2017-09-18 16:03:00

क्षमाशीलता के लिए अपना हृदय खुला रखें, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 18 सितम्बर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 17 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

इस रविवार का सुसमाचार पाठ (मती. 18: 21-35) हमें क्षमाशीलता की शिक्षा देता है जो अधिकार से इनकार नहीं करता बल्कि इस बात को स्वीकार करता है कि मानव प्राणी ईश्वर के प्रतिरूप में सृष्ट है, वह खुद की गई बुराई से बढ़कर है। तब पेत्रुस ने आकर ईसा से कहा, ″प्रभु, यदि मेरा भाई मेरे विरूद्ध अपराध करता जाए, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूँ? सात बार तक?″ (पद. 21).  पेत्रुस को लगा था कि एक व्यक्ति को सात बार तक माफ करना काफी है और हमारे लिए तो शायद दो बार क्षमा करना भी पर्याप्त लगता है किन्तु येसु कहते हैं, ″मैं तुम से नहीं कहता सात बार तक, बल्कि सत्तर गुणा सात बार तक।(पद. 22) संत पापा ने कहा कि इसका अर्थ है हमेशा। हमें निरंतर माफ करना चाहिए। येसु इस बात की पुष्टि देने के लिए दयालु राजा एवं निर्दय सेवक का दृष्टांत बतलाते हैं। जिसमें वे दिखलाते हैं कि जिस व्यक्ति को माफ किया गया था वह क्षमा करने से इनकार करता है। 

दृष्टांत में राजा एक उदार व्यक्ति है जो सेवक के गिड़गिड़ाने पर दया से द्रवित होकर एक बड़ी रकम (10,000 दीनार) को माफ कर देता है किन्तु वही सेवक, जैसे ही दूसरे सेवक से मिलता है जिसने उससे 100 दीनार उधार लिये थे जो कि बहुत कम था, उसके साथ निर्दयता से पेश आते हुए उसे बंदीगृह में डलवा देता है। संत पापा ने कहा कि इस सेवक के समान बेतुका व्यवहार हम सभी का भी हो सकता है जब हम अपने भाइयों को क्षमा करने से इनकार करते हैं। दृष्टांत में राजा ईश्वर का प्रतीक है जो हमसे प्रेम करते हैं वे दया से पूर्ण हैं हमारा स्वागत करते तथा हमें निरंतर क्षमा करते हैं।   

ईश्वर ने हमें बपतिस्मा के समय ही क्षमा प्रदान की है। उन्होंने आदी पाप के हमारे अविलेय उधार को माफ कर दिया है जो कि पहली बार है, इसके बाद भी वे असीम करुणा से हमारी सभी गलतियों को माफ करते रहते हैं जब हम उसके लिए जरा सा पश्चाताप का चिन्ह प्रकट करते हैं। ईश्वर अत्यन्त दयालु हैं। जब हम अपना हृदय उन लोगों के लिए बंद कर देना चाहते हैं जिन्होंने हमें दुःख दिया है किन्तु अब क्षमा की याचना करते हैं तब हम स्वर्गीय पिता द्वारा उस निर्दयी सेवक को कहे गये शब्दों को याद करें, ″तुम्हारी अनुनय विनय पर मैंने तुम्हारा सारा कर्ज माफ कर दिया था तो जिस प्रकार मैंने तुमपर दया की थी क्या उसी प्रकार तुम्हें भी अपने सह सेवक पर दया नहीं करनी चाहिए थी?"(पद. 32-33) संत पापा ने कहा कि जब हम आंतरिक शांति, आनन्द और मुक्ति का अनुभव करते हैं तो यह क्षमा किये जाने का चिन्ह है जो हमें दूसरों को भी क्षमा देने की संभावना को खोलता है।

हे हमारे पिता की प्रार्थना में, येसु दृष्टांत की इसी शिक्षा को जोड़ते हैं। उन्होंने इसे सीधे तरीके से प्रस्तुत किया है, ″हमारे अपराध क्षमा कर, जैसे हमने भी अपने अपराधियों को क्षमा किया है। (मती. 6:12) ईश्वर की क्षमाशीलता हम प्रत्येक के लिए उनका प्रचुर प्रेम है। यह एक ऐसा प्रेम है जिसमें वे स्वतः आगे बढ़ने हेतु प्रेरित होते हैं जैसा कि ऊड़ाव पुत्र के पिता ने प्रत्येक दिन उसके लिए इंतजार करते हुए किया, उस चरवाहे के समान साहसी प्रेम है जो अपने खोये भेड़ को खोजने जाता है। उनकी कोमलता जो उन सभी पापियों को स्वीकार करता जो उनके द्वार पर दस्तक देते हैं। हमारे स्वर्गीय पिता प्रेम से परिपूर्ण हैं वे अपना प्रेम हमें प्रदान करना चाहते हैं किन्तु तब तक वे ऐसा नहीं कर सकते हैं जब तक हम अपने भाई बहनों के लिए अपना हृदय द्वार बंद रखते हैं। 

संत पापा ने माता मरियम प्रार्थना करते हुए कहा, ″धन्य कुँवारी मरियम हमें ईश्वर द्वारा प्राप्त की गयी क्षमाशीलता की महानता एवं वरदानों के प्रति सचेत रहने में मदद करे। ताकि हम उनके समान बन सकें जो भले पिता हैं जो धीरे से क्रोध करते किन्तु उनका प्रेम महान है।″

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पयर्टकों का अभिवादन किया।

उन्होंने कहा, ″मैं आप सभी का सस्नेह अभिवादन करता हूँ जो रोम तथा विभिन्न देशों, परिवारों, पल्लियों एवं संगठनों से आये हुए हैं।″  

मैं ला प्लाता (अर्जेंटीना) के विश्वासियों, कोलंबिया के मिलिटरी स्कूल के अधिकारियों तथा रो के प्रचारकों का अभिवादन करता हूँ। 

संत पापा ने विया पाचिस के मैराथन दौड़ में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का अभिवादन किया जिन्होंने रोम में संत पेत्रुस महागिरजाघर से दौड़ आरम्भ कर, सभागृह, मस्जिद, वाल्देसियन गिरजाघर तथा ऑर्थोडॉक्स गिरजाघर की दूरी तय की।

संत पापा ने कहा, ″ मैं विया पाचिस मैराथन दौड़ के प्रतिभागियों का अभिवादन करता हूँ जिन्होंने रोम में अवस्थित कई धार्मिक स्थलों की दूरी तय की है। मैं आशा करता हूँ कि इस संस्कृति और खेल द्वारा किया गया पहल वार्ता, सहअस्तित्व एवं शांति को प्रोत्साहन देगा।  

संत पापा ने लोरेटो से आये युवाओं का अभिवादन किया जिनके साथ कपुचिन एवं फ्राँसिसकन ब्रादर्स भी शामिल थे और जो चिंतन प्रार्थना एवं मनन-ध्यान की शुरूआत करने वाले हैं। संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, ″आप पवित्र घर के तीर्थस्थल की खुशबू हमारे लिए लाते हैं, धन्यवाद। संत पापा ने लोको स्वयंसेवकों एवं आसीसी की पैदल यात्रा आरम्भ करने वालों की भी शुभकामनाएँ अर्पित की।″  

अंत में संत पापा ने प्रार्थना के आग्रह के साथ सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएं अर्पित की।








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