2017-10-02 16:01:00

बोलोनिया में मज़दूरों के प्रतिनिधियों से मुलाकात


बोलोनिया सोमवार, 02 अक्टूबर (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने बोलोनिया की अपनी एक दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान चेसेना शहर में देवदूत प्रार्थना के पूर्व मज़दूरों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

उन्हें दिये गये अपने संदेश में उन्होंने कहा कि हम एक साथ अपने श्रम के द्वारा ही “आर्थिक समस्या” का निपट कर सकते और भविष्य का निर्माण करते हैं। हम केवल वार्ता के द्वारा अपने जीवन में नई और प्रभावशाली बातों की खोज कर सकते हैं जो सभों के लिए हितकारी होती है।

उन्होंने अतीत से चली आ रही बोलोनिया में सहयोगिता की भावना को याद किया जो अपने में एकता के मूलभूत सार को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि एकात्मकता का झुकाव कभी लाभ के तर्क की ओर नहीं होना चाहिए क्योंकि यह अति जरूरतमंदों को हानि पहुँचा सकता है। “एक न्याय पूर्ण समाज हेतु अतीत का स्वप्न नहीं वरन हमारे द्वारा एक समर्पण, कार्य की माँग करता है जिसके लिए सहयोग की आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा कि हमें विशेष रूप से युवाओं की बेरोजगारी या काम के अभाव की परिस्थिति से कभी अभ्यस्त नहीं होना चाहिए। हमें संख्या की दृष्टिकोण से लोगों से साथ कभी व्यवहार नहीं करना चाहिए।

ग़रीबों के प्रति संघर्ष को ले कर उन्होंने कहा कि हम ग़रीबों की सेवा उनके लिए कार्य और सम्मान की खोज किये बिना नहीं कर सकते हैं। “कार्य-संधि” जिसके प्रति समाज के अन्य संगठन समर्पित हैं हमारे लिए रोजगार उत्पादन में सहायक सिद्ध हुआ है जो हमें एक आशा प्रदान करती है। 

आर्थिक संकट एक यूरोपीय और एक वैश्विक आयाम है इसके साथ ही यह नैतिक, आध्यात्मिक और मानव संकट भी है। एक सशक्त शब्द में कहा जाये तो यह व्यक्तिगत शक्तिशालियों और दलों के द्वारा लोगों की सामान्य भलाई में धोखा-घड़ी है। संत पापा ने कहा, “और इसीलिए चाहिए कि हम कानूनी शक्ति के क्रेन्दीकरण को हटा कर इसे लोगों की सामान्य भलाई हेतु व्यवस्थित करें।” लेकिन ऐसा करने के लिए हमें सम्मान जनक कार्य के अवसरों को विकासित करने की आवश्यकता है।

संत पापा का यह संबोधन संत पेत्रोनियुस महागिरजा घर के प्रांगण में हुआ जो “पिता और रक्षक” कहलाते हैं। उन्होंने कहा,“यह संत हमारे लिए शहर को अपने हाथों में पकड़े हुए प्रस्तुत किया जाते हैं।” यह भौतिक रुप से आप के शहर की तीन बातों को क्रमशः इंगित करता है जिसमें पहला है कलीसिया, दूसरा है समुदाय और तीसरा महाविद्यालय का आता है, जब ये तीन चीज़ें एक दूसरे का सहयोग करते हुए अपने में वार्ता करती हैं तो यह मूल्यवान मानवता को मजबूती प्रदान करती है। इस तरह यह शहर यदि कहा जाये तो सजीव बन जाता और अपनी क्षितिज को विकसित करते हुए वर्तमान चुनौतियों का सामना करने से नहीं डरता है।

संत पापा ने अपने संबोधन के अंत में सभों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि हमें अपने समय के संकटों और उनके समाधान की खोज हेतु उन्हें न केवल कठिनाइयों की भांति देखने की जरूरत है वरन उन्हें विकास और सुधार के एक अवसर स्वरूप भी लेना है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के संत देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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