2017-10-16 16:08:00

विवाह भोज के दृष्टांत पर पोप फ्राँसिस का चिंतन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 16 अक्तूबर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 15 अक्टूबर को, 35000 विश्वासियों के साथ संत पापा फ्राँसिस ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए 35 शहीदों को संत घोषित कर, उन्हें काथलिक कलीसिया में सम्मानित किया।   

प्रवचन में उन्होंने संत मती रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, ″दृष्टांत जिसको हमने अभी-अभी सुना है स्वर्ग के राज्य की तुलना एक विवाह भोज से करता है। (मती. 22:1-14) यहाँ मुख्य पात्र है दूल्हा जो राजा का पुत्र है, जिसमें हम येसु को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। दृष्टांत में दुल्हा का जिक्र नहीं किया गया है, सिर्फ मेहमानों के बारे बतलाया गया है जिन्हें निमंत्रण दिया गया था और विवाह भोज में भाग लेने की आशा की गयी थी। वे विवाह वस्त्र धारण किये हुए थे।″

संत पापा ने कहा कि वे मेहमान हम हैं क्योंकि प्रभु हमें निमंत्रण देते हैं कि हम उनके साथ विवाह भोज में भाग लें। विवाह एक आजीवन संबंध स्थापित करता है और यही संबंध ईश्वर हमसे जोड़ना चाहते हैं। इस तरह उनके साथ हमारा संबंध राजा और प्रजा एवं स्वामी तथा वफादार सेवक के बीच संबंध जैसा नहीं बल्कि उससे भी बढ़कर दुल्हा का अपने दुल्हिन के साथ संबंध के समान है। दूसरे शब्दों में, प्रभु हमें पसंद करते, खोजने जाते एवं निमंत्रण देते हैं। उनके लिए यह काफी नहीं है कि हम मात्र अपना कर्तव्य पूरा करें अथवा उनके नियमों का पालन करें। वे हमारे साथ जीवन की सच्ची सहभागिता चाहते हैं। ऐसी सहभागिता जो वार्ता, विश्वास एवं क्षमाशीलता पर आधारित है। 

संत पापा ने कहा कि यही ख्रीस्तीय जीवन है ईश्वर के साथ प्रेम कहानी, जहाँ प्रभु मुक्त रूप से पहला कदम बढ़ाते हैं और इस निमंत्रण में कोई भी विशिष्टता का दावा नहीं कर सकता। किसी का स्थान दूसरे से बेहतर नहीं हो सकता क्योंकि ईश्वर के अनुग्रह का अनुभव सभी करते हैं। ख्रीस्तीय जीवन का जन्म और पुनर्जन्म इसी कोमल, विशेष एवं अनुग्रह पूर्ण प्रेम से होता है। हम अपने आप से पूछ सकते हैं कि क्या हम दिन में कम से कम एक बार प्रभु को यह बतला सकते हैं कि हम उन्हें प्यार करते हैं, क्या हम जो कुछ भी करते हैं उसके बीच उन्हें याद करते हैं, प्रतिदिन उन्हें बतलाते हैं कि हम उन्हें प्यार करते और उन्हें अपना जीवन मानते हैं क्योंकि जब एक बार प्रेम खो जाता है ख्रीस्तीय जीवन खोखला हो जाता है, यह बिना आत्मा का शरीर बन जाता है। अच्छे उद्देश्य के लिए पालन किये गये नियमों एवं कानूनों का संग्रह बन जाता है तथापि जीवन का ईश्वर, जीवन के प्रत्युत्तर का इंतजार करते हैं। प्रेम के ईश्वर हमसे प्रेम के उत्तर का इंतजार करते हैं। प्रकाशना ग्रंथ में कलीसिया को सम्बोधित करते हुए वे इस बात को स्पष्ट करते हैं कि हमने उनके साथ प्रेम को खो दिया है। ″तुमने अपना पहला धर्मोत्साह खो दिया है।″ (प्रकाशना. 2:4)  यह एक खतरा है कि ख्रीस्तीय जीवन नियमित कार्यक्रम बन जाता है जो बिना किसी प्रेरणा एवं उत्साह एवं लघु चेतना के मामूली हालात से भर जाता है। संत पापा ने कहा कि इसके बदले हम प्रथम धर्मोत्साह की याद को सुलगायें। हम प्रिय हैं विवाह भोज के अतिथि हैं, हमारा जीवन एक वरदान है क्योंकि हर दिन ईश्वर के निमंत्रण का प्रत्युत्तर देने के लिए एक अनोखा अवसर है। सुसमाचार हमें सचेत करता है कि निमंत्रण को इनकार भी किया जा सकता है। कई निमंत्रित मेहमानों ने नकारात्मक जवाब दिया क्योंकि वे अपने कामों में व्यस्त थे। अतिथियों ने इसकी परवाह नहीं की, कोई अपने खेत की ओर चला गया तो कोई अपना व्यापार देखने, दूसरे अतिथियों ने राजा के सेवकों को पकड़कर उनका अपमान किया। (मती. 22:5) इससे हम समझ सकते हैं कि क्यों उन्होंने निमंत्रण अस्वीकार किया। अतिथियों ने यह नहीं सोचा कि विवाह भोज उबाऊ अथवा नीरस होगा बल्कि उन्होंने इसकी परवाह ही नहीं की। वे अपने काम में लगे रहे। प्रेम के खातिर कष्ट उठाने के बदले उन्होंने अपने लिए कुछ पाने में अधिक रुचि दिखाया। संत पापा ने कहा कि इस तरह प्रेम ठंढा पड़ जाता है, दुर्भावना से नहीं किन्तु अपनी ही चीजों, अपनी सुरक्षा, आत्मस्वीकृति एवं आराम को प्राथमिकता देने के कारण। हम फायदा, सुख अथवा रूचि की आसान कुर्सी पर बैठना पसंद करते हैं जो हमें कुछ क्षण के लिए आनन्द प्रदान करता है किन्तु बाद में हम बुरे एवं जल्द ही बूढ़े हो जाने की स्थित पर पहुँच जाते हैं क्योंकि हम अंदर से बूढ़े हो जाते हैं। जब हमारा हृदय नहीं फैलता तो वह बंद हो जाता है, तब सबकुछ अपने आप पर निर्भर करता है, जो मैं पसंद करता, जो मुझे अधिक अच्छा लगता है और जो मैं चाहता हूँ। इस तरह मैं कठोर और हट्ठी हो जाता हूँ। जो लोगों को बिना कारण उत्तेजित करता है जैसा कि सुसमाचार के मेहमानों ने किया जिन्होंने सेवकों का अपमान किया और अंततः उन्हें मार डाला। (पद 6) जिन्हें निमंत्रण देने के लिए भेजा गया था और उनके साथ सिर्फ इसलिए ऐसा किया गया क्योंकि वे उन्हें परेशान कर रहे थे। 

सुसमाचार हमसे प्रश्न करता है कि हम कहाँ खड़े हैं, अपने आप पर भरोसा रखते हुए अथवा ईश्वर के साथ? क्योंकि ईश्वर स्वार्थ के विपरीत है आत्म केंद्रण से अलग। धर्मग्रंथ बतलाता है कि लगातार इनकार एवं उदासीनता के बावजूद उन्होंने जिन्हें निमंत्रण दिया उनके लिए विवाह भोज को रद्द नहीं किया। उन्होंने अपना कार्यक्रम समाप्त नहीं किया किन्तु निमंत्रण देना जारी रखा। जब वे ‘नहीं’ सुनते हैं तो द्वार बंद नहीं कर लेते किन्तु निमंत्रण देने का दायरा बढ़ा देते हैं।

गलत के सामने वे अधिक प्रेम से उत्तर देते हैं। जब हम दूसरों के दुर्व्यवहार अथवा इनकार से दुःखी हो जाते हैं तब हम शिकायतों एवं असंतोष से भर जाते हैं। जबकि ईश्वर जो हमारे इंकार से चोटिल होते हैं वे पुनः प्रयास करते तथा उनकी भी भलाई करते हैं जो उनकी बुराई करते। क्योंकि प्रेम में ऐसा ही होता है और केवल इसी के द्वारा बुराई पर विजय पाया जा सकता है। ईश्वर जो कभी आशा नहीं खोते आज हमें बतला रहे हैं कि सच्चे प्रेम में जीने, अस्वीकृति और हमारे सुस्त एवं आलसी स्वयं की सनक से बाहर आने के लिए क्या करना चाहिए। 

सुसमाचार एक अंतिम उपाय पर जोर देता है, अतिथियों के विवाह भोज का वस्त्र। यह काफी नहीं है कि हम ‘हाँ’ कहकर उनके निमंत्रण का उत्तर दे दें और उसके बाद कुछ न करें। हर दिन हमें विवाह भोज का वस्त्र धारण करना है, प्रेम के अभ्यास का वस्त्र। हम केवल प्रभु-प्रभु कहते रहें किन्तु उनकी इच्छा का पालन न करें यह सही नहीं है। ( मती 7:21).  हमें ईश्वर के प्रेम को धारण करना होगा तथा उनको प्राथमिकता देने के अपने चुनाव को नवीकृत करते रहना होगा।

आज घोषित किये गये संत एवं शहीद हमें इस रास्ते की ओर प्रेरित करते हैं। उन्होंने प्रेम को क्षणिक हाँ नहीं कहा बल्कि अपने सम्पूर्ण जीवन से स्वीकार किया तथा अंत तक उसमें अडिग बने रहे। उन्होंने प्रतिदिन जो वस्त्र पहना वह येसु के प्रेम का वस्त्र था यह प्रेम पागलपन के समान था  जिसके द्वारा हमें अंत तक प्रेम किया और उन्हें भी माफ कर दिया जिन्होंने उन्हें क्रूसित किया था।

बपतिस्मा के समय हमने एक श्वेत वस्त्र ग्रहण किया, ईश्वर के विवाहभोज का वस्त्र। हम संतों एवं हमारे भाई बहनों की मध्यस्थता द्वारा हर दिन उस वस्त्र को धारण करने एवं उसे दाग रहित रख सकने की कृपा के लिए प्रार्थना करें।

हम इसे किस तरह सुरक्षित कर सकते हैं? उनकी क्षमाशीलता को ग्रहण करने के लिए हम प्रभु के पास निर्भय होकर आयें। यह एक कदम है जो विवाह भोज में प्रेम का उत्सव मनाने हेतु प्रवेश पाने के लिए हमें योग्य बनाता है। 








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