2017-10-21 14:54:00

रोम में परमधर्मपीठीय पियूस ब्रासीलियन कॉलेज समुदाय को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार 21 अक्टूबर 2017 (रई) : संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के कार्डिनल मंडल भवन में रोम स्थित परमधर्मपीठीय पियूस ब्रासीलियन कॉलेज समुदाय के पुरोहितों, धर्मबहनों और सहयोगी कर्मचारियों का अभिवादन करते हुए कहा, ″आज, मैं अपारसिदा की माता मरियम के पाये जाने के 300वीं वर्षगांठ पर आप सभी का स्वागत करता हूँ।″ 

संत पापा ने कहा कि वे अपने देश से दूर नये स्थान, नये परिवेश में आये है। शुरुआत में अपने देश और अपने लोगों की बहुत याद आती है। अब आपके दिन की गतिविधियाँ बदल गई हैं। अब आप पल्ली पुरोहित या सहायक पल्ली पुरोहित नहीं हैं परंतु आप यहाँ एक विद्यार्थी पुरोहित के रुप में आये हैं। यह नई परिस्थिति एक पुरोहित के जीवन को बनाए रखने वाले चार खंभे के बीच असंतुलन पैदा करने का खतरा पैदा कर सकती है: आध्यात्मिक आयाम, शैक्षणिक आयाम, मानवीय आयाम और पुरोहिताई आयाम

बेशक, आपके जीवन की इस विशेष अवधि में, शैक्षणिक आयाम पर आपको अपना ध्यान केंद्रित करना है। इसका ये मतलब नहीं है कि आप अन्य आयामों पर कम ध्यान दें। आपको आध्यात्मिक जीवन का ध्यान रखना चाहिए: दैनिक मिस्सा बलिदान, दैनिक प्रार्थना, मनन चिंतन, पवित्र साक्रामेंत की आराधना, आध्यात्मिक किताबों को नियमत रुप से पढ़ने तथा रोजरी माला प्रार्थना के लिए समय बनाना चाहिए। जब कभी पल्ली में प्रेरिताई कार्यों को करने का अवसर और संभावना हो तो आप जरुर उसमें भाग लें। खीस्तीयों और पल्ली वासियों के साथ मिलें, इससे आपका मानवीय आयाम और पुरोहिताई आयाम विकसित होगा।

संत पापा ने कहा कि इन चारों आयामों में कुछ की उपेक्षा करे तो कुछ "बीमारियाँ" छात्र पुरेहित पर हमला कर सकती हैं, जैसे कि "अकाडेमिक" और अध्ययन करने का प्रलोभन केवल ज्ञान पाने के लिए, दोनों ही मामलों में, हम यह भूल जाने हैं कि हमारी पढ़ाई एक मिशन के तहत आता है और मिशन की रक्षा हमें करनी है, जैसा कि संत पौलुस ने तिमथी से कहा था, "जो निधि तुम्हें सौंपी गई है, उसे सुरक्षित रखो। लौकिक बकवाद और मिथ्या ‘ज्ञान’ की आपत्तियों से बचे रहो। ऐसे ज्ञान के बहुत-से अनुयायी विश्वास के मार्ग से भटक गए हैं "(1 तिम 6: 20-21)। संत पापा ने पुरोहितों को याद दिलाते हुए कहा कि उन्हें यह नहीं भूलनी चाहिए कि वे मास्टर या डॉक्टर बनने से पहले एक पुरोहित और प्रभु के लोगों के भले चरवाहे हैं।

संत पापा ने कहा कि पुरोहित को अपने जीवन के इन चार मौलिक खंभे के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए अपने बीच भ्रातृत्व प्रेमपूर्ण संबंध होना चाहिए। वे पुरोहिताभिषेक दवारा येसु ख्रीस्त के एकमात्र पुरोहिताई में सहभागी होते और एक सच्चा परिवार बनाते हैं। पुरोहिताई संस्कार का अनुग्रह हमारे मानवीय, मनोवैज्ञानिक और भावात्मक संबंधों से उपर उठाता है और "परस्पर सहयोग के विविध रूपों में प्रकट होता है  केवल न केवल आध्यात्मिक लेकिन भौतिक पदार्थों में भी" (जॉन पॉल II, पेस्टोरेस दाबो वोबिस, 74 )। संत पापा ने कहा कि आप पुरोहिताई जीवन को जीने में एक दूसरे की मदद करें। जैसा संत पौलुस कहते हैं,″भारी बोझ ढोने में एक दूसरे की सहायता करें और इस प्रकार मसीह की विधि पूरी करें।″ (गला. 6.2) अतः आप एक साथ प्रार्थना करें। शैक्षणिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने में एक दूसरे की मदद करे। कभी-कभी एक साथ घूमने निकलें। किसी को भी अकेला ना छोड़ें और इस तरह एक सच्चे परिवार के समान भ्रातृत्व प्रेम संबंध बनाये रखें। कलीसिया भी आप लोगों के बीच सौहार्दपूण संबंध और भाईचारे की सराहना करती है।

 संत पापा ने ब्राजील की सामाजिक और धार्मिक परिस्थितियों और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि देश इस कठिन समय में, जब बहुत से लोगों को बड़ी सामाजिक समस्याओं और परिवादात्मक भ्रष्टाचार के कारण बेहतर भविष्य में आशा खो दी है। लोगों को एकता में लाने उनकी उम्मीदों को बनाये रखने के लिए आप पुरोहितों की जरुरत है वे आपके लौटने की प्रतीक्षा करते हैं।

संत पापा ने कहा,″ मैं आप पुरोहितों, आपकी देखभाल में मदद करने बाली धर्मबहनों और सहयोगी कर्मचारियों को अपारसिदा की माता मरियम के सिपूर्द करता हूँ उनकी छत्रछाया में रहकर आप अपनी पढाई करें और अपना मिशन जारी रखें। अंत में संत पापा ने अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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