाटिकन रेडियो): ढाका में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि वह रोहिंगिया जाति के लोगों की समस्या के समाधान हेतु "निर्णायक उपाय" करे जिसने म्यानमार के राखिन प्रान्त से मुसलमानों को  पलायन के लिये बाध्य किया है। इस समय सन्त पापा फ्राँसिस बांग्लादेश की प्रेरितिक यात्रा पर हैं।   

म्यानमार से बांग्लादेश आगमन पर सन्त पापा ने कहा कि यह "अनिवार्य" है कि विश्व की सरकारें दशकों से जारी एशिया के सर्वाधिक विशाल शरणार्थी संकट से निपटने के लिये बांग्लादेशी सरकार को तत्काल सहायता प्रदान करें।  

म्यानमार के रोहिंगिया लोगों का आरोप है कि दशकों से उनके विरुद्ध अत्याचार एवं भेदभाव जारी हैं और हालांकि वे कई पीढ़ियों से म्यानमार में रहते आये हैं उन्हें यहाँ की नागरिकता नहीं दी जाती है। छः लाख बीस हज़ार से अधिक रोहिंगिया लोग म्यानमार का पलायन करने तथा बांग्लादेशी शरणार्थी शिविरों में निवास करने के लिये मजबूर हैं।

शरणार्थियों, समाज से बहिष्कृत एवं हाशिये पर जीवन यापन करनेवालों के अथक और निडर अधिवक्ता सन्त पापा फ्रांसिस को म्यानमार में रोहिंगिया दुर्दशा पर सार्वजनिक रूप से न बोलने के लिये मानव अधिकार संगठनों और रोहिंगिया लोगों की आलोचना का सामना करना पड़ा है। गुरुवार को उन्होंने हालांकि "रोहिंगिया" शब्द का उपयोग नहीं किया तथापि, म्यानमार के राखिन राज्य के शरणार्थियों की व्यथा के प्रति विश्व समुदाय का ध्यान आकर्षित कराया। 

उन्होंने कहा, "हम में से कोई भी स्थिति की गंभीरता तथा अनिश्चित परिस्थितियों में शरणार्थी शिविरों में जीवन यापन कर रहे, बच्चों एवं महिलाओं सहित, हमारे असंख्य भाइयों एवं बहनों की पीड़ा से अनभिज्ञ नहीं रह सकता।"

सन्त पापा ने कहा, "यह अनिवार्य है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय इस गम्भीर संकट को सम्बोधित करने हेतु "निर्णायक उपाय" करे तथा इतने बड़े पैमाने पर विस्थापन को उत्पन्न करने के लिये ज़िम्मेदार राजनैतिक मुद्दों का ही समाधान नहीं खोजे बल्कि राहत सामग्रियों से बांग्लादेश सरकार की तत्काल मदद कर प्रभावशाली ढंग से इस समस्या का हल ढूँढ़ने का प्रयास करे।"  

इसी बीच, बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने गुरुवार को राष्ट्र में सन्त पापा फ्राँसिस का अभिवादन करते हुए इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि म्यानमार की सेना रोहिंगिया लोगों पर "बर्बर अत्याचार" कर रही है। रोहिंगिया जाति के लोगों की सुरक्षित रूप से म्यानमार वापसी हेतु उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय सहायता का आह्वान किया।

बांग्लादेश के अँग्रेज़ी भाषी समाचार पत्र "द डेली स्टार" ने अपने एक सम्पादकीय में लिखा, "सन्त पापा ने, विशेष रूप से, म्यानमार में रोहिंगिया संकट पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा इससे हमें गहन निराशा हुई है किन्तु दमन के शिकार लोगों के पक्ष में अपनी आवाज़ बुलन्द करने की सन्त पापा फ्राँसिस की धरोहर के मद्देनज़र हम आशान्वित है कि इस अत्यधिक महत्वपूर्ण यात्रा के दौरान वे अवश्य ही रोहिंगिया संकट को संबोधित करेंगे।"

बांग्लादेश में अपनी यात्रा के दूसरे दिन, शुक्रवार, पहली दिसम्बर को सन्त पापा फ्राँसिस ने ढाका के सूहरावर्दी उद्यान पार्क में ख्रीस्तयाग अर्पित कर बांग्लादेश के 16 पुरोहितों का अभिषेक किया। इस समारोह में लगभग एक लाख श्रद्धालु उपस्थित हुए। बांग्लादेश की 16 करोड़ से अधिक कुल आबादी का केवल एक प्रतिशत से कम काथलिक धर्मानुयायी है।








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