2017-10-20 11:35:00

जम्मू-कश्मीर के धर्माध्यक्ष ने रोहिंगिया मुसलमानों की सुरक्षा का किया आह्वान


नई दिल्ली, शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017 (ऊका समाचार): जम्मू-कश्मीर के काथलिक धर्माध्यक्ष आयवन परेरा ने भारतीय सरकार से आग्रह किया है कि वह रोहिंगिया मुसलमान शरणार्थियों की सुरक्षा को सुनिश्चित्त करे जिन्हें आये दिन दक्षिण पंथी हिन्दू दलों से धमकियाँ मिल रही हैं।  

मौत की धमकियों के कारण 1,200 से अधिक रोहिंगिया मुसलमानों ने जम्मू-कश्मीर का परित्याग कर दिया है। म्यानमार में 2012 में भड़की हिंसा के बाद से ये शरणार्थी जम्मू-कश्मीर में शरण ले रहे हैं। 

जम्मू-श्रीनगर काथलिक धर्मप्रान्त सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर राज्य में काथलिकों की प्रेरिताई तथा जनकल्याण कार्यों में संलग्न है। यह एकमात्र मुसलमान बहुल राज्य है जहाँ लम्बे समय से स्थानीय मुसलमान अलगाववादी दलों का संघर्ष जारी है जो या तो पूर्ण स्वायत्ता अथवा पाकिस्तान से जुड़ने की मांग करते रहे हैं। कुछ हिन्दू दलों की आशंका है कि रोहिंगिया मुसलमानों की उपस्थिति आन्तरिक हिंसा को प्रश्रय दे सकती है।  

धर्माध्यक्ष परेरा ने स्मरण दिलाया की म्यानमार के राखिन राज्य में संघर्ष के कारण रोहिंगिया मुसलमान लोग अपने घरों का पलायन करने के लिये बाध्य हुए थे और अब हिन्दू दलों की धमकियों के चलते अगस्त माह के बाद से हज़ारों रोहिंगिया शरणार्थी एक बार फिर पलायन एवं बांग्लादेश में शरण लेने पर बाध्य हुए हैं।   

इस बात की ओर धर्माध्यक्ष परेरा ने ध्यान आकर्षित कराया कि रोहिंगिया शरणार्थी 2012 में भारत आये थे और तब से प्रतिदिन उनके विरुद्ध हिंसा एवं अनिश्चित्ता का भय छाया हुआ है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह शरणार्थियों की प्राथमिक आवश्यकताएँ पूरी करे और उसके बाद ही यदि वह उन्हें अवैध आप्रवासी मानती है तो उनपर देशवापसी की प्रक्रिया शुरु करे।

ग़ौरतलब है कि भारतीय सरकार ने लगभग 40,000 रोहिंगिया अवैध आप्रवासियों की देशवापसी का एलान किया है। सरकार को आशंका है कि इस्लामिक चरमपंथी, रोहिंगिया मुसलमानों का दुरुपयोग कर सकते हैं।   

जम्मू-कश्मीर की एक करोड़ बीस लाख की कुल आबादी में लगभग साठ लाख हिन्दू धर्मानुयायी हैं शेष लगभग सभी इस्लाम धर्मानुयायी हैं।








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