2017-11-01 14:48:00

जो येसु के साथ हैं वे धन्य हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार 01 नवम्बर 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस 1 नवम्बर, सब संतों के पर्व दिवस के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना हेतु जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को  संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात।

सब संतों का समारोह हमारे लिए एक त्योहार है इसलिए नहीं कि हम सभी अच्छे हैं वरन् इसलिए कि ईश्वर की पवित्रता हम सबों का स्पर्श करती है। संतगण हमारे लिए सर्वोत्तम आदर्श मात्र नहीं वरन् ईश्वर के पास पहुँचे हुए लोग हैं। हम उनकी तुलना बहुरंगी खिड़कियों के साथ कर सकते हैं जो प्रकाश के विभिन्न रुपों को प्रस्तुत करतीं हैं। संत पापा ने कहा कि संतगण हमारे वे भाई-बहनें है जिन्होंने ईश्वरीय ज्योति को अपने हृदयों में धारण करते हुए अपनी रंगीनी चमक के अनुरूप उसे दुनिया में प्रसारित किया है। वे सभी अपने में पारदर्शी थे उन्होंने अपने में बुराई और पाप के अंधकार को दूर करने हुए एक संघर्ष किया जिससे ईश्वर की ज्योति प्रदीप्त हो सके। संत पापा ने कहा कि हम सभों के लिए भी जीवन का उद्देश्य यही है।

वास्तव में आज के सुसमाचार में येसु हम सभों को “धन्य” कहते हैं। इस शब्द के द्वारा वे अपनी शिक्षा की शुरूआत करते हैं जो “सुसमाचार” हमारी खुशी का एक मार्ग है। संत पापा ने कहा कि जो येसु के साथ हैं वे धन्य हैं, वे अपने जीवन में खुश रहते हैं। खुशी हमारे लिए किसी चीज की प्राप्ति नहीं है और न ही यह किसी मुकाम को प्राप्त करना है बल्कि हमारे लिए सच्ची खुशी ईश्वर के साथ रहना और प्रेम में अपने जीवन को जीना है। संत पापा ने कहा, “क्या आप इस बात से आश्वस्त हैंॽ यदि आप इस बात से सहमत हैं तो हमारे जीवन की खुशी के अवयव हमारे मनोभव, ईश्वर के धन्य वचन हैं जो हम से सरलता, नम्रता, अन्यों के लिए एक सहृदयता की भावना, न्याय हेतु संघर्ष, दूसरों के लिए करुणावान, हृदय में शुद्धता, शांति हेतु कार्य, दूसरों से घृणा किये बिना अपने दुःखों के बावजूद सदैव खुश रहने की माँग करता है। यह हमें अपने जीवन की बुराई के बदले भलाई करने की माँग करता है।

ये हमारे लिए जीवन के आनंददायी वचन हैं। इसके लिए हमें अपने जीवन में महान कार्य करने की जरूरत नहीं है और न ही यह किसी महाशक्तिशाली व्यक्ति होने के मनोभाव हैं वरन ये सारी बातें एक साधारण मानव जीवन के अंग हैं जहाँ हम अपने को कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना करता हुआ पाते हैं। दुनिया में रहते वक्त संतों ने दुनिया की बुराईयों के बीच अपना जीवन यापन किया लेकिन अपनी जीवन यात्रा में उनकी नजरें येसु के मार्ग से कभी विचलित नहीं हुईं जो कि धन्य वचनों (धन्यताओं) के रुप में हमारे सामने आज रखी जाती हैं। यह ख्रीस्तीय जीवन का एक मानचित्र है। आज हम उनका त्योहार मनाते हैं जो इस नक़्शे का अनुसरण करते हुए अपने लक्ष्य को पहुंच गये हैं, आज हम कलीसिया के न केवल उन ज्ञात संतों की याद करते, वरन अपने उन भाई-बहनों को भी याद करते जिन्हें हम नहीं जानते जो ईश्वर के “द्वार के निकट” हैं। यह हमारे परिवार का त्योहार है उस सभी छोटे लुप्त लोगों को याद करने का दिन जो अपने जीवन के द्वारा वास्तव में ईश्वर को दुनिया का संचालन करने में मदद करते हैं।

संत पापा ने कहा कि धन्य वचनों में हम सबसे पहले यह सुनते हैं, “धन्य हैं वे जो अपने को दीन-हीन समझते हैं।" इसका अर्थ क्या हैॽ वे जो अपने जीवन में किसी सफलता की कामना नहीं करते, पद और पैसा हेतु नहीं जीते क्योंकि वे जानते हैं कि जो अपने लिए धन संग्रह करता है वह ईश्वर के सामने धनी नहीं है। वे इस बात पर विश्वास करते हैं कि ईश्वर उनके जीवन के धन हैं और पड़ोसी प्रेम में जीवन जीना ही सच्चा धन अर्जित करने का माध्यम। उन्होंने कहा कि कभी-कभी हम अपने जीवन में अपनी कमी के कारण असंतुष्ट हो जाते हैं। हम इस बात को याद करें कि हमारे जीवन का आनंद इस धरा पर नहीं वरन ईश्वर में है जहाँ हम उन्हें प्रेम करते हुए धन्यों के रुप में जीवन व्यतीत करने हेतु बुलाये जाते हैं।

संत पापा ने कहा कि मैं एक अन्य दूसरे धन्यता की चर्चा करना चाहूँगा जो सुसमाचार में नहीं है लेकिन जिसकी चर्चा हम धर्मग्रंथ के अंत में पाते हैं जो जीवन के बारे में कहता है, “धन्य हैं वे जो प्रभु में विश्वास करते हुए मरते हैं।” (प्रका.14.13) कल हम अपने मृत विश्वासियों की याद करेंगे क्योंकि वे ईश्वर के निवास में प्रवेश कर गये हैं। हम उनके लिए ईश्वर का धन्यवाद करते और प्रार्थना करते हैं। ईश्वर की माँ मरियम, जो संतों की महारानी और स्वर्ग के द्वार हैं हमारे लिए पवित्रता के मार्ग में आगे बढ़ने हेतु विनय करें तथा हमारे प्रिय जनों के लिए भी जो हमसे पहले स्वर्गीय पिता के निवास में प्रवेश कर चुके हैं। इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।   

देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा फ्रांसिस ने विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने विशेष रूप से विश्व के डॉन बोस्को द्वारा सभी संतों के नाम आयोजित किये गये दौड़ में सहभागी हुए प्रतिभागियों को अपनी शुभकामनाएँ अर्पित कीं। उन्होंने 02 नम्बर के अपने कार्यक्रम हेतु विश्वास समुदाय से प्रार्थना का निवेदन किया जहाँ वे नेतूनो के अमेरीका क्रब स्थान जा कर मृतविश्वासियों से अपनी प्रार्थनाएं अर्पित करेंगे। संत पापा ने न्यूयॉर्क और अफगानिस्तान में कल हुए आतंकी हमलों में मारे गये लोगों के साथ-साथ आक्रमणकारियों के मन-परिवर्तन हेतु भी प्रार्थना करने का आहृवान किया और अंत में अपने लिए प्रार्थना की याचना करते हुए सभों को संतों के पर्व दिवस की शुभकामनाएँ अर्पित कीं। 








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