2017-10-02 18:37:00

येसु की छोटी धर्मबहनों को संत पापा की सलाह


वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 अकटूबर 2017 (रेई): समर्पण जो मानवीय संकट की स्थिति में उत्पन्न होता, आगे जाने से नहीं डरता बल्कि बालक येसु को उन सभी स्थलों में लेकर जाता है जहाँ सबसे गरीब लोग रहते हैं। ये ही है येसु की छोटी धर्मबहनें।

सोमवार को वाटिकन में संत पापा फाँसिस ने 28 विभिन्न देशों से धर्मसमाज की आमसभा में भाग ले रहीं धर्मबहनों से मुलाकात की तथा उन्हें खाली शब्दों के बदले ठोस सुसमाचार प्रचार हेतु निमंत्रण दिया। 

मुस्कान, मौन, आराधना और धीरज, ईश्वरीय प्रेम के चिन्ह जो बाईबिल के ओक और बादाम के बीच वार्तालाप की याद दिलाता है। ओक ने बादाम पेड़ से कहा- मुझे ईश्वर के बारे बतलाओ तब बादाम का पेड़ खिल गया। संत पापा ने कहा कि कलीसिया हमसे इन्हीं चीजों की मांग करती है कि ईश्वरीय प्रेम के चिन्ह में बढ़ना।

धर्मसमाज की संस्थापिका येसु की मगदलेना की याद कर उन्होंने कहा कि उन्होंने धन्य चार्स दी फौकालड के पदचिन्हों पर चलकर समझी कि येसु हमारे प्रेम के खातिर बालक बनने एवं माता मरियम की गोद में आने से नहीं डरे, जो आज भी जारी है। संत पापा ने गौर किया कि करीब 80 सालों से विश्व के विभिन्न हिस्सों में हज़ारों धर्मबहनें लोगों को अपनी सेवा दे रही हैं।

संत पापा ने कहा कि वे लोगों के पास मुख्यतः चंगाई देने, शिक्षित करने और धर्मशिक्षा देने के लिए नहीं बल्कि उन्हें स्नेह देने के लिए भेजे गये हैं। छोटों का साथ देने के लिए जैसा कि येसु ने किया, साधारण कामों, अपनी उपस्थिति, मित्रता एवं उनको स्वीकार करने के द्वारा सुसमाचार का प्रचार करने के लिए। उन्हें ईश्वर के नजदीक होने के अनुभव में बार-बार लौटने की आवश्यकता है जो दीन बनकर हमें बचाने एवं अपने प्रेम को पुनः प्रदान करने आते हैं।

संत पापा ने धर्मबहनों को समुदाय में सभी के प्रति उदार बनने की सलाह दी ताकि वे लोगों के बीच सभी छोटे लोगों, जातियों, भाषा-भाषी एवं धर्मावलम्बियों के बीच कर सकें। उन्होंने कहा कि वे निश्चय ही दुनिया को बदल नहीं सकती हैं किन्तु सुसमाचार का आनन्द लाने के द्वारा प्रकाशित अवश्य कर सकती हैं।








All the contents on this site are copyrighted ©.