2017-10-05 17:34:00

अपने मूल को प्राप्त करें खुद को निर्वासित होने न दें


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 अक्टूबर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि जो व्यक्ति अपना मूल पा लेता है वह आनन्द का व्यक्ति है जबकि जो व्यक्ति बिना मूल का है और जिसने अपने मूल को भूला दिया है वह बीमार है। 

बृहस्पतिवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने प्रवचन में नहेम्या के ग्रंथ से लिये गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ चौक पर एकत्रित इस्राएलियों को याजक एज्रा ने संहिता का पाठ सुनाया। संत पापा ने कहा कि यह एक विशाल धर्मविधि सभा थी जिसके लिए येरूसालेम के पश्चिमी द्वार पर लोग जमा हुए थे। यह बेबीलोन में 70 सालों के निर्वासन के अंत का समय था जिसके कारण ईश प्रजा ने प्रभु की दुहाई दी।

बेबीलोन के सम्राट को पराजित करने के बाद फारसी राजा ने अपने सेवक नहेम्या को उदास देखकर उससे बातें करने लगा। नहेम्या ने उन्हें येरूसालेम लौटने की इच्छा व्यक्त की तथा रोते हुए अपने शहर के प्रति विषाद प्रकट किया। 

संत पापा ने उस स्तोत्र का स्मरण किया जो बेबीलोन में निर्वासन की याद दिलाता है, ″बेबीलोन की नदियों के किनारे बैठकर वे रोये। वे नहीं गा सके, उनके कूल्हे विलों पर लटक गये थे किन्तु वे भूलना नहीं चाहते थे। संत पापा ने सभी विस्थापितों के अवसाद की याद की जो लोग अपने घरों से दूर हैं तथा वापस लौटना चाहते हैं।

संत पापा ने कहा कि नहेम्या येरूसालेम में अपने लोगों के बीच लौटने की तैयारी कर रहा है। यह एक कठिन यात्रा थी क्योंकि उसे कई लोगों को विश्वास दिलाना था तथा शहर के पुनः निर्माण हेतु समान जुटाना था किन्तु सबसे बढ़कर यह लोगों को अपने मूल में वापस लाना था। कई सालों के बाद मूल कमजोर हो चुका था किन्तु यह अब भी पूरी तरह खोया नहीं था। मूल को पुनः प्राप्त करने का अर्थ है अपने लोग के साथ सदस्यता। बिना मूल के व्यक्ति नहीं रह सकता और जो अपना मूल खो देता है वह बीमार है।

उन्होंने कहा कि मूल को पुनः प्राप्त कर, हम विकास करने और फल उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करते हैं जैसा कि कवि कहते हैं विकसित होने की शक्ति पेड़ में वहाँ से आती है जो जमीन के अंदर है। हमारे मूल और अच्छे कार्यों के बीच संबंध द्वारा ही हम बढ़ सकते हैं।

संत पापा ने कहा किन्तु यह आसान नहीं है इस रास्ते पर कई बाधाएँ हैं। बाधाएं जिसमें लोग निर्वासन में रहना पसंद करते हैं और जब यह शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक निर्वासन है तो लोग बिना जड़ के वहीं जमें रहना चाहते हैं। हमें इस तरह की मानसिक बीमारी पर ध्यान देना चाहिए जो खराब है और हमें मूल से अलग कर देता एवं हमारी सदस्यता समाप्त कर देता है। फिर भी जो लोग ईश वचन को सुनने द्वारा आगे बढ़ते और पुनः निर्माण के दिन तक पहुँचते हैं, अपने लिए शक्ति संचय कर पाते हैं। पुरोहित एज्रा ने ऐसा करने में सहायता की और लोग रोने लगे। संत पापा ने कहा कि यह रूदन बेबीलोन के कारण नहीं किन्तु आनन्द का था। मूल से पुनः जुड़ने का आनन्द, अपने लोगों के साथ मुलाकात करने की खुशी। संहिता का पाठ करने के बाद एज्रा ने उन्हें अपने घराने के साथ रहने का निमंत्रण दिया।   

जिन लोगों ने अपने मूल को पाया, जो अपने सदस्यता के प्रति विश्वस्त थे वे आनंदित हुए और यही आनन्द उनका बल था।

संत पापा ने विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे नहेम्या के ग्रंथ के अध्याय 8 का पाठ करें। उन्होंने कहा कि यदि हमें रोने में डर लगता है तो हम खुलकर हंस भी नहीं पायेंगे। उन्होंने पश्चाताप के आँसू बहाने एवं अपने पापों के लिए उदास होने की सलाह दी, साथ ही साथ उन्हें आनन्द के आँसू बहाने का निमंत्रण दिया क्योंकि प्रभु हमें क्षमा करते हैं। संत पापा ने कृपा की याचना की कि हम अपने मूल ईश्वर की ओर लौट सकें।








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