2017-10-09 15:43:00

अच्छे फल देने की अनिवार्यता के साथ प्रभु बुलाते हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 9 अक्तूबर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 8 अक्टूबर को संत पापा फ्राँसिस ने 30,000 भक्तों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

इस रविवार का सुसमाचार पाठ हमें दाखबारी में काम करने वालों के दृष्टांत को प्रस्तुत करता है जिन्हें किसी भूमिधर ने अपनी दाखबारी को पट्टे पर देकर परदेश चला गया। (मती. 21: 33-43) इस तरह उन असामियों की निष्ठा की परख हो गयी। दाखबारी उन्हें इसलिए दी गयी थी ताकि वे उसकी रक्षा करें, उसे फलदार बनायें तथा स्वामी को फसल प्रदान करें। जब फसल का समय आया, भूमिधर ने सेवकों को भेजा कि वे फसल बटोर लायें किन्तु दाखबारी के प्रति असामियों का मनोभाव स्वामित्वीय हो गया था। वे अपने आप को एक साधारण काम करने वाले से बढ़कर एक मालिक समझ रहे थे तथा उन्होंने स्वामी को फसल देने से इनकार कर दिया। उन्होंने सेवकों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन में से कुछ को मार डाला। भूमिधर उनके प्रति धीरज रखकर पहले से अधिक नौकरों को भेजा किन्तु उनके साथ भी वैसा ही हुआ। अंत में अपने धैर्य के कारण उन्होंने अपने पुत्र को भेजने का निश्चय किया किन्तु अपने व्यवहार के गुलाम बनकर उन असामियों ने, पुत्र को यह सोचकर मार डाला कि ऐसा करने के द्वारा वे खुद उत्तराधिकारी बन जायेंगे। 

संत पापा ने कहा, ″यह कहानी दृष्टांत के रूप में उस पृष्ठभूमि पर प्रकट की गयी है जहाँ नबियों ने इस्राएल के इतिहास के बारे बतलाया था।″ उन्होंने कहा कि यह हमारी कहानी है। हम व्यवस्थान की बात करते हैं जिसे ईश्वर ने मनुष्यों के साथ स्थापित करना चाहा था और जिसमें भाग लेने के लिए उन्होंने हमें निमंत्रण दिया है। यद्यपि इस व्यवस्थान की कहानी में भी दूसरी प्रेम कहानियों की तरह सकारात्मक पहलू हैं किन्तु यह विश्वासघात एवं हानि से भी चिह्नित है। यह समझने के लिए कि प्रेम एवं उनके द्वारा बनाये गये व्यवस्थान के प्रति उस हानिकारक अवहेलना का प्रत्युत्तर ईश्वर ने किस तरह दिया, सुसमाचार पाठ भूमिधर के होंठों पर एक सवाल रखता है, ″जब दाखबारी का स्वामी लौटेगा तो वह उन असामियों का क्या करेगा?″ (पद. 40)  सवाल इस बात को रेखांकित करता है कि मनुष्यों के दुष्ट व्यवहार पर ईश्वर की निराशा अंतिम शब्द नहीं है। संत पापा ने कहा कि यहीं ख्रीस्तीय धर्म की महान नवीनता है, एक ईश्वर जो हमारी गलतियों एवं पापों के कारण निराश होता है वह अपने वचन से विचलित नहीं होता और न ही रुकता एवं सबसे बढ़कर बदला नहीं लेता है।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर बदला नहीं चुकाता बल्कि प्यार करता, हमें क्षमा देने एवं हमारा आलिंगन करने के लिए हमारा इंतजार करता है। कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था वही कोने का पत्थर बन गया है और वह पत्थर ख्रीस्त हैं जिसे पाप एवं कमजोरी की स्थिति द्वारा निकाल दिया गया था किन्तु ईश्वर उन्हें सही स्थान पर नये दाखरस यानी करुणा के रूप में रखा हैं। ईश्वर की दृढ़ और कोमल इच्छा के लिए केवल एक बाधा है- हमारा विद्रोह एवं परिकल्पना जो कभी-कभी हिंसक भी हो जाता है। इन मनोभावों और जहाँ कोई फल प्राप्त नहीं होता, उनके लिए ईश वचन पूरी शक्ति से चेतावनी देता है, ″स्वर्ग का राज्य तुम से ले लिया जाएगा और ऐसे राष्ट्र को दे दिया जाएगा जो इसका उचित फल उत्पन्न करेगा।" (पद 43)

अच्छे फल के साथ प्रत्युत्तर देने की अनिवार्यता के साथ प्रभु बुलाते हैं, वे हमें अपनी दाखबारी में काम करने निमंत्रण देते हैं। प्रभु हमें सहायता प्रदान करें ताकि हम समझ सकें कि ख्रीस्तीय विश्वास में क्या नया और सच्चा है। यह नियमों और नैतिक मूल्यों का संग्रह मात्र नहीं है किन्तु ईश्वर के प्रेम का प्रस्ताव है जिसको वे येसु के द्वारा प्रकट करते हैं तथा पूरी मानव जाति के लिए ऐसा करना जारी रखते हैं। यह निमंत्रण उनकी प्रेम कहानी में प्रवेश करने के लिए है ताकि हम जीवित और खुले अंगूर बनकर, सभी के लिए अधिक फल एवं आशा प्रदान कर सकें। एक बंद दाखरस जंगली हो सकता है एवं खट्टे फल उत्पन्न कर सकता है। हम दाखबारी में इसलिए बुलाये गये हैं ताकि हम उन भाई बहनों की सेवा कर सकें जो हमारे साथ नहीं हैं, एक-दूसरे को प्रोत्साहन दे सकें, यह याद दिला सकें कि हम हर परिस्थिति में प्रभु के सेवक हैं, ऐसे समय भी जब यह अप्रिय लगे।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, ″हम अति पवित्र माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें ताकि वे हर जगह हमारी सहायता कर सकें, विशेषकर, समाज के बाहरी इलाकों में। जहाँ प्रभु ने सभी के लिए फल लाने एवं प्रभु की करूणा के नये दाखरस उत्पन्न करने हेतु रोपा है।″

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित तीर्थयात्रियों एवं पर्याटकों का अभिवादन किया। उन्होंने फादर अर्सेलिनो दा त्रिगोलो की धन्य घोषणा की जानकारी देते हुए कहा, ″कल मिलान में फादर अर्सेलिनो दा त्रिगोलो की धन्य घोषणा हुई जो एक कपुचिन धर्मबंधु थे तथा जिन्होंने परम पवित्र कोनसोलार धर्मबहनों के धर्मसमाज की स्थापना की है। हम प्रभु के इस महान विनम्र शिष्य के लिए उनकी स्तुति करें जिन्हें बहुत अधिक प्रतिकूल परिस्थितियों और परीक्षाओं का सामना करना पड़ा किन्तु उन्होंने कभी आशा नहीं खोया।

संत पापा ने इटली एवं विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया खासकर, ऑस्ट्रेलिया एवं फ्राँस के विश्वासियों का।

अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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