2017-09-28 17:12:00

हृदय से पश्चाताप करने से न डरें, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 28 सितम्बर 2017 (रेई): ″अपने जीवन की सच्चाई को प्रकट करने, अपने पापों पर गौर करने, उन्हें स्वीकार करने तथा प्रभु से उनके लिए क्षमा मांगने से न डरें।″ यह अपील संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 28 सितम्बर को, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए की।

संत पापा ने प्रवचन में संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु की शिक्षा पर हेरोद प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।

उन्होंने याद किया कि किस तरह कुछ लोगों ने येसु की तुलना योहन बपतिस्ता एवं एलियस से की थी और कुछ लोगों ने उन्हें प्रचीन नबियों में से कोई एक के रूप में देखा था। हेरोद नहीं जान रहा था कि वह उनके संबंध में क्या कहे किन्तु वह उन्हें देखने के लिए उत्सुक था। संत पापा ने कहा कि उसके दिल में मात्र जिज्ञासा नहीं थी किन्तु पछतावा का भाव था। वह इसलिए येसु को देखना चाहता था ताकि अपने आप को शांत कर सके। वह येसु के द्वारा किये गये चमत्कारों को देखना चाहता था किन्तु येसु ने उसके सामने कोई चमत्कार नहीं किये जिसके कारण वे पिलातुस को सौंपे गये और उन्होंने इसकी कीमत मृत्यु से चुकायी। इस प्रकार, उन्होंने दूसरों के अपराध को ढंक दिया जिसने भय के कारण दूसरों की हत्या करने जैसे अपराध के लिए पश्चाताप किया था।  

अतः उन्होंने कहा कि हृदय का पछतावा न केवल किसी मामूली चीज की बल्कि अपने दुराचार की याद दिलाता है। एक ऐसा दुराचार जिसको हमने अपने जीवन में बुरा काम करने के द्वारा किया है जो कि हमें कचोटता हैं। संत पापा ने कहा किन्तु छिपा हुआ दुराचार जिसे हम देख नहीं पाते क्योंकि हम इसके आदी गये हैं और असंवेदनशील भी। दुराचार हमारे ही अंदर होता है और जब यह कचोटता है हम ग्लानि महसूस करते हैं। 

संत पापा ने कहा कि इसे हम न केवल याद करते किन्तु अपने हृदय में महसूस करते हैं, अपने शरीर, आत्मा और जीवन में अनुभव करते हैं और यहाँ उस एहसास को अपने आप से दूर करने का प्रलोभन आता है।

हमारे अंदर वह कृपा है जो अंतःकरण को दोष देता है। दूसरी ओर संत पापा ने कहा कि हममें से कोई भी निष्पाप नहीं है। हम दूसरों के पापों द्वारा प्रभावित होते हैं। कितने लोग युद्ध के कारण पीड़ित हैं क्योंकि बहुत सारे लोग मारे जा रहे हैं।

संत पापा ने पश्चाताप करने की सलाह देते हुए कहा कि जब हम पश्चाताप की प्रार्थना करते हैं तो प्रभु से कहें- प्रभु मुझ पर दया कीजिए मैं एक पापी हूँ। तब प्रभु हमारी प्रार्थना सुनेंगे एवं हमारे जीवन पर दृष्टि डालेंगे। उन्होंने कहा कि यदि हमें अपने पापों की जड़ मालूम न हो तो उससे जानने हेतु मदद मांगें और जब यह मालूम हो जाए तो उसको नाम दें क्योंकि यह ठोस है। ईश्वर के सामने यही सच्ची दीनता है जिससे प्रभु द्रवित हो जाते हैं। संत पापा ने कहा कि हमारी ठोस अभिव्यक्ति हमें चंगाई प्रदान करती है।

संत पापा ने विश्वासियों को पश्चाताप करने का प्रोत्साहन देते हुए कहा कि हम पश्चाताप करना सीखें। हृदय से पश्चाताप करने से न डरें बल्कि उसे ढंकने और छिपाने से डरें क्योंकि यह मुक्ति का चिन्ह है। इसके द्वारा प्रभु निश्चय ही हमें चंगाई प्रदान करते हैं।  

संत पापा ने प्रार्थना की कि प्रभु हमें कृपा प्रदान करे ताकि हम पश्चाताप करने एवं क्षमाशीलता के रास्ते पर चलने का साहस कर सकें।








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