2017-11-18 17:23:00

मृत्यु के बारे में सोचने के लिए समय निकालें, संत पापा


वाटिकन सिटी, शनिवार 17 नवम्बर 2017 (वीआर,रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 17 नवम्बर को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था में प्रातः पवित्र युखारिस्त समारोह के अनुष्ठान किया। दैनिक पाठ के आधार पर उन्होंने भक्त समुदाय को इस दुनिया के अंत तथा हमारे जीवन के अंत पर भी सोचने विचारने के लिए आमंत्रित किया।

संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा कि नूह के समय में जलप्रलय से पहले और लोत के समय आकाश से आग और गंधक बरसने से पहले लोग खाते-पीते, लेन-देन करते और शादी ब्याह करते थे, लेकिन "प्रभु के प्रकट होने का दिन" आया और सारी चीजें बदल गईं।

संत पापा ने कहा, ″हमारी माता कलीसिया चाहती है कि हम अपनी मृत्यु के बारे सोचने के लिए समय निकालें। हम सोचते हैं कि हम वैसे ही रहेंगे पर एक समय आयेगा जब हमें प्रभु के पास जाना होगा। कुछ लोगों के लिए आकस्मिक होगा। कुछ लोगों का समय लम्बी बीमारी के बाद होगा पर यह निश्चित हैं कि सभी को बुलावा आयेगा। ईश्वर की ओर से एक और आश्चर्य होगा : वह है अनन्त जीवन।

इसी वजह से कलीसिया हमें समय लेकर मृत्यु के बारे सोचने के लिए कहती है। संत पापा सुसमाचार में येसु को शब्दों को दुहराते हुए कहते हैं कि हमें सांसारिक जीवन का आदी नहीं होना चाहिए, जैसे कि यही अनंत काल है। "एक दिन आएगा," जब हम सब को यह संसार छोड़कर प्रभु के पास जाना होगा।

संत पापा ने कहा,"मृत्यु के बारे में सोचना एक डरावनी कल्पना नहीं है," "यह भयानक या डरावनी है या नहीं, यह मुझ पर निर्भर करता है, और मैं इसके बारे में कैसे सोचता हूँ। पर यह तो निश्चित है कि हम सभी को मौत का सामना करना पड़ेगा और हम प्रभु से मुलाकात करेंगें। यही मृत्यु की सुन्दरता है कि हमारा मिलन प्रभु से होगा। प्रभु हमसे मिलने आयेंगे और कहेंगे, “आओ, मेरे पिता के कृपापात्रो, मेरे साथ आओ।”

संत पापा ने एक बुजुर्ग पुरोहित की कहानी बताते हुए अपना प्रवचन समाप्त किया। एक दिन की तबियत खराब हो गई। वह डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने उसकी जाँच कर कहा, "शायद हमने इसे इलाज के लिए समय पर पकड़ा है," हम इलाज शुरु कर देंगे। अगर इससे आपको आराम न मिले तो दूसरा इलाज शुरु करेंगे। अगर वह भी न काम करें तो हम [एक साथ] चलना शुरू कर देंगे, और मैं आपके साथ अंत तक चलूँगा।"

 संत पापा ने कहा, हमें भी डॉक्टर के समान इस जीवन यात्रा में एक दूसरे का साथ देना चाहिए। बीमारों की सेवा में हमें कोई कसर नहीं छोड़ना चाहिए, लेकिन हमेशा हमारी निगाहें आखिरी लक्ष्य की ओर टिकी होनी चाहिए जब प्रभु हमें अपने साथ स्वर्ग में रहने के लिए ले जायेंगे।








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