2017-11-23 16:45:00

वैचारिक उपनिवेशन स्वतंत्रता एवं स्मृति को मिटा देता है, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 23 नवम्बर 17 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि स्वतंत्रता को छीन लेना, स्मृति मिटा देना तथा युवाओं को यकीन दिलाना, ये हैं हर युग में संस्कृति और वैचारिक उपनिवेशन के संकेत।

बृहस्पतिवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनामय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में संत पापा ने राजा अन्तियोख एपीफनेस द्वारा मक्काबियों के विरूद्ध अत्याचार की घटना पर चिंतन किया जो अपने पूर्वजों की परम्परा के प्रति वफादार रहे।

संत पापा ने कहा, "जब कभी धरती पर एक नई संस्कृति अथवा वैचारिक तानाशाही उत्पन्न होता है यही उपनिवेशन है।" उन्होंने यूरोप के इतिहास की याद की जहाँ पिछली शताब्दी में यकीन दिलाने वाली संस्थाओं का उदय हुआ था।

संत पापा ने कहा, ″इसने स्वतंत्रता छीन ली, इतिहास का विखंडन किया, लोगों की याद को मिटाने का प्रयास किया एवं युवाओं पर नई शिक्षा प्रणाली का दबाव डाला। इसके लिए कुछ लोग श्वेत दस्ताने भी पहन लिये।" उन्होंने कहा कि मैं कुछ देशों को जानता हूँ जो इसके लिए ऋण लेते, स्कूलों में ऐसी किताबों को पढाये जाने का दबाव डालते हैं जो ईश्वर एवं उनकी सृष्टि की सच्चाई को स्वीकार नहीं करता। वे विविधताओं को दूर करना, इतिहास को मिटा देना एवं एक नई विचारधारा को डालने का प्रयास करते हैं और जब लोग उनके इस विचारधारा को स्वीकार नहीं करते तब उन्हें अलग कर दिया जाता और अंततः उन्हें अत्याचार का शिकार होना पड़ता है।

मक्काबियों के ग्रंथ से लिए गये पाठ की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए संत पापा ने कहा कि सात पुत्रों की माता ने राजा के अत्याचार के समय अपने बच्चों को शहादत के लिए तैयार किया। संत पापा ने स्मृति और ऐतिहासिक के मूल को बनाये रखने की महिलाओं की विशेष भूमिका की सराहना की।

उन्होंने कहा, ″स्मृति को बनाये रखना, मुक्ति की स्मृति, ईश प्रजा की याद, एक ऐसी यादगारी है जो अपने लोगों के विश्वास को दृढ़ता प्रदान करती है और जिसके द्वारा वैचारिक-सांस्कृतिक उपनिवेशन से अत्याचार के शिकार बनते हैं। यादगारी वह है जो हमें हर प्रतिकूल शिक्षा प्रणाली को जीतने में मदद करता है। मूल्यों, इतिहास तथा जो हम सीखते हैं उन्हें याद करने हेतु सहायता देता है।

मक्काबियों की माता ने अपनी क्षेत्रीय बोली में अपने पुत्रों से बातें की जो दर्शाता है कि सांस्कृतिक उपनिवेशन उस पर हावी नहीं हो सकता।

संत पापा ने मक्काबी माता के स्वभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह स्त्री कोमलता एवं साहस से भरी थी जिसने अपने पुत्रों एवं ईश्वर की प्रजा की रक्षा हेतु ऐतिहासिक मूल एवं पूर्वजों की भाषा द्वारा उनमें बल का संचार किया।

संत पापा ने गौर किया कि केवल नारी की शक्ति ही सांस्कृतिक उपनिवेशन से बचा सकती है क्योंकि वे माता एवं नारी हैं यादों और क्षेत्रीय बोली की रक्षा कर सकती हैं जिसके द्वारा वे इतिहास और सबसे बढ़कर विश्वास को बनाये रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

संत पापा ने कहा कि ईश प्रजा कई साहसी महिलाओं के बल पर आगे बढ़ी जिन्होंने अपने बच्चों को विश्वास में आगे बढ़ाया। माताएं ही अपनी बोली में विश्वास को दूसरों को दे सकती हैं।

संत पापा ने प्रभु से प्रार्थना की ताकि कलीसिया अपनी यादगारी को बनाये रख सके, पूर्वजों की भाषा को न भूले तथा साहसी महिलाओं को प्राप्त करे। 








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