2017-11-14 11:28:00

पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल एक परिचयः स्तोत्र ग्रन्थ 89 वाँ भजन (भाग-4)


पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल एक परिचय कार्यक्रम के अन्तर्गत इस समय हम बाईबिल के प्राचीन व्यवस्थान के स्तोत्र ग्रन्थ की व्याख्या में संलग्न हैं। स्तोत्र ग्रन्थ 150 भजनों का संग्रह है। इन भजनों में विभिन्न ऐतिहासिक और धार्मिक विषयों को प्रस्तुत किया गया है। कुछ भजन प्राचीन इस्राएलियों के इतिहास का वर्णन करते हैं तो कुछ में ईश कीर्तन, सृष्टिकर्त्ता ईश्वर के प्रति धन्यवाद ज्ञापन और पापों के लिये क्षमा याचना के गीत निहित हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जिनमें प्रभु की कृपा, उनके अनुग्रह एवं अनुकम्पा की याचना की गई है। इन भजनों में मानव की दीनता एवं दयनीय दशा का स्मरण कर करुणावान ईश्वर से प्रार्थना की गई है कि वे कठिनाईयों को सहन करने का साहस दें तथा सभी बाधाओं एवं अड़चनों को जीवन से दूर रखें।

"मैं उसे अपना पहलौठा बनाऊँगा, पृथ्वी के राजाओं का अधिपति। मेरी कृपा उसपर बनी रहेगी, मेरी प्रतिज्ञा उसके लिये चिरस्थायी है।"  

श्रोताओ, ये थे स्तोत्र ग्रन्थ के 89 वें भजन का 28 वाँ और 29 वाँ पद। इन्हीं पदों की व्याख्या से हमने विगत सप्ताह पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल एक परिचय कार्यक्रम समाप्त किया था। स्तोत्र ग्रन्थ का 89 वाँ भजन दाऊद के वंश पर आच्छादित गहन निराशा और हताशा के समय रचा गया भजन है जिसमें विपत्तियों का मारा ईशभक्त दुःखी होने के बावजूद प्रभु ईश्वर की अनुपम शक्ति, उनका असीम प्रेम एवं उनकी अपार दया और सत्यप्रतिज्ञता को पहचानते हुए उनका स्तुतिगान करता है।  प्रभु ईश्वर ने दाऊद को चुना, उसे पवित्र तेल से अभिषिक्त किया और अपने लोगों का राजा नियुक्त किया। उसी प्रकार जिस प्रकार ईश्वर ने अपने एकलौते पुत्र येसु ख्रीस्त को इस धरा पर भेजा ताकि वे लोगों को पापों से मुक्ति दिलायें तथा उनके लिये अनन्त जीवन के द्वार खोल दें। ईश पुत्र मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त की भविष्यवाणी उनके आगमन से सदियों पूर्व नबियों ने कर दी थी। इसायाह के ग्रन्थ में हम पढ़ते हैं, "प्रभु का आत्मा मुझपर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है, जिससे मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टिदान का सन्देश दूँ, दलितों को स्वतंत्र करूँ और प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करूँ।"

89 वें भजन के आगे के पदों में भी भजनकार दाऊद पर ईश्वर की महती कृपा की चर्चा कर कहता है, "मैं उसका वंश सदा बनाये रखूँगा, उसका सिंहासन आकाश की तरह चिरस्थायी होगा।" और फिर, "दाऊद के लिये मेरा प्रेम चिरस्थायी है। मेरी प्रतिज्ञा सदा बनी रहेगी। मैं अपनी प्रतिज्ञा भंग नहीं करूँगा, अपने मुख से निकला वचन नहीं बदलूँगा।" और 36 से लेकर 39 तक के पदों में, "मैंने सदा के लिये अपनी पवित्रता की शपथ खायी, मैं दाऊद के सामने मिथ्यावादी नहीं बनूँगा। उसके वंश का कभी अन्त नहीं होगा, उसका सिंहासन मेरे सामने सूर्य की तरह बना रहेगा। आकाश में निष्ठावान साक्षी, सदा बने रहनेवाले चन्द्रमा की तरह।"     

जैसा कि हम पहला भी बता चुके हैं 89 वें भजन के इन शब्दों में भी मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त विषयक भविष्यवाणी निहित है। यहाँ भी ख्रीस्त एवं उनके राज्य के विषय में चर्चा है। इतिहास गवाह है धरती के किसी भी राज्य का कभी न कभी पतन हो जाता है, उसके महल खण्डहरों में परिणत हो जाते हैं किन्तु येसु ख्रीस्त द्वारा प्रसारित ईश राज्य का कभी अन्त नहीं होगा, वह चिरस्थायी है। नबी इसायाह के ग्रन्थ के 53 वें अध्याय के 10 दसवें पद में लिखा है, " प्रभु ने चाहा कि वह दुःख से रौंदा जाये। उसने प्रायश्चित के रूप में अपना जीवन अर्पित किया इसलिये उसका वंश बहुत दिनों तक बना रहेगा और उसके द्वारा प्रभु की इच्छा पूरी होगी।" भजनकार कहता है कि जिस तरह सूर्य और चन्द्रमा आकाश में ईश्वर के साक्षी बने रहते हैं उसी प्रकार येसु ख्रीस्त द्वारा प्रसारित ईश राज्य सदा सर्वदा के लिये कायम रहेगा, उसका कभी अन्त नहीं होगा। 

आगे 89 वें भजन के 39 वें पद से लेकर 44 तक के पदों में एक प्रकार से भजनकार ईश राज्य की स्थापना में आनेवाली बाधाओं की ओर ध्यान आकर्षित कराकर कहता है, "फिर भी तूने अपने अभिषिक्त को त्यागा, उसे अपमानित होने दिया और उसपर अपना क्रोध प्रकट किया। तूने अपने सेवक के प्रति अपनी प्रतिज्ञा को भंग किया। तूने उसका मुकुट धूल में दूषित होने दिया। तूने उसकी चार दीवारी गिरा दी और उसके गढ़ खण्डहर बना दिये। उधर से गुज़रनेवाले उसे लूटते हैं। उसके पड़ोसी उसे ताना मारते हैं। तूने उसके शत्रुओं का बाहूबल बढ़ा दिया। तूने उसके विरोधियों को आनन्द प्रदान किया। तूने उसकी तलवार की धार भोथरी कर दी। तूने उसे संग्राम में नहीं सम्भाला।"  

इस स्थल पर यह ध्यान में रखना हितकर होगा कि 89 वें भजन के 38 तक के पदों में भजनकार प्रभु ईश्वर  में अटल विश्वास की अभिव्यक्ति कर उनकी दया और उनकी सत्यप्रतिज्ञता का बखान करता है किन्तु भजन के 39 वें पद में उसकी भावनाएँ बिल्कुल विपरीत हो जाती है। 39 वें पद के बाद से भजन के अन्त तक भजनकार शिकायतों का सिलसिला जारी रखता है। बाईबिल आचार्यों का मानना है कि स्तोत्र ग्रन्थ के 89 वें भजन के रचयिता ने ये पद उस समय लिखे होंगे जब दाऊद का घराना घोर संकट से गुज़र रहा था। वह दुःख इतना गहरा था कि ईश्वर की संहिता का पालन करने तथा ईश्वर की सत्यप्रतिज्ञा में दृढ़ विश्वास के बावजूद इस भजन का रचयिता रो पड़ता है और शिकायत करने लग जाता है। सम्भवतः भजनकार ने यह पुकार हताशा के उस क्षण में लगाई होगी जब अबसालोम के षड़यंत्र के कारण दाऊद के वंश को उत्पीड़ित किया गया था। प्राचीन व्यवस्थान में निहित सामुएल के दूसरे ग्रन्थ में हमें दाऊद के पलायन का विवरण मिलता है। इस ग्रन्थ के 15 वें अध्याय के 13 वें और 14 वें पदों में हम पढ़ते हैं, "एक दूत दाऊद को यह सूचना देने आया कि इस्राएलियों ने अबसालोम का पक्ष लिया है। इस पर दाऊद ने येरूसालेम में रहनेवाले अपने सब सेवकों से कहा, "चलो, हम भाग चलें, नहीं तो हम अबसालोम के हाथ से नहीं बच पायेंगे। हम शीघ्र ही चले जायें, कहीं ऐसा न हो कि वह अचानक आकर हमारा सर्वनाश कर डाले और शहर के निवासियों को तलवार के घाट उतार दे।" इसी प्रकार 89 वाँ भजन राजा सुलेमान के आध्यात्मिक पतन के काल में अथवा सुलेमान की मृत्यु के बाद राज्य के पतन के बाद रचा गया होगा, जिसका विवरण हमें राजाओं के पहले ग्रन्थ के 11 वें एवं 12 वें अध्यायों में मिलता है।

श्रोताओ, जिस समय, जिस क्षण अथवा जिस परिस्थिति में भी 89 वें बजन की रचना की गई हो इतना तो स्पष्ट है कि इस भजन में आनेवाले मसीह की भविष्यवाणी निहित है। ईश्वर द्वारा भेजे गये मसीह यानि प्रभु येसु ख्रीस्त को भी इन्हीं सब दुखों को सहना पड़ा था जिन्होंने दुःख भोगा, क्रूस पर चढ़ाये गये, दफ़नाये गये और तीसरे दिन मृतकों में से पुनः जी उठकर हम सब के लिये अनन्त जीवन के द्वार खोल दिये।








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