2017-11-02 16:46:00

पेंतेकोस्त मिशनरियों एवं ख्रीस्तीय बच्चों की गिरफ्तारी एवं रिहाई


नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 2 नवम्बर 2017 (ऊकान): भारत के ख्रीस्तीय अल्पसंख्यकों के विरूद्ध असहिष्णुता एवं भेदभाव की भावना जारी है जिसका ताजा मामला उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश में दर्ज किया गया।

पहले मामले में पेंतेकोस्त कलीसिया के ख्रीस्तीयों को जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया तथा जमानत पर रिहा किया गया, जबकि दूसरे मामले में, युवाओं के लिए ख्रीस्तीय धर्म के एक कोर्स में भाग लेने वाले सात बच्चों को माता-पिता से वंचित रहने के लिए मजबूर किया गया।

28 अक्टूबर को हिन्दू चरमपंथियों का एक दल जो कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य हैं उन्होंने उत्तरप्रदेश में दुधी स्थित गिरजाघर पर पथराव किया।

गिरजाघर में करीब 1500 लोग प्रार्थना एवं उपवास हेतु जमा हुए थे जो पेंतेकोस्त कलीसिया द्वारा आयोजित किया गया था।

भारत के ख्रीस्तीयों की वैश्विक परिषद के अध्यक्ष फादर साजन के जोर्ज ने कहा कि इस आयोजन की सूचना पहले ही स्थानीय पुलिस को दे दी गयी थी और आधिकारिक रूप से अनुमति ले ली गयी थी किन्तु हिन्दू चरमपंथियों ने पुलिस पर दबाव डाला।

पुलिस ने कहा कि जबरन धर्मांतरण की शिकायत उन्हें कई बार फोन द्वारा मिली थी। जब वे घटना स्थल पर पहुँचे उन्होंने प्रार्थना सभा को रोका एवं प्रतिभागियों को वहाँ से जाने हेतु मजबूर किया।

करीब 230 लोग घर वापस जाने के लिए ट्रेन नहीं पकड़ सके जिन्हें जी एएमएस अंग्रेजी स्कूल में रहने की जगह दी गई।

प्रार्थना सभा के आयोजन के संबंध में पुलिस ने पेंतेकोस्त कलीसिया के सात लोगों को गिरफ्तार किया था किन्तु अगले दिन उन्हें रिहा कर दिया।

इस बीच हिन्दू चरमपंथियों ने स्कूल पर कड़ी निगरानी रखी ताकि वहाँ किसी तरह की प्रार्थना सभा न की जाए।

फादर साजन के जोर्ज के अनुसार, ″ख्रीस्तीय किसी तरह के गैरकानूनी कार्य नहीं कर रहे थे वे नियम भंग भी नहीं कर रहे थे अथवा सार्वजनिक व्यवस्था में किसी तरह की समस्या ही उत्पन्न कर रहे थे, जबकि उसके ठीक विपरीत चरमपंथियों ने मनगढ़ंत आरोपों द्वारा भ्रम पैदा किया।″

उन्होंने कहा कि रात के समय की गयी गिरफ्तारी एवं अवरोध धार्मिक स्वतंत्रता का घोर हनन है। हम ख्रीस्तीय देश के दूसरे वर्ग नागरिक नहीं हैं संविधान की गारंटी हमें भी है।

दूसरे मामले में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के इंदौर शाखा ने एक धार्मिक कोर्स में भाग लेने हेतु 23 अक्तूबर को मुम्बई जाने वाले सात बच्चों को इंदौर के रेलवे स्टेशन से हिरासत में ले लिया गया था तथा उन्हें माता-पिता से अलग रखा गया था। यद्यपि उनके माता-पिता उनकी यात्रा से वाकिफ थे और उन्होंने उन्हें अनुमति भी दी थी तथापि बच्चों को बंद कर रखा गया तथा उनके साथ 50 वर्षीय अनिता जोसेफ एवं 51 वर्षीय अमृत कुमार को जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया।

साजन के जॉर्ज ने कहा कि भारत हमेशा अपनी बहुलवाद और बहुसांस्कृतिक समाज के लिए प्रसिद्ध है, दुर्भाग्य से आज ख्रीस्तीयों के विरूद्ध इस तरह की घटनाएँ समाज में एकल विचारधारा एवं एक ही आस्था के लिए समाज में जगह दे रही है जो अन्य लोगों का बहिष्कार करता, उनके विश्वास में दबाव डालता एवं उन्हें हाशिये पर जीवन यापन करने के लिए मजबूर करता है।








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