2017-11-20 16:23:00

वैश्विक स्वास्थ्य में असमानता पर 32 वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 16 नवम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने ‘वैश्विक स्वास्थ्य में असमानता’ विषय पर 16 से 18 नवम्बर को वाटिकन में हो रहे 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठ के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन को संदेश भेजा। संत पापा ने सम्मेलन के प्रतिभागियों का अभिवादन करते हुए विशेष रुप से समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठ को और काथलिक स्वास्थ्य संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय परिसंघ के प्रति अपना आभार प्रकट किया।

संत पापा ने कहा कि पिछले साल के सम्मेलन ने औसत जीवन प्रत्याशा के बारे में डेटा को प्रोत्साहित करने और विषाणुओं के खिलाफ वैश्विक लड़ाई पर ध्यान दिया गया था साथ ही चिकित्सा उत्पादों और स्वास्थ्य देखभाल के उपचार तक पहुंच के संबंध में अमीर और गरीब देशों के बीच बढ़ रहे अंतर को भी रेखांकित किया था। इसी वजह से इस वर्ष असमानताओं और सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक कारणों के विशिष्ट मुद्दे को संबोधित करने का निर्णय लिया गया था। कलीसिया इस मुद्दे के प्रति उदासीन नहीं रह सकती है वह ईश्वर द्वारा अपने प्रतिरुप में बनाये गये मनुष्य की सेवा में अपने मिशन के प्रति जागरूक है। वह उनकी गरिमा और मौलिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए बाध्य है।

संत पापा ने यह कहते हुए खुशी व्यक्त की कि सम्मेलन ने इन चुनौतियों का सामना करने के उद्देश्य से ठोस रूप से परियोजना तैयार किया है, अर्थात् विभिन्न भौगोलिक और सामाजिक स्थितियों में काथलिक स्वास्थ्य संस्थानों के बीच साझा करने और सहयोग के संचालन मंच की स्थापित किया है। संत पापा इस परियोजना में लगे लोगों को इस प्रयास में दृढ़ता से प्रोत्साहित करते हैं।

संत पापा ने कहा,″मैं एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करना चाहूंगा जो कि मौलिक है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपने भाइयों और बहनों के स्वास्थ्य की देखभाल के द्वारा प्रभु की सेवा करते हैं। एक अच्छी तरह से संरचित संगठन आवश्यक सेवाएं प्रदान करने और मानवीय जरूरतों पर सर्वोत्तम संभव ध्यान देने के लिए आवश्यक है इसके साथ स्वस्थ्य चिकित्सा कार्यकर्ताओं को उन लोगों को सुनने और समर्थन देने के महत्व को ध्यान में रखना चाहिए जिनकी वे देखभाल करते हैं।″

संत पापा ने भले समारी को उदाहरण देते हुए डॉक्टरों, नर्सों, और कार्यकर्ताओं को करुणा के साथ बीमारों की सेवा करनी चाहिए जो अकेलेपन और चिंता से जुड़े दर्द को कम करने में सक्षम हैं।

करुणा भी न्याय को बढ़ावा देने का एक विशेष तरीका है, दूसरों के साथ सहानुभूति से हमें न केवल अपने संघर्ष, कठिनाइयों और भय को समझने का अवसर मिलता है साथ ही हर इंसान की कमजोरी में, उसके मूल्य और सम्मान का भी पता चलता है। दरअसल, मानव गरिमा न्याय का आधार है, जबकि हर व्यक्ति के अतुलनीय योग्यता की मान्यता सभी असमानताओं को दूर करने के लिए, हमें उत्साह और आत्म-बलिदान के साथ काम करने के लिए प्रेरित करती है।

अंत में संत पापा ने उनके उदार प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया और अपने मूल्यवान मिशन को जारी रखने हेतु शुभ-कामनायें दी।  








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