2017-09-18 16:39:00

फ्रांसिस्कन धर्मबहनें विस्थापित दिल्ली झुग्गी के लोगों की प्रतिष्ठा के लिए काम करती हैं


नई दिल्ली, सोमवार,18 सितम्बर 2017 (उकान) : "15 साल पहले आवासीय परिसर के लोगों और प्रभावशाली राज नेताओं ने हमें अपनी झुग्गियों को छोड़ने और दिल्ली के बाहरी इलाके होलंबी कलान में जाने को मजबूर कर दिया। झुग्गी में हम करीब 3,000 लोग रहते थे। राजधानी के उत्तर-पश्चिम होलंबी कलान में न तो पीने का साफ पानी था, न बिजली थी, न कोई स्वास्थ्य सुविधा और पास में एक स्कूल भी नहीं था।" उक्त बातें झुग्गी में रहने वाली ललिता देवी ने ऊका समाचार से कहा।

सड़क निर्माण और रेल विकास जैसे विकास परियोजनाओं के कारण भी नई दिल्ली के अन्य क्षेत्रों से भी झुग्गियों वासियों को हटाकर दिल्ली के बाहरी इलाके होलंबी कलान में बसने के लिए स्थान दिया गया। लोग एक विशाल क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के बिना रह रहे थे। अब इस क्षेत्र में करीब एक लाख लोग रहते हैं।

इन विस्थापित लोगों की समस्याओं को देखते हुए उनकी मदद हेतु मरियम की फ्रांसिस्कन मिशनरी धर्मबहनों ने 2004 में परियोजना शुरू की। धर्मबहनों ने बच्चों के लिए स्कूल के साथ-साथ वयस्क साक्षरता, स्व-सहायता समूह, व्यावसायिक प्रशिक्षण और अनौपचारिक शिक्षा सहित कल्याणकारी कार्यक्रमों की शुरुआत कीं।

परियोजना का समन्वय करने वाली सिस्टर रजनी मिंज ने कहा, “महिलाओं और युवतियों को सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है ताकि वे अपने परिवारों को आर्थिक रुप से मदद कर सकें।” धर्मबहनों ने पाया कि बहुत सी युवतियाँ घरों में यूँ ही पड़ी रहती हैं। अतः उन्होंने लड़कियों के लिए सिलाई कढ़ाई की व्यावसायिक प्रशिक्षण शुरु किया। ब्यूटी पार्लर चलाने के साथ-साथ हीना टैटू बनाने के लिए भी प्रशिक्षण देना शुरु किया।

सिस्टर मार्ग्रेट ने कहा कि इस प्रशिक्षण से बहुतों को लाभ हुआ। करीब 30 महिलाओं ने लोन लेकर सिलाई दुकान चलाती हैं। एक प्रोजेक्ट की प्रबंधक मंजू झा ने बताया कि 2005 में अपने परिवार के साथ वे होलंबी कलान आयीं। आज उनकी माता 35 स्वयं सहायता समूहों की निगरानी करती हैं जिससे करीब 652 महिलाओं को लाभ मिलता है।








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