वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017 (रेई,वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने वाटिकन में बुधवार को नवीन सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के तत्वाधान में घोषित काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा की 25 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में आयोजित एक बैठक के प्रतिभागियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने कहा, "ईश्वर का वचन एक गतिशील एवं जीवन्त वास्तविकता है जो अनवरत विकसित होता रहता तथा पूर्णता तक पहुँचता है।"
सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि यह कलीसिया की प्रकृति है कि वह विश्वास सम्बन्धी तथ्यों की की रक्षा करे तथा मुक्ति के पथ पर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ते रहे ताकि समय के अन्त तक येसु द्वारा उदघोषित सुसमाचार में मौजूद सच्चाई पूर्णता में विकसित हो सके।
सन्त पापा ने काथलिक धर्मशिक्षा को एक महत्वपूर्ण साधन निरूपित किया और कहा कि यह विश्वासी के समक्ष कलीसिया की चिरस्थायी शिक्षा को प्रस्तुत करता है ताकि उसमें विश्वास की समझ विकसित हो सके।
उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीय आशा से उत्पन्न आनन्द तथा करुणा रूपी औषध से लैस हम अपने युग के स्त्री-पुरषों तक पहुँचते ताकि येसु ख्रीस्त के समृद्ध व्यक्तित्व की पुनर्खोज में उनकी मदद कर सकें।"
प्राणदण्ड के मुद्दे को उठाते हुए सन्त पापा ने कहा कि यह एक ऐसा विषय है जिसका उपयुक्त एवं सुसंगत विवेचन काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा में ढूँढ़ा जाना चाहिये। उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट होना चाहिये कि प्राणदण्ड एक अमानवीय उपाय है और चाहे जिस प्रकार भी यह दिया जाता हो यह मानव गरिमा को गौण कर देता है।"
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